
उत्तर प्रदेश के कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) आर. के. विश्वकर्मा ने सभी जिले के पुलिस अधिकारियों और उनके पर्यवेक्षण अधिकारियों को सख्त दिशा निर्देश जारी किए हैं. उन्होंने अधिकारियों को अपने-अपने इलाकों के कुख्यात बदमाशों के पते का ‘लॉन्गिट्यूड एंड लैटिट्यूड' (देशांतर और अक्षांश) अपनी हिस्ट्रीशीट में दर्ज करने की हिदायत दी है. डीजीपी ने आगाह भी किया है कि अगर तथ्यों की जांच में यह जानकारी गलत पाई गई तो संबंधित थाने के एसएचओ के खिलाफ एक्शन लिया जाएगा.
डीजीपी ने कहा कि देशांतर और अक्षांश की गलत रिकॉर्डिंग से आम निर्दोष नागरिक का उत्पीड़न नहीं होगा. निर्देश में कहा गया है कि आपातकालीन सेवा यूपी 112 के अपर पुलिस महानिदेशक हर जिले से कम से कम एक देशांतर/अक्षांश डेटा को चुनेंगे और गूगल अर्थ का उपयोग करके उस जगह यूपी 112 के वाहन को भेजकर जांच कराएंगे. डीजीपी के मुताबिक, इसके तहत जिले भर से तीन दिनों के भीतर सभी एचएस डेटा को क्लाउड पर इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से 3 दिनों के भीतर संकलित किया जाएगा.
पुलिस प्रवक्ता ने बताया कि डीजीपी ने यूपी-112 के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक को निर्देश दिया है कि वे प्रत्येक जिले से कम से कम एक डाटा चुनेंगे और गूगल का इस्तेमाल करते हुए एक टीम भेजकर जांच करेंगे.
अक्षांश और देशांतर (लॉन्गिट्यूड एंड लैटिट्यूड ) को आमतौर पर उस भौगोलिक निर्देशांक के रूप जाना जाता है, जिससे पृथ्वी पर किसी जगह की स्थिति का पता लगाया जा सकता है. इन निर्देशांकों का उपयोग करके कई बिंदुओं के स्थान, दूरी और दिशा का निर्धारण आसानी से किया जा सकता है. अक्षांश और देशांतर को डिग्री (°) में मापा जाता है क्योंकि वे कोणीय दूरी को दर्शाते हैं.
आपने देखा होगा कि आजकल गूगल लोकेशन की वजह से आप किसी भी अंजान जगह पर आसानी से पहुंच सकते हैं. लोकेशन को ट्रैक करने के लिए जीपीएस Longitude and Latitude के कॉर्डिनेट्स (डिग्री में एक वैल्यू) को यूज करता है . हमारी पृथ्वी को मापने के लिए कुछ इमेजिनरी लाइन बनाई गई हैं और अगर औपको Longitude and Latitude की वैल्यू पता चल जाएगी तो उससे आप किसी भी पते का पता लगा सकते हैं.
आपको बता दें कि आरके विश्वकर्मा ने अप्रैल 2023 में कार्यवाहक डीजीपी के रूप में कामकाज संभाला था और वह करीब 2 महीने ही इस पद पर बने रहेंगे, क्योंकि 2 महीने बाद वह भी रिटायर हो रहे हैं. आरके विश्वकर्मा उत्तर प्रदेश के जौनपुर के रहने वाले हैं और 1988 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं. आरके विश्वकर्मा ने आईआईटी रुड़की से बीटेक और आईआईटी दिल्ली से एमएस किया है और इसके साथ ही उन्होंने आईआईटी दिल्ली से ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में पीएचडी की है.
अपर पुलिस महानिदेशक के रूप में पुलिस तकनीकी सेवाएं में तैनात रहने के दौरान विश्वकर्मा ने पूरे पुलिस विभाग का कम्प्यूटराइजेशन करने में बड़ी भूमिका निभाई थी. ऑनलाइन एफआइआर, चार्जशीट, केस डायरी सभी कम्यूटराइज किया गया. लॉस्ट एंड फाउंड सर्विस जैसे कई मोबाइल एप लॉन्च कर यूपी पुलिस को देश की सबसे अत्याधुनिक पुलिस बल में से एक बनाने में बड़ी भूमिका थी.