Advertisement

20 साल पहले हुई मधुमिता शुक्ला हत्याकांड की पूरी कहानी जिसमें रिहा हो रहे अमरमणि-मधुमणि

मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में जेल की सजा काट रहे यूपी के बाहुबली नेता अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि को जेल से रिहा करने का आदेश दिया गया है. आज हम आपको उस वक्त की उभरती हुई कवियत्री मधुमिता शुक्ला की हत्या की वो पूरी कहानी बताएंगे जिसने अमरमणि त्रिपाठी के राजनीतिक करियर को ही खत्म कर दिया.

मधुमिता शुक्ला हत्या मामले में रिहा होंगे अमरमणि त्रिपाठी और मधुमणि मधुमिता शुक्ला हत्या मामले में रिहा होंगे अमरमणि त्रिपाठी और मधुमणि
aajtak.in
  • लखनऊ,
  • 25 अगस्त 2023,
  • अपडेटेड 5:24 PM IST

कवियत्री मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में आजीवन कारावास की सजा काट रहे यूपी के चर्चित नेता अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि त्रिपाठी को जेल से रिहा किया जाएगा. सजा में ये कटौती उनकी सेहत और जेल में अच्छे व्यवहार की वजह से की जा रही है.

ऐसे में आज हम आपको मधुमिता शुक्ला हत्याकांड की वो कहानी बताएंगे जिसने अमरमणि त्रिपाठी के सितारों को गर्दिश में मिला दिया और उन्हें दो दशक (20 साल) जेल में बिताना पड़ा.

Advertisement

तारीख थी 9 मई 2003, यूपी की राजधानी लखनऊ में पेपर मिल कॉलोनी में सिर्फ 24 साल की उभरती हुई कवियत्री मधुमिता शुक्ला की गोली मारकर हत्या कर दी गई.

बदमाशों ने उनके दो कमरों के अपार्टमेंट में घुसकर बेहद करीब से उन्हें गोली मारी थी. जिस वक्त मधुमिता शुक्ला को गोली मारी गई उस वक्त वो 7 महीने की गर्भवती थी. हालांकि उनके गर्भवती होने की जानकारी बाद में सामने आई थी.

नौकर ने खोले थे अहम राज

मधुमिता शुक्ला की हत्या की खबर जैसे ही सामने आई कुछ ही मिनटों में पुलिस घटनास्थल पर पहुंच गई. जांच के दौरान पुलिस अधिकारियों को मधुमिता के नौकर ने जो जानकारी दी उससे हड़कंप मच गया. मधुमिता के घर काम करने वाले देशराज ने पुलिस को अमरमणि और मधुमिता के प्रेम प्रसंग के बारे में जानकारी दी. उस वक्त उत्तर प्रदेश में मायावती की सरकार थी और अमरमणि कद्दावर मंत्रियों में शुमार थे, इसलिए पुलिस बेहद संभल कर जांच कर रही थी.

Advertisement

जब मधुमिता के शव का पोस्टमार्टम करने के बाद उसके बॉडी को गृह जनपद लखीमपुर भेजा जा रहा था तो रास्ते मे ही एक पुलिस अधिकारी की नजर मेडिकल रिपोर्ट पर लिखी एक टिप्पणी पर पड़ी. मेडिकल रिपोर्ट पर जो लिखा था उसने जांच की पूरी दिशा ही बदल दी.

गर्भवती थी मधुमिता 

दरअसल, रिपोर्ट में मधुमिता के गर्भवती होने का जिक्र था. मधुमिता शुक्ला के प्रग्नेंट होने की जानकारी सामने आने के बाद अधिकारियों ने उसके शव को तत्काल रास्ते से ही वापस मंगवाकर दोबारा परीक्षण कराया. डीएनए जांच में सामने आया कि मधुमिता के पेट मे पल रहा बच्चा कद्दवार नेता अमरमणि त्रिपाठी का था. शुरुआत में इसकी जांच सीबी सीआईडी को दे दी गई. कहा जाता है कि इस केस में अमरमणि त्रिपाठी को क्लीन चिट नहीं दिए जाने के कारण तत्कालीन राज्य सरकार ने सीबी सीआईडी के महानिदेशक महेंद्र लालका को निलंबित कर दिया था.

मधुमिता शुक्ला की बहन निधि ने किया संघर्ष

चूंकि अमरमणि त्रिपाठी उस समय मंत्री थे और सरकार में उनका प्रभाव था इसलिए मधुमिता शुक्ला की बहन निधि शुक्ला को लगने लगा कि उनकी बहन को न्याय मिलना मुश्किल है क्योंकि सिस्टम अमरमणि त्रिपाठी के लिए काम कर रहा था. अपनी बहन को न्याय दिलाने और हत्यारे को जेल पहुंचाने के लिए निधि शुक्ला बड़े-बड़े मंत्रियों और अफसरों से मिलती रही लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ.

Advertisement

इसके बाद निधि शुक्ला बहन को इंसाफ दिलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई. उन्होंने निष्पक्ष जांच के लिए केस को लखनऊ से दिल्ली या फिर तमिलनाडु ट्रांसफर करने की मांग की. कोर्ट ने उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए साल 2005 में इस हाई प्रोफाइल हत्याकांड केस को उत्तराखंड ट्रांसफर कर दिया था.

सीबीआई ने किया पर्दाफाश

जांच के दौरान एक तरफ मधुमिता हत्याकांड में रोज नई-नई जानकारी सामने आ रही थी वहीं दूसरी तरफ सरकार पर निष्पक्ष जांच के लिए दबाव बढ़ता ही जा रहा था.  विपक्ष के तेवर और बढ़ते दबाव की वजह से बीएसपी सरकार को आखिरकार इस मामले की जांच सीबीआई से कराने की संस्तुति करनी पड़ी. केस हाथ में लेते ही सीबीआई ने 2003 के सितंबर महीने में अमरमणि त्रिपाठी को गिरफ्तार कर लिया.

जांच के दौरान जेल में रॉक कॉन्सर्ट करते थे अमरमणि त्रिपाठी

अमरमणि त्रिपाठी ने सीबीआई द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद जमानत की हर संभव कोशिश की लेकिन अदालतों ने उनकी याचिका को ठुकरा दिया. अमरमणि त्रिपाठी का रसूख इस कदर था कि जब मधुमिता हत्याकांड की जांच चल रही थी तो उन्हें पत्नी के साथ गोरखपुर जेल में रॉक कॉन्सर्ट करते हुआ पाया गया था.

जिस साल जीता चुनाव उसी साल मिली सजा

Advertisement

इसी दौरान 2007 में यूपी में विधानसभा के चुनाव हुए जिसमें जेल में रहते हुए भी अमरमणि त्रिपाठी ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में महराजगंज जिले के लक्ष्मीपुर सीट से चुनाव में जबरदस्त जीत हासिल की. उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल के निकटतम प्रतिद्वंद्वी कौशल किशोर को लगभग 20 हजार वोटों के अंतर से शिकस्त दी थी.

सीबीआई ने जब जांच शुरू की तो इस दौरान भी गवाहों को धमकाने के आरोप लगे जिस वजह से इस हाई प्रोफाइल हत्या के मामले को देहरादून की फास्ट ट्रैक कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया गया.

देहरादून की फास्ट ट्रैक कोर्ट हत्या के चार साल बाद 24 अक्टूबर 2007 को अमरमणि त्रिपाठी, उनकी पत्नी मधुमणि त्रिपाठी, भतीजा रोहित चतुर्वेदी और शूटर संतोष राय को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुना दी. 

हालांकि इसके बाद भी  यूपी के सियासी गलियारों में अमरमणि का दबदबा कभी कम नहीं हुआ. इस हत्याकांड में देहरादून की अदालत ने इन चारों को तो दोषी करार दिया, लेकिन एक अन्य शूटर प्रकाश पांडेय को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया.

हालांकि बाद में नैनीताल हाईकोर्ट ने प्रकाश पांडेय को भी दोषी पाते हुए इसी मामले में उम्रकैद की सजा सुना दी. इसके बाद से ही अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी इस मामले में जेल की सजा काट रहे थे.

Advertisement

अपहरण कांड में भी आया था अमरमणि त्रिपाठी का नाम

अब बात अगर अमरमणि त्रिपाठी के राजनीतिक रुतबे की करें तो हत्याकांड में नाम आने से पहले महराजगंज जिले का नौतनवां विधानसभा सीट यूपी के उन चुनिंदा विधानसभा क्षेत्र में शामिल था जहां चुनाव के दौरान पूरे प्रदेश की नजर रहती थी. इसके मुख्य कारण अमरमणि त्रिपाठी ही थे. इस विधानसभा से अमरमणि कई बार विधायक रहे और कल्याण सिंह के सरकार में पहली बार मंत्री बने थे. 

हालांकि कल्याण सिंह सरकार में ही एक अपहरण कांड में नाम सामने आने के बाद मुख्यमंत्री सिंह ने उन्हें मंत्री पद से बर्खास्त कर दिया था. इसके बाद अमरमणि त्रिपाठी का राजनीतिक करियर धीरे-धीरे ढलान की तरफ बढ़ता गया. बाद में अमरमणि त्रिपाठी ने अपनी राजनीतिक विरासत अपने बेटे अमनमणि को सौंप दी लेकिन वो भी पत्नी की हत्या के मामले में जेल की सजा काट रहा है.

अब अच्छे आचरण की वजह से राज्यपाल ने अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी को जेल से रिहा करने का आदेश दिया है तो एक बार फिर मधुमिता शुक्ला की बहन निधि शुक्ला ने इसका विरोध किया है.

मैंने 20 साल लड़ाई लड़ी है: निधि शुक्ला

उन्होंने कहा है कि मेरा अनुरोध है कि सुप्रीम कोर्ट के द्वारा इस मामले में की जाने वाली सुनवाई तक रिहाई के आदेश को रोका जाए, सिर्फ कुछ घंटों की बात है सुप्रीम कोर्ट के आदेश का इंतजार किया जाए. जब तक सुप्रीम कोर्ट कोई आदेश ना दे दे, मेरी विनती सुन लीजिए. यह मेरी 20 साल की लड़ाई है.'

Advertisement

आज इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई होनी है. बता दें कि पहले भी निधि ने कहा था कि अगर अमरमणि त्रिपाठी जेल से बाहर आते हैं तो उनकी जान को खतरा होगा. निधि शुक्ला अपनी बहन की हत्या और उसके बाद के संघर्ष पर एक किताब भी लिख रही जो करीब 400 पन्नों की है.


 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement