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20 लाख रुपये और 2BHK का मकान... देवरिया में सत्य प्रकाश दुबे के बेटे की मदद को आगे आए लोग

देवरिया हत्याकांड के बाद सत्य प्रकाश दुबे और उनके परिवार के लिए श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया. इस दौरान सांसद और विधायकों समेत कई लोगों ने परिवार में एकमात्र जिंदा बचे सत्य प्रकाश दुबे के बेटे देवेश को 20 लाख से ज्यादा रुपये देकर उसकी आर्थिक मदद की.

विधायक शलभ मणि त्रिपाठी और सत्य प्रकाश दुबे का बेटा देवेश. विधायक शलभ मणि त्रिपाठी और सत्य प्रकाश दुबे का बेटा देवेश.
राम प्रताप सिंह
  • देवरिया,
  • 09 अक्टूबर 2023,
  • अपडेटेड 9:33 AM IST

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के देवरिया हत्याकांड (Deoria Murder Case) में मारे गए सत्य प्रकाश दुबे और उनके परिवार के लिए श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया. प्रदेश के कोने-कोने से तमाम नेता और कई हजार लोगों ने दुबे परिवार को श्रद्धांजलि (Tribute) अर्पित की. यही नहीं, बिहार से भी कई लोग श्रद्धांजलि समारोह में पहुंचे थे. इस दौरान सभी लोग भावुक हो उठे. सांसद और विधायकों समेत कई लोगों ने परिवार में एकमात्र जिंदा बचे सत्य प्रकाश दुबे के बेटे देवेश को लाखों रुपये देकर उसकी आर्थिक मदद की.

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श्रद्धांजलि समारोह रविवार को शहर के सोन्दा स्थित अक्षय वाटिका में आयोजित किया गया. पूर्व विधायक सुरेश तिवारी ने देवेश को तीन लाख की आर्थिक मदद की. इसके अलावा, सांसद रविंद्र कुशवाहा ने एक लाख, जिला पंचायत अध्यक्ष गिरीश तिवारी ने 51 हजार, सदर विधयाक डॉ. शलभ मणि त्रिपाठी ने 2 लाख, खलीलाबाद विधायक अंकुर राज तिवारी ने 2 लाख, प्रधानाचार्य ब्रजेन्द्र मणि त्रिपाठी  ने 1 लाख, पंकज जायसवाल ने 1 लाख, एम एलसी देवेंद्र प्रताप सिंह ने 1 लाख रुपये देवेश को आर्थिक मदद के तौर पर दिए.

इसके अलावा अखिल भारतीय वैदिक सहायता समूह के प्रतिनिधि वैदिक दुर्गेश पाण्डेय ने 95 हजार, राजेश सिंह दयाल ने 2 लाख, विधायक जयप्रकाश निषाद ने 1 लाख 1 हजार, मणिशंकर मिश्र ने एक लाख 10 हजार, संजय तिवारी प्रमुख प्रतिनिधि देसही ने 2 लाख, करणी सेना के अध्यक्ष वीरू सिंह ने 51 हजार, काली मिश्र मैनपुरी ने 50 हजार, शंकाराचार्य परिषद के अध्यक्ष शांभवी पीठाधीश्वर स्वामी आनंद स्वरुप जी ने 51 हजार, सवर्ण आर्मी प्रमुख सर्वेश पाण्डेय ने 21 हजार रुपये दिए. वहीं, बिहार प्रान्त के सिवान के रहने वाले सुंदर मिश्र जो इस समय अमेरिका में हैं, उन्होंने कहा कि वे देवेश को 2BHK का मकान बनवाकर देंगे.

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वहीं, सदर विधायक शलभ मणि त्रिपाठी ने सपा पर हमला बोलते हुए कहा कि समाजवादी पार्टी के गुंडे मेरे ऊपर आरोप लगा रहे हैं कि मैंने ये हत्या करवाई है और देवेश दुबे हत्यारा है. उसे गिरफ्तार करो. मैं इस पर उन्हें चुनौती देना चाहता हूं कि मेरी चाहे 1000 बार जांच करवा लें. उन्हें कुछ भी नहीं मिलेगा. क्योंकि वे लोग सिर्फ झूठे आरोप लगा रहे हैं. मैं सपा की गीदड़ धमकियों से डरने वाला नहीं. ये लोग सिर्फ सोशल मीडिया पर ही मुझे धमकियां दे सकते हैं. सामने कुछ कहने की इनकी हिम्मत नहीं है. 

