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UP: घोसी की हार से हिल गई बीजेपी, 2024 चुनाव के लिए खतरे की घंटी

घोसी में हुए उपचुनाव में बीजेपी उम्मीदवार दारा सिंह चौहान को करारी हाल मिली है जिसके बाद बीजेपी हिल गई है. इस उपचुनाव में हार को बीजेपी के लिए 2024 चुनाव में खतरे की घंटी माना जा रहा है. इस चुनाव में बीजेपी के कोर वोटर उनसे छिटकते हुए दिखाई दे रहे हैं.

घोसी उपचुनाव में दारा सिंह को मिली हार घोसी उपचुनाव में दारा सिंह को मिली हार
कुमार अभिषेक
  • लखनऊ,
  • 09 सितंबर 2023,
  • अपडेटेड 10:01 AM IST

यूपी के घोसी सीट पर हुए उपचुनाव में बीजेपी को उम्मीद थी कि वह इस बार चाहे जिस पर दांव लगा ले, इस सीट को वो जीत ही लेगा क्योंकि बीजेपी के पास ओमप्रकाश राजभर हैं. बीजेपी को भरोसा था कि समाजवादी पार्टी से आए दारा सिंह चौहान वो कैंडिडेट हैं जिनकी बिरादरी घोसी में बड़ी तादाद मौजूद है और वो जीत जाएंगