
यूपी के इटावा में 28 साल की एक युवती लिंग परिवर्तन (Gender Change) कराकर युवक बन गई. उसने अपना नाम शालिनी से शानू शुक्ला रख लिया. शालिनी काफी समय से अपना जेंडर चेंज कराना चाहती थीं लेकिन परिवार के लोग इजाजत नहीं दे रहे थे. हालांकि, बाद में उन्होंने सहमति दे दी और कई मेडिकल प्रक्रियाओं से गुजरने के बाद शालिनी की इच्छा पूरी हुई. जेंडर डिस्फोरिया के तहत बचपन से ही उसे लड़कों की तरह रहना पसंद था.
थाना फ्रेंड्स कॉलोनी क्षेत्र निवासी शालिनी से शानू बने युवक ने बताया कि जेंडर चेंज के लिए अलग-अलग कई चरणों से गुजरना पड़ता है. दो वर्ष पूर्व हार्मोन थेरेपी करवाई थी. फिर ब्रेस्ट रिमूव करवाया. अब प्राइवेट पार्ट भी डेवलप किया जा रहा है. इसमें लाखों का खर्च आया है. अपनी शादी के पैसों को सर्जरी पर लगा दिया, क्योंकि शादी नहीं करनी थी.
आपने जेंडर चेंज का मन क्यों बनाया? इस सवाल के जवाब में शानू शुक्ला ने कहा कि पिता होमगार्ड की नौकरी करते हैं. परिवार में तीन बहन और एक बड़ा भाई था. लेकिन 2019 में भाई की सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी. उसके जाने के बाद माता-पिता डिप्रेशन के शिकार हो गए थे. ऐसी स्थिति में खुद को लड़का बनाने की ठानी. आखिरकार माता-पिता को डिप्रेशन से बाहर निकालने के लिए जेंडर चेंज करवाकर खुद लड़की से लड़का बन गई.
फिलहाल, बाकी दोनों बहनों की शादी हो गई है. शालिनी खुद शादी नहीं करना चाहती थी इसलिए बड़े भाई के बच्चों को पालने की जिम्मेदारी अपने सिर ले ली. जेंडर चेंज करवाने के बाद अब वह उनकी जिम्मेदारी उठा रही है.
मेडिकल सर्जरी के बारे में बताते हुए शानू ने कहा कि बचपन से ही लड़कों की तरह रहना पसंद था. शर्ट-पैंट पहनना हो या उनके साथ खेलना-कूदना, सारे काम लड़कों वाले थे. मन ही मन लड़का बनने की इच्छा भी थी, लेकिन घर वालों की मंजूरी नहीं मिली. हालांकि, भाई की मौत के बाद परिवार वालों को समझाया तो वो मान गए.
बकौल शानू- सर्जरी के लिए इंदौर और दिल्ली के डॉक्टर से संपर्क किया. सर्जरी में काफी खर्च आने वाला था. इसपर परिजनों से कहा कि जो खर्च आप मेरी शादी में करेंगे वो सर्जरी पर कर दीजिए. वैसे भी मुझे शादी नहीं करनी है. सबसे पहले हार्मोन थेरेपी करवाई, ब्रेस्ट हटवाए, यूट्रस हटवाया और अब प्राइवेट पार्ट डेवलप की तैयारी है.
अब शानू के लड़कों की तरह दाढ़ी-मूंछ भी निकली आई है. आवाज में भी परिवर्तन हो गया है. शारीरिक परिवर्तन भी देखा जा सकता है. सबसे खास बात कि शानू पूरी तरह से स्वस्थ है. वह अपने माता-पिता को डिप्रेशन से बाहर निकालने में भी कामयाब हो गया है. बड़े भाई के निधन के बाद से शानू ही परिवार में लड़के का कर्तव्य निभा रहा है. अब सारे डॉक्यूमेंट में नाम बदलने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है.
इस मामले को लेकर सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी के सर्जरी विभाग के प्रोफेसर डॉ सोमेंद्र पाल ने बताया कि जेंडर डायस्फोरिया के लक्षण के कारण अक्सर लड़की लड़के की तरह से रहना चाहती है. तभी वह जेंडर चेंज के लिए सर्जरी का फैसला लेते हैं. जेंडर चेंज करवाना एक चुनौतीपूर्ण काम है, इसमें लाखों रुपए का खर्चा भी आता है. इसके लिए सबसे पहले मानसिक रूप से तैयार रहना पड़ता है.
इसमें हार्मोन थेरेपी, ब्रेस्ट सर्जरी करवाई जाती है. प्राइवेट पार्ट को डेवलप किया जाता है. इस पूरी प्रक्रिया में मनोरोग विशेषज्ञ, गाइनेकोलॉजिस्ट, न्यूरोसर्जन सभी डॉक्टर्स की टीम मौजूद रहती है और कम से कम 21 साल से अधिक की उम्र के बाद ही यह सर्जरी संभव होती है. जेंडर बदलने के बाद प्रमाण पत्र फिर से बनवाए जाते हैं. डॉक्टर से लिखित प्रमाण पत्र और डीएम से अनुमति लेनी पड़ती है.