जानें क्या है पूरा मामला?

बता दें कि 2 अक्टूबर की सुबह पूर्व जिला पंचायत सदस्य प्रेमचंद यादव की हत्या हुई थी. इससे गुस्साए लोगों ने सत्य प्रकाश दुबे के घर में घुसकर 5 लोगों को मौत के घाट उतार दिया था. बताया गया कि घटना वाले दिन देवेश मौके पर नहीं था. वो कर्म-कांड कराने बाहर गया हुआ था. इसीलिए उसकी जान बच गई.

दोनों पक्षों ने दर्ज करवाया है मुकदमा 

बता दें कि इस मामले में दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर मामला दर्ज कराया है. अब तक 16 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. सत्य प्रकाश दुबे की बड़ी बेटी शोभिता द्विवेदी की ओर से 27 नामजद और 50 अज्ञात सहित 77 लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा 302(हत्या) और 307 (हत्या का प्रयास) के अलावा अन्य के तहत FIR दर्ज कराई गई है. 

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वहीं, प्रेमचंद यादव की पक्ष की तरफ से सत्य प्रकाश समेत दुबे परिवार के 4 लोगों के खिलाफ केस दर्ज करवाया है. हालांकि, उन सभी की हत्या हो चुकी है. ऐसे में पुलिस अब इस केस में फाइनल रिपोर्ट लगाने की तैयारी कर रही है.रुद्रपुर कोतवाली की पुलिस इस मामले की विवेचना कर रही है, लेकिन कोई भी अधिकारी अभी इस पर बोलने के लिए तैयार नहीं है.

हत्याकांड के 6 दिन बाद घर लौटा देवेश दुबे

उधर, देवरिया हत्याकांड में माता-पिता, दो बहनों और एक भाई को खो चुका देवेश शनिवार को घटना के छह दिन बाद अपने घर पहुंचा. घर की दहलीज पर पैर रखते ही वह फूट-फूट कर रोने लगा. उसे इस तरह रोता देख वहां मौजूद लोग भी भावुक हो गए. मकान की ओर बढ़ते समय उसके कदम लड़खड़ा जा रहे थे. घर की हालत देख वह सिर पकड़कर बैठ गया. बोलने लगा कि हत्यारों ने मेरी दुनिया ही उजाड़ दी. अब किसके लिए जिंदा रहूं मैं. मौके पर मौजूद लोगों ने किसी तरह उसे संभाला. शांत करवाया. हौसला दिया. लेकिन परिवार को खो चुके देवेश की तकलीफ उससे ज्यादा तो कोई कहां ही समझ सकता है.

मकान के अंदर भाई गांधी के कपड़े बिखरे पड़े थे. कपड़ों को सीने से लगाकर देवेश बिलखने लगा. रोते हुए कहने लगा. मेरा भाई दीपेश गांधी जयंती के दिन पैदा हुआ था. इसीलिए सभी उसे गांधी बुलाते थे. जन्मदिन के दिन ही उसकी हत्या हो गई. हत्यारों ने मासूम भाई-बहनों की जान लेते समय भी क्रूरता की सीमा लांघ दी.

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मुंह ढककर रोता रहा देवेश

घर में मां का बॉक्स और बहनों का सामान बिखरा हुआ था. हमलावरों ने पांच लोगों की हत्या के बाद मकान को पूरी तरह तहस-नहस कर दिया. करीब एक घंटे तक मकान पर रहने के बाद देवेश अपनी मां का बॉक्स लेकर देवरिया लौट गया. भारी सुरक्षा के बीच पुलिस की जीप में देवेश को उसके घर लाया गया था. मकान की हालत देखकर वह कुछ बोलने की हालत में नहीं रह गया था. अपने घर से जाते समय भी देवेश पुलिस की जीप में हाथों से मुंह को ढंककर रो रहा था.

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