
उत्तर प्रदेश के एटा में साल 2006 में हुए फर्जी एनकाउंटर मामले में सीबीआई कोर्ट ने बुधवार को पुलिसकर्मियों को दोषी ठहराते हुए सजा का ऐलान किया है.
सीबीआई कोर्ट ने फर्जी एनकाउंटर मामले 5 आरोपियों को आजीवन कारावास के साथ सभी पर 33000-33000 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है. बाकी चार अन्य आरोपियों को 5 साल की सजा के साथ 11000 रुपये का जुर्माना लगाया है. वहीं एक आरोपी की सुनवाई के दौरान मौत हो चुकी है.
16 साल के लंबे समय के बाद फर्जी मुठभेड़ में मारे गए बेगुनाह शख्स को बुधवार को सीबीआई कोर्ट से ये इंसाफ मिला है. यूपी के एटा में सन 2006 में राजा राम नाम के बढ़ई का फर्जी एनकाउंटर का मामला सामने आया था जिसके बाद राजा राम की पत्नी ने लोअर कोर्ट से लेकर हाई कोर्ट में एनकाउंटर के खिलाफ अपील की थी.
इसके बाद हाईकोर्ट ने मामला सीबीआई को सौंप दिया था. 2006 के इस मामले में सीबीआई कोर्ट ने आरोपियों पर दोष सिद्ध कर दिए थे जिसके बाद बुधवार को सजा पर बहस के बाद इसका ऐलान किया गया.
जानकारी के अनुसार फर्जी मुठभेड़ में मारा गया शख्स राजा राम बढ़ई का काम किया करता था और कई पुलिसवालों के घर भी काम कर चुका था, पुलिस वाले उसे अच्छी तरह से परिचित थे लेकिन एनकाउंटर के बाद पुलिस ने उसकी लाश का अंतिम संस्कार भी अज्ञात तरीके से किया था.
पुलिसकर्मियों ने राजा राम को लूट में शामिल बताते हुए उसका एनकाउंटर किया था लेकिन पुलिस उस हथियार को पेश नहीं कर पाई थी जिससे कथित तौर पर उसने लूट को अंजाम दिया था.
इस मामले में अब कोर्ट ने तत्कालीन इंस्पेक्टर पवन कुमार सिंह समेत पाल सिंह, थानेदार राजेंद्र प्रसाद, सरनाम सिंह और मोकम सिंह को हत्या और सबूत मिटाने का दोषी मानते हुए सजा सुनाई है और जुर्माना भी लगाया है.
अन्य आरोपियों में बलदेव प्रसाद, सुमेर सिंह, अजय कुमार और अवधेश रावत को सुबूत मिटाने के तहत पांच-पांच साल की सजा और 11000 रुपये का जुर्माना लगाया है. तत्कालीन इंस्पेक्टर पवन कुमार सिंह के वकील ने मुठभेड़ के इस मामले में अब हाई कोर्ट में अपील करने का दावा किया है.