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ड्रोन, पिंजड़े और अधिकारियों की पूरी टीम... फिर भी बहराइच का 'Operation Bhediya' नाकाम, हर रोज कर रहा हमला

बहराइच में भेड़ियों का आतंक (Bahraich Wolf Terror) थम नहीं रहा. बीती रात गिरधरपुर इलाके में भेड़ियों ने फिर से 5 साल की एक बच्ची पर हमला कर दिया. इस हमले में बच्ची के गले और सिर पर चोटें आईं हैं. वन विभाग, पुलिस, पीएसी समेत सैकड़ों कर्मियों की टीम होने के बावजूद जिले में भेड़िये के हमले रुक नहीं रहे.

बहराइच में भेड़ियों का आतंक बहराइच में भेड़ियों का आतंक
aajtak.in
  • बहराइच ,
  • 03 सितंबर 2024,
  • अपडेटेड 12:07 PM IST

यूपी के बहराइच में भेड़ियों का आतंक (Bahraich Wolf Terror) थम नहीं रहा. बीती रात गिरधरपुर इलाके में भेड़ियों ने फिर से 5 साल की एक बच्ची पर हमला कर दिया. इस हमले में बच्ची के गले और सिर पर चोटें आईं हैं. गनीमत रही कि उसकी जान बच गई. इससे पहले भेड़ियों ने ढाई साल की एक बच्ची को मार डाला था. वहीं, एक 65 साल की महिला पर भी अटैक किया था. इन आदमखोरों ने अब तक 10 लोगों का शिकार किया है, जिनमें 9 बच्चे हैं. दर्जनों लोगों को घायल भी कर चुके हैं. 

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भेड़ियों के बढ़ते हमलों को देखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक हाई लेवल मीटिंग की है. अधिकारियों की लंबी-चौड़ी टीम घटनास्थल भेजी है. प्रभावित इलाकों में हाइटेक ड्रोन से निगरानी की जा रही है, जगह-जगह पिंजड़े लगाए गए हैं और भी तमाम तरकीब अपनाई जा रही हैं. लेकिन हमले कम होने का नाम नहीं ले रहे. इसको लेकर ग्रामीणों में आक्रोश है. 

करीब 35 गांवों भेड़ियों का आतंक 

फिलहाल, चार भेड़िये पकड़े जा चुके हैं, मगर दो अभी भी फरार हैं. वैसे तो वन विभाग भेड़ियों की संख्या 6 बता रहा है मगर ग्रामीण इनकी संख्या दर्जन भर से ज्यादा होने का दावा कर रहे हैं. हालांकि, भेड़ियों की तलाश जारी है. करीब 35 गांवों के लोगों में दहशत है, खासकर महसी तहसील के. क्योंकि, इसी इलाके में सबसे ज्यादा आदमखोर जानवर के हमले हुए हैं. 

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पकड़ने में 5 वन प्रभागों की टीम जुटी 

इन आदमखोर भेड़ियों को पकड़ने के लिए 5 वन प्रभागों बहराइच, कतर्नियाघाट वाइल्ड लाइफ, श्रावस्ती, गोंडा और बाराबंकी की लगभग 25 टीमें लगी हुई हैं. चूंकि, भेड़िये के ज्यादातर हमले महसी तहसील क्षेत्र में देखे गए हैं. इसलिए 25 टीमों में से केवल महसी क्षेत्र में 12 टीमें लगाई गई हैं. सुरक्षा के लिए दो कंपनी PAC जवानों के साथ पुलिस लगी हुई है.  

रंग-बिरंगी गुड़ियों का भी इस्तेमाल 

इन सबके बीच आदमखोर भेड़ियों को पकड़ने के लिए वन विभाग अब रंग-बिरंगी गुड़ियों (टेडी डॉल) का इस्तेमाल कर रहा है. इन 'टेडी डॉल' को दिखावटी चारे के रूप इस्‍तेमाल किया जा रहा है. खास बात ये है कि इन 'डॉल' को बच्चों के यूरिन में भिगोया गया है, ताकि इनसे बच्चों जैसी गंध आए और भेड़िये इनकी तरफ खिंचे चले आएं. इन 'टेडी डॉल' को नदी के किनारे, भेड़ियों के आराम करने के स्थानों और मांद के करीब रखा गया है.

बड़े अफसर घटनास्थल पहुंचे

सीएम योगी के आदेश पर कई बड़े अफसर घटनास्थल भी पहुंचे हैं, जिसमें वन निगम के एमडी (IFS) संजय कुमार, मुख्य वन संरक्षक (IFS) एचवी गिरीश, दो DFO और 2 सहायक वन संरक्षक समेत 10 अफसर शामिल हैं. अब सर्च ऑपरेशन MD संजय कुमार और CCF एचवी गिरीश के संयुक्त नेतृत्व में चलेगा. वहीं, CCF रेनू सिंह पुलिस-प्रशासन के साथ समन्वय करते हुए रेस्क्यू टीमों का सहयोग करेंगी.

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ग्रामीणों में डर और आक्रोश 

प्राप्त जानकारी के मुताबिक, बहराइच जिले के महसी तहसील क्षेत्र में जारी भेड़ियों के हमलों में जनहानि रोकने के लिए डीएम ने 32 राजस्व टीमें जागरूकता के लिए तैनात की हैं, साथ ही 11 अधिकारियों को नोडल बनाया है. यही नहीं वन विभाग की दर्जनों टीमें लगातार सर्च ऑपरेशन कर रही हैं. बावजूद इसके क्षेत्र में भेड़ियों के हमले नहीं रुक रहे हैं और इससे लोगों में डर के साथ आक्रोश भी बढ़ रहा है. उनका कहना है कि 'ऑपरेशन भेड़िया' नाकाम रहा है, हर रोज भेड़िया हमला कर रहा, इतने दिनों बाद भी आदमखोर पर काबू नहीं पाया जा सका है. 

जिला प्रशासन ने क्या कहा? 

बहराइच की डीएम मोनिका रानी ने कहा कि हमने 4 भेड़ियों को पकड़ लिया है, 2 बचे हैं. हमारी टीम लगातार गश्त कर रही है, हम उन्हें जल्द से जल्द पकड़ने की पूरी कोशिश कर रहे हैं. मैं लोगों से घर के अंदर सोने का अनुरोध करती हूं. एक ढाई साल की बच्ची पर भेड़िये ने हमला किया है. ऐसे में यहां के लोगों से सतर्क रहने का अनुरोध करती हूं.

वहीं, डिविजनल फॉरेस्ट ऑफिसर अजीत प्रताप सिंह ने न्यूज एजेंसी को बताया कि भेड़िये लगातार अपनी जगह बदल रहे हैं. आमतौर पर वो रात में शिकार करते हैं और सुबह तक अपनी मांद में लौट आते हैं. हमारी रणनीति उन्हें गुमराह करने और इंसानों के रहने वाली जगहों से दूर उनकी मांद के पास रखे जाल या पिंजरों की तरफ ले जाने की है. हम थर्मल ड्रोन के जरिए उन पर नजर रख रहे हैं और फिर पटाखे छोड़कर, शोर मचाकर उन्हें जाल के पास सुनसान इलाकों की तरफ ले जाने की कोशिश कर रहे हैं.

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उन्होंने आगे बताया कि चूंकि ये जानवर मुख्य रूप से बच्चों को निशाना बना रहे हैं, इसलिए रंग-बिरंगे कपड़ों वाली डॉल्स बच्चों के यूरिन में भिगोकर रखी जा रही हैं. बच्चों के यूरिन की गंध जाल के पास इंसान की मौजूदगी का झूठा आभास कराएगी.

(इनपुट: राम बरन चौधरी, समर्थ श्रीवास्तव, अभिषेक मिश्रा, कुमार अभिषेक)

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