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फर्रूखाबाद ग्राउंड रिपोर्ट: वो सवाल, जिनसे पुलिस की थ्योरी पर उठ रहे सवाल

फर्रूखाबाद में जिन दो लड़कियों के शव पेड़ से लटके हुए मिले हैं, उन दोनों सहेलियों के पिताओं ने आरोप लगाया है कि उनकी हत्या की गई है. जबकि पुलिस का कहना है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में न तो चोट के निशान मिले हैं और न ही रेप की पुष्टि हुई है.

फर्रूखाबाद केस में पुलिस थ्योरी पर उठ रहे सवाल फर्रूखाबाद केस में पुलिस थ्योरी पर उठ रहे सवाल
aajtak.in
  • फर्रूखाबाद,
  • 29 अगस्त 2024,
  • अपडेटेड 2:13 PM IST

उत्तर प्रदेश के फर्रूखाबाद में 27 अगस्त की सुबह आम के बाग में दो लड़कियों के शव लटके मिले थे. ये दोनों सहेलियां थीं और जन्माष्टमी पर आयोजित कार्यक्रम देखने गई थीं. वो रात में घर नहीं लौटीं और सुबह उनके शव एक ही दुपट्टे से पेड़ पर लटके मिले. पुलिस ने उनकी हत्या या रेप की आशंका से इनकार कर दिया है. पुलिस का कहना है कि पोस्टमार्टम में उनकी बॉडी पर किसी तरह के चोट के निशान नहीं मिले हैं और न ही उनके साथ रेप की पुष्टि हुई है, लेकिन दोनों मृतक लड़कियों के परिजन पुलिस की थ्योरी पर सवाल उठा रहे हैं.  

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लड़कियों के पिता और गांववालों का कहना है कि जब उन्हें किसी तरह की कोई दिक्कत ही नहीं थी तो फिर वो फांसी लगाकर आत्महत्या क्यों करेंगी? उनका ये भी कहना है कि लड़कियों के शरीर पर चोट के निशान भी मिले हैं और बेल के कांटे भी चुभे हैं. उन्होंने ये भी कहा कि एक ही दुपट्टे से पेड़ पर कैसे दोनों लड़कियां लटक सकती हैं.  

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क्या है पुलिस की थ्योरी? 

मुख्य चिकित्सा अधिकारी अवनींद्र सिंह ने बताया कि डॉक्टरों के एक पैनल द्वारा पोस्टमॉर्टम किया गया. उनकी मौत फांसी लगने से ही हुई. बॉडी पर किसी तरह के चोट के निशान नहीं पाए गए. वहीं पुलिस ने कहा कि पोस्टमार्टम की रिपोर्ट उनकी प्रारंभिक जांच से मिल रही है. पुलिस का कहना है कि इस रिपोर्ट से यह भी स्पष्ट है कि ये आत्महत्या का मामला है. इस घटना के हर पहलू की बारीकी से जांच की जा रही है.   

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पुलिस की थ्योरी पर क्या सवाल उठ रहे हैं? 

न्यूज एजेंसी के मुताबिक, पुलिस की इस थ्योरी पर परिजन और गांववाले सवाल उठा रहे हैं. मृत लड़कियों में से एक के पिता ने आरोप लगाया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट फर्जी है. उन्होंने न्यूज एजेंसी से बात करते हुए कहा, "आपको पता चल गया कि उन्होंने फांसी लगाकर आत्महत्या की है, लेकिन उनके शरीर पर चोट के निशान का उल्लेख आपकी रिपोर्ट में नहीं किया गया है. यह सब फर्जी है. सभी रिपोर्टें झूठी हैं."  

न्यूज एजेंसी से बात करते हुए गांव वालों ने कहा कि अगर कोई पेड़ पर अचानक लटक जाता है तो झटका लगता है, जिससे पेड़ की शाखा टूट जानी चाहिए थी, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि पुलिस ने सबसे पहले आकर शव को नीचे उतारा, हमें देखने भी नहीं दिया. सारा काम बहुत जल्दबाजी में किया गया. दोनों लड़कियों के शरीर पर पिटाई से चोट के निशान थे, जिसका वीडियो हमारे पास है, लेकिन पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के बाद पुलिस ने इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी.

उन्होंने कहा, मैंने पुलिस से फॉरेंसिक टीम के आने का इंतजार करने को कहा, लेकिन पुलिस पहले आ गई और घटनास्थल से शवों को हटाकर सारा काम शुरू कर दिया. जबकि लड़कियों के पिता का कहना है कि लड़कियां खुशी-खुशी घर से बाहर गई थीं, कोई टेंशन नहीं थी, किसी ने उन्हें डांटा नहीं, फिर अचानक उन्होंने फांसी क्यों लगा ली?

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लड़कियों में से एक के पिता ने कहा कि वे खुद को फांसी नहीं लगा सकतीं. किसी ने उनकी हत्या की होगी. दूसरी मृतक लड़की के पिता ने भी कहा कि उन्हें संदेह है कि लड़कियों की हत्या की गई है. उन्होंने कहा, "हम चाहते हैं कि सच्चाई सामने आए. हमारी किसी से कोई दुश्मनी नहीं है."

अधिकारियों से मुलाकात के बाद अंतिम संस्कार को सहमत हुए परिवार

पुलिस ने बताया कि लड़कियों के परिवार के सदस्यों ने शुरू में शवों का अंतिम संस्कार करने से इनकार कर दिया और जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस अधीक्षक से मिलने की मांग की. परिवारों ने मंगलवार को मामले की सीबी-सीआईडी ​​जांच की मांग की थी. बाद में अधिकारियों ने परिवार के सदस्यों से मुलाकात की और उन्हें मामले की त्वरित जांच का आश्वासन दिया, जिसके बाद परिवार मृतक के अंतिम संस्कार के लिए आगे बढ़ने पर सहमत हुए.   

अखिलेश और राहुल गांधी ने बीजेपी को घेरा

वहीं इस मामले में सपा मुखिया अखिलेश यादव और कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी सवाल उठाए हैं. अखिलेश ने कहा कि आनन-फानन में किए गए अंतिम संस्कार का लक्ष्य क्या सबूत मिटाना है? ये प्रश्न हाथरस से लेकर फर्रूखाबाद तक भाजपा के कुशासन का पीछा नहीं छोड़ेगा. वहीं राहुल गांधी ने कहा कि भाजपा सरकार में ‘न्याय की उम्मीद’ करना भी गुनाह है. कमजोरों और वंचितों के खिलाफ गंभीर से गंभीर घटनाओं में भी जिनकी प्राथमिकता न्याय नहीं अपराध छिपाना हो, उनसे कोई क्या ही उम्मीद करे? फर्रूखाबाद में हुई घटना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है, पीड़ित परिवार के साथ प्रशासन का ऐसा रवैया किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. आखिर यह सब कब तक सहन किया जा सकता है? एक समाज के रूप में हमारे सामने ये बहुत बड़ा सवाल है! सुरक्षा भारत की हर बेटी का अधिकार है और न्याय हर पीड़ित परिवार का हक.

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