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जॉब छोड़ी, लॉ की पढ़ाई फिर... वकील बनकर पिता के हत्यारों को दिलाई सजा

ग्रेटर नोएडा में रहने वाले आकाश ने पिता के हत्यारों को सजा दिलाने के लिए अपनी प्राइवेट नौकरी छोड़ी. फिर लॉ की पढ़ाई कर वकील बना. इसके बाद 10 साल कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद अपने पिता के दो हत्यारों को उम्रकैद की सजा दिलाने में कामयाबी हासिल की. साल 2013 को आकाश के पिता पालेराम की घर घुसकर हत्या कर दी गई थी.

आकाश ने वकील बनकर पिता के हथियारों को दिलाई सजा आकाश ने वकील बनकर पिता के हथियारों को दिलाई सजा
अरुण त्यागी
  • ग्रेटन नोएडा ,
  • 07 दिसंबर 2023,
  • अपडेटेड 8:28 PM IST

उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में रहने वाले एक शख्स 10 साल कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद अपने पिता के हथियारों को उम्रकैद की सजा दिलाई. इसके लिए मृतक के बेटे आकाश ने अपनी नौकरी छोड़ी फिर लॉ की पढ़ाई कर वकील बना और पिता के हत्यारों को सजा दिलाने के लिए लंबी कानूनी लड़ाई लड़ जीत हासिल की. बताया जा रहा है कि सबूतों के अभाव के चलते दोनों आरोपियों को कोर्ट ने बरी कर दिया गया था. लेकिन वकील बनने के बाद आकाश ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दोनों आरोपियों को आजीवन कारावास कराया. 

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यह मामला 10 साल पहले नोएडा के थाना 39 क्षेत्र में स्थित रायपुर गांव का है. 31 दिसंबर 2013 को आकाश के पिता पालेराम घर पर थे तभी गांव के ही राजपाल चौहान और उसके तीन बेटे बाइक पर सवार होकर आए और 4 गोली पालेराम को मार दी जिससे मौके पर ही उनकी मौत हो गई. बताया जा रहा है कि आरोपियों ने पालेराम की हत्या इसलिए की थी क्योंकि वो गांव के पास यमुना खादर में की जा रही अवैध खनन और ग्राम समाज की भूमि पर अवैध अतिक्रमण के खिलाफ आवाज उठा रहे थे.

वकील बन पिता के हत्यारों को दिलाई सजा

वकील आकाश ने बताया कि उसका भाई रविंद्र चौहान पिता पालेराम की हत्या का चश्मदीद गवाह था. उसे भी हत्यारों ने मार डाला था रविंद्र का शव बीते  21 जून 2014 को दिल्ली के नरेला के पास रेलवे ट्रैक पर पड़ा मिला था. शिकायत के बाद भी स्थानीय प्रशासन ने इसमें कोई जांच नहीं की. जिसकी वजह से रविंद्र चौहान की मौत आज भी राज बनी हुई है. इसके अलावा आकाश ने बताया कि उसके पिता की हत्या राजपाल चौहान व उसके लड़के सोनू उर्फ सूरज, कुलदीप, जितेंद्र ने हत्या करी थी. 

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सबूतों के अभाव के चलते हत्यारों को बरी कर दिया गया था

इस मामले में पुलिस ने भी कई दफा गुमराह किया और कोर्ट में भी इस केस की सही तरीके से पैरवी नहीं हो पाई थी. हत्यारों को सजा दिलाने के लिए वो लगातार कोर्ट के चक्कर काट रहा था. इस दौरान आकाश की मुलाकात तत्कालीन DGC क्रिमिनल के पद पर तैनात केके सिंह से हुई और उन्होंने उसे लॉ करने की सलाह दी.  पिता के आरोपियों को सजा दिलाने के लिए इससे अच्छा रास्ता आकाश को नहीं लगा और उसने भी ऐसा ही किया.  

दोनों आरोपियों को कोर्ट ने दी उम्रकैद

कड़ी मेहनत और लगन के साथ आकाश ने लॉ की पढ़ाई शुरू की. वकील बनने के बाद 10 साल तक केस लड़ा और दो आरोपियों को उम्रकैद की सजा दिलाने में कामयाब रहा. इस दौरान आकाश को कई बार धमकियां मिलीं और केस को रफा-दफा करने के लिए रुपयों का लालाच भी दिया गया. जिन दो आरोपियों को सजा हुई है उसमें एक दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल था. 

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