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IRS का बेटा, अमेरिका से PhD और मल्टीनेशनल कंपनियों में जॉब... 68 साल के फर्जी IPS की कहानी

गाजियाबाद में पकड़े गए 68 साल के फर्जी आईपीएस ने बताया कि उसके पिता एक आईआरएस अधिकारी थे. वो खुद येल यूनिवर्सिटी से पीएचडी करने अमेरिका गया था, लेकिन बीच में ही छोड़कर आ गया और फिर एमएनसी में काम करने लगा. जब वो 2015 में रिटायर हुआ, उसके बाद से वो खुद को 1979 बैच का आईपीएस बताकर ठगी की वारदातों को अंजाम दे रहा था.

गाजियाबाद में 68 साल का फर्जी IPS पकड़ा गया गाजियाबाद में 68 साल का फर्जी IPS पकड़ा गया
मयंक गौड़
  • गाजियाबाद,
  • 22 नवंबर 2024,
  • अपडेटेड 11:42 AM IST

गाजियाबाद में अपने साथी पर दर्ज मामले को निपटाने के लिए डीसीपी ऑफिस में धमकी देने वाला फर्जी आईपीएस गिरफ्तार हो गया है. उसने डीसीपी के पीआरओ को कॉल कर खुद को 1979 बैच का रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी बताया था. उसने पुलिस को बताया कि उसके पिता आईआरएस अधिकारी रहे हैं, जिसकी वजह से उसकी अधिकारियों के साथ अच्छी जान-पहचान थी और उसने इसका जमकर फायदा उठाया. 

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पुलिस ने बताया कि खुद को मणिपुर कैडर के 1979 बैच का रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी बताने वाले अनिल कटियाल (68) और उसके सहयोगी विनोद कपूर (69) को दिल्ली और गुरुग्राम से गिरफ्तार किया था. पुलिस ने कहा कि अनिल कटियाल ने वित्तीय लाभ कमाने और अनुचित लाभ पाने के लिए अपनी असली पहचान छिपाई.   

विदेश में पढ़ा, मल्टीनेशनल कंपनियों में जॉब  

उसने पुलिस पूछताछ में बताया कि उसके पिता एक आईआरएस अधिकारी रहे हैं और चचेरा भाई भी पुलिस अधिकारी था, जिसकी वजह से उसकी अधिकारियों से अच्छी जान-पहचान हो गई थी. उसने दिल्ली यूनिवर्सिटी के सेंट स्टीफेंस कॉलेज में पढ़ाई की और इस दौरान यूपीएससी की तैयारी भी की. उसके दोस्तों ने सिविल सेवा परीक्षा पास की. इसके अलावा जब वो वोडाफोन में कॉरपोरेट अफेयर्स में वाइस प्रेसिडेंट के पद पर काम कर रहा था, उस दौरान उसकी कई आईएएस, आईपीएस और अन्य उच्च अधिकारियों से जान पहचान बनती गई.  

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कंपनी से रिटायर होने के बाद से कर रहा है ठगी 

अनिल कटियाल ने बताया कि उसने 1979 में UPSC की परीक्षा दी थी, जिसमें वो असफल रहा. जिसके बाद वो अमेरिका की येल यूनिवर्सिटी से पीएचडी करने चला गया. हालांकि 1980 में वो पीएचडी बीच में ही छोड़कर भारत लौट आया. इसके बाद उसने हिंदुस्तान यूनिलीवर कंपनी ज्वॉइन की. यहां वो मैनेजर लेवल पर 20 साल तक जॉब करता रहा. उसके बाद साल 2000 में उसने यामहा कंपनी में चीफ जनरल मैनेजर पर ज्वॉइन किया. उसके बाद 2005 से 2015 तक वोडाफोन में रहा और यहां से वाइस प्रेसिडेंट, कॉरपोरेट अफेयर्स के पद पर काम करते हुए रिटायर हुआ. इसके बाद से ही वो लगातार ठगी की वारदात को अंजाम दे रहा है.  

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खुद को 1979 बैच का अधिकारी बताता था फर्जी आईपीएस 

इन सभी जान पहचान का फायदा उठाकर अनिल कटियाल ने अपने आप को 1979 बैच का आईपीएस अधिकारी बताना शुरू किया और सरकार के विभिन्न विभागों/कार्यालयों से धोखाधड़ी से दलाल एवं लाइजनर के रूप में काम कराना शुरू किया. उसकी पोल तब खुली जब उसने डीसीपी के साथ एक फोटो खिंचवाने की बात की.  

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फर्जी आईपीएस ने पीआरओ को क्या धमकी दी थी? 

अनिल कटियाल ने 14 नवंबर डीसीपी के पीआरओ नीरज राठौड़ को धमकी देते हुए कहा था कि उसके साथी पर इंदिरापुरम पुलिस थाने में केस दर्ज है. अगर उस केस को वापस नहीं लिया गया तो वो इंदिरापुरम पुलिस के खिलाफ ही फिरौती के लिए अपहरण का केस दर्ज कराएगा और इसमें शामिल सभी पुलिसकर्मियों को जिंदगी भर जेल में रहना होगा. इस मामले में पीआरओ ने साहिबाबाद पुलिस स्टेशन में केस दर्ज कराया था. 

इन धाराओं में दर्ज हुआ था केस 

इस मामले में पुलिस ने अनिल कटियाल और विनोद कपूर के खिलाफ बीएनएस की धारा 308 (जबरन वसूली), 221(सार्वजनिक कार्यों के निर्वहन में लोक सेवक को बाधा पहुंचाना), 204 (लोक सेवक का अपमान करना) और 318 (धोखाधड़ी) के तहत एफआईआर दर्ज की है. डीसीपी ने कहा कि कपूर जोकि इंदिरापुरम पुलिस मामले में आरोपी हैं. उसने भी इंदिरापुरम पुलिस थाने में जांच अधिकारी, सब-इस्पेक्टर प्रमोद हुडा को इसी तरह की धमकी दी थी.   

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