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नकली दवा बनाकर करोड़ों का खेल... मुंबई-दिल्ली से लाते थे रॉ मैटेरियल, आगरा में चल रहा था ये काला कारोबार, जानें पूरी कहानी

आगरा में नकली दवाओं के गोरखधंधे का सनसनीखेज खुलासा हुआ है. शास्त्रीपुरम इलाके में गुपचुप तरीके से दो फैक्ट्रियों में पशुओं की नकली दवाएं बनाई जा रही थीं. यहां फैक्ट्री का लाइसेंस भी नहीं था. यहां तैयार दवाएं देश के कई हिस्सों में बेची जा रही थीं. ड्रग विभाग और पुलिस ने संयुक्त कार्रवाई करते हुए मौके से करोड़ों की नकली दवाएं, मशीनें और रॉ मेटेरियल बरामद किया है.

फैक्ट्री में मिलीं नकली दवाएं. फैक्ट्री में मिलीं नकली दवाएं.
अरविंद शर्मा
  • आगरा,
  • 14 नवंबर 2024,
  • अपडेटेड 11:55 AM IST

उत्तर प्रदेश के आगरा में नकली दवा बनाने की फैक्ट्री पकड़ी गई है. दरअसल, यहां शास्त्रीपुरम इलाके में गुपचुप तरीके से फैक्ट्रियां चल रही थीं, जिनमें पशुओं की नकली दवाएं बनाई जा रही थीं. इन फैक्ट्रियों को बिना लाइसेंस के चलाया जा रहा था. यहां तैयार की गई दवाएं देश के कई हिस्सों में बेची जा रही थीं. ड्रग विभाग और पुलिस ने संयुक्त छापेमारी की तो पूरी कहानी सामने आ गई. टीम को मौके से करोड़ों की नकली दवाएं, मशीनें और रॉ मैटेरियल मिला है.

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दरअसल, यह मामला आगरा के शास्त्रीपुरम इलाके का है. यहां पर दो फैक्ट्रियां थीं, जिनमें पशुओं की नकली दवाएं बनाई जा रही थीं. जब इस बारे में भनक लगी तो आगरा पुलिस, एसओजी सर्विलांस, नगर जोन और सिकंदरा थाने की संयुक्त टीमों ने छापा मारा. इस दौरान फैक्ट्री संचालकों सौरभ दुबे और अश्वनी गुप्ता को गिरफ्तार किया गया, उनके प्रोडक्शन मैनेजर और अन्य कर्मचारियों को भी हिरासत में लिया गया है. यह फैक्ट्रियां बिना किसी लाइसेंस के चल रही थीं. इनमें बनने वाली नकली दवाएं गुजरात, मुंबई, एटा, कानपुर, अलीगढ़, जयपुर और पंजाब जैसे शहरों में सप्लाई की जा रही थीं.

यह भी पढ़ें: बाजार में खपा दीं 80 करोड़ की नकली दवाएं... आगरा में चल रही थी फैक्ट्री, मौके पर मिला 8 करोड़ का स्टॉक

नकली दवा का यह गोरखधंधा सुनियोजित तरीके से चल रहा था. जांच में सामने आया कि नकली दवाएं बनाने में इस्तेमाल होने वाला रॉ मैटेरियल मुंबई और दिल्ली से मंगवाया जाता था. फैक्ट्री संचालकों ने उत्तराखंड के रुड़की और काशीपुर में दवा बनाने के लिए लोन के नाम पर लाइसेंस ले रखा था, लेकिन उत्तर प्रदेश में ये लोग बिना लाइसेंस के ही दवाएं बना रहे थे. इन नकली दवाओं को बनाने का काम शातिर तरीके से होता था. सिकंदरा इलाके में स्थित इन फैक्ट्रियों को खासतौर पर ऐसे स्थानों पर बनाया गया था, जहां लोगों की आवाजाही कम हो. इससे माल की लोडिंग-अनलोडिंग में कोई समस्या नहीं होती थी.

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आखिर पकड़ में कैसे आए?

टास्क फोर्स की नजर पहले से ही इस नेटवर्क पर थी. कुछ समय से इन फैक्ट्रियों की ट्रैकिंग की जा रही थी. जब पर्याप्त सबूत इकट्ठे हो गए तो पुलिस ने इन पर कार्रवाई की. डीसीपी सूरज कुमार राय ने बताया कि दोनों फैक्ट्रियों के संचालक मौके पर मिले. उनसे पूछताछ की जा रही है. इस पूरे नेटवर्क का पता लगाया जा रहा है कि ये लोग किस प्रकार से काम करते थे. जांच में सामने आया कि इन नकली दवाओं को देश के विभिन्न बाजारों में बेचा जाता था. इसके अलावा फैक्ट्री से बरामद दवाओं के सैंपल भी जांच के लिए भेज दिए गए गए हैं.

छापेमारी में क्या-क्या बरामद हुआ?

छापेमारी के दौरान नकली दवाओं के साथ बड़ा स्टॉक, मशीनें और रॉ मैटिरियल बरामद हुआ है. इस सबकी कीमत क्या है, इसका कैलकुलेशन किया जा रहा है. अनुमान है कि इस बरामद सामान की कुल कीमत करोड़ों में है. ड्रग विभाग इस बात का पता लगा रहा है कि इतनी भारी मात्रा में नकली दवाएं कब से बनाई जा रही थीं और कौन-कौन सी जगहों पर इन्हें सप्लाई किया गया.

डीसीपी सूरज कुमार राय के अनुसार, सिकंदरा थाने में इस मामले को लेकर केस दर्ज किया जाएगा और जो भी इस मामले में शामिल होगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. इस मामले का खुलासा होने के बाद प्रशासन ने निगरानी तेज कर दी है. यह पहली बार नहीं है जब नकली दवाओं का कारोबार इस स्तर पर पकड़ा गया है.

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यह भी पढ़ें: कैंसर की नकली दवा बनाने वालों पर अब ED का एक्शन, मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज, छापेमारी में मिला 65 लाख कैश

पशुओं के लिए इन फैक्ट्रियों में बनाई जा रहीं नकली दवाओं से गंभीर समस्याएं हो सकती हैं. नकली दवाएं न केवल प्रभावहीन होती हैं, बल्कि इनमें कई बार ऐसे तत्व शामिल होते हैं, जो नुकसान पहुंचा सकते हैं. नकली दवाओं से जानवरों में गंभीर बीमारियां हो सकती हैं, जो किसानों और पशुपालकों के लिए एक बड़ी आर्थिक क्षति का कारण बन सकती हैं. इसके अलावा नकली दवाओं के इस कारोबार का असर मानव स्वास्थ्य पर भी पड़ता है, क्योंकि इन दवाओं से प्रभावित मांस और दूध के माध्यम से ये रसायन इंसानों तक पहुंच सकते हैं.

कानूनी को धोखा देकर मुनाफा कमाने के लिए जानवरों तक की जिंदगी से खिलवाड़ किया जा रहा है. नकली दवाओं के कारोबार ने न केवल स्वास्थ्य सुरक्षा को खतरे में डाला है, बल्कि प्रशासनिक ढांचे में भी कमियां उजागर की हैं. प्रशासन अब इस मामले पर कड़ी निगरानी रख रहा है, ताकि इस तरह के अवैध कारोबार को रोका जा सके.

पहले भी पकड़ी जा चुकी है नकली दवा की फैक्ट्री

इससे पहले भी नकली दवाओं का जखीरा मिला था. एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स ने 80 करोड़ रुपये की नकली दवाएं बाजार में खपाने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया था. नकली दवा की ये फैक्ट्री आगरा के मोहम्मदपुर इलाके में गुपचुप तरीके से चल रही थी. इसमें कैंसर, डायबिटीज, स्लीपिंग पिल्स, एंटीबायोटिक्स और एलर्जी की नकली दवाएं बनाई जा रही थीं. टीम ने मौके से 8 करोड़ की दवाएं बरामद की थीं. इस फैक्ट्री को दवा माफिया विजय गोयल चलाया जा रहा था. विजय गोयल कुछ महीने पहले नकली दवाओं के एक अन्य मामले में पकड़ा गया था. जेल से आने के बाद उसने फिर से धंधा शुरू कर दिया था.

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