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जेल में कैदी को दिया जा सकता है जहर? जानें मुख्तार अंसारी की मौत पर क्या बोले पूर्व जेलर

इस बीच पूर्व जेलर एसके अवस्थी के ने जेल मैन्युअल का हवाला देते हुए कहा है कि जेल के भीतर पॉइजन देने का मतलब ही नहीं है. उन्होंने कहा कि जेल मैनुअल के मुताबिक मुख्तार अंसारी को पौष्टिक खाना दिया जाता था. उसमें पहले जेल सुपरिंटेंडेंट खुद भोजन को टेस्ट करता है, उसके बाद वह आगे कैदी को दिया जाता है. जेल का खाना होटल जैसा होता है.

मुख्तार अंसारी की फाइल फोटो. मुख्तार अंसारी की फाइल फोटो.
आशीष श्रीवास्तव
  • लखनऊ,
  • 01 अप्रैल 2024,
  • अपडेटेड 11:37 PM IST

बांदा जेल में बंद माफिया मुख्तार अंसारी की मौत के बाद उसे सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया है. उसका परिवार लगातार उसकी मौत पर सवाल उठ रहा है. परिवार का आरोप है कि मुख्तार को जेल में जहर दिया गया. मरने से पहले खुद मुख्तार अंसारी भी कोर्ट में पेशी के दौरान खुद को स्लो पॉइजन देने का आरोप लगा चुका था. मामले की न्यायिक जांच के आदेश भी दिए गए हैं. हालांकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट उसकी मौत की वजह सिर्फ हार्ट अटैक बता रही है. 

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इस बीच पूर्व जेलर एसके अवस्थी के ने जेल मैन्युअल का हवाला देते हुए कहा है कि जेल के भीतर पॉइजन देने का मतलब ही नहीं है. उन्होंने कहा कि जेल मैनुअल के मुताबिक मुख्तार अंसारी को पौष्टिक खाना दिया जाता था. उसमें पहले जेल सुपरिंटेंडेंट खुद भोजन को टेस्ट करता है, उसके बाद वह आगे कैदी को दिया जाता है. जेल का खाना होटल जैसा होता है. सुबह नाश्ता , दोपहर के 11 बजे के बाद भोजन दिया जाता है. शाम की चाय दी जाती है. दलिया, भुना चना भी दिया जाता है. शाम को फिर खाना दिया जाता है.

अवस्थी ने बताया कि महिला वार्ड का खाना अलग बनाता है और पुरुष का अलग. डिप्टी जेलर के प्रभाव में रहता है सभी का खाना. भोजन सामने ले जाया जाता है, फिर चेक कराया जाता है. जेलर की देख-रेख में सब किया जाता है. अपनी सेल से निकलकर कैदी खाना लेता है और रोजे के समय शहरी और अफतरी में अलग अलग भोजन दिया जाता है. जिला मजिस्ट्रेट और एसपी द्वारा समय-समय पर भोजन का निरक्षण किया जाता है.

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उन्होंने बताया कि ऐसे जहर नहीं दिया जाता है. माफियाओं को खुद खतरा होता है, इसलिए यह सब ऑनलाइन पेश की बात करते हैं. सीसीटीवी की मौजदगी रहती है. मेडीकल जेल के अंदर होता है और एमबीबीएस डॉक्टर रहते हैं. ऐसे में कोई दिक्कत नहीं होती है. अगर जरूरत होती है तो स्पेशलिस्ट डॉक्टर को जेल में बुलाया जाता है और ज्यादा सीरियस होने पर उसको बाहर मेडिकल कालेज में एडमिट किया जाता है.

जाब की रोपड़ जेल शिफ्ट हो गया था मुख्तार

यूपी सरकार की पहल और सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 7 अप्रैल 2021 को मुख्तार अंसारी को पंजाब की रोपड़ जेल से वापस बांदा जेल शिफ्ट कर दिया गया. अंसारी परिवार ने तब भी इसका विरोध किया था और कहा था कि बांदा जेल में मुख्तार की जान को खतरा है. यहां तक कि जब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कोई रास्ता नहीं बचा, तब मुख्तार अंसारी की सेहत का भी हवाला दिया गया, तब मुख्तार अंसारी रोपड़ जेल से यूपी की बांदा जेल तक यूपी पुलिस की कड़ी सुरक्षा के बीच एक एंबुलेंस में आया था.

7 अप्रैल 2021 को बांदा जेल आने के बाद से अगले तीन सालों में यानी इसी महीने की 19 तारीख तक मुख्तार बिल्कुल ठीक ठाक था. इस दौरान अंसारी परिवार की तरफ से भी यूपी पुलिस या जेल प्रशासन पर मुख्तार को स्लो पॉइजन दिए जाने के कोई इल्जाम नहीं लगाए गए थे. लेकिन फिर 19 मार्च को मुख्तार की तबीयत बिगड़ी और उसके बाद से परिवार ने इल्जाम लगाना शुरू कर दिया.

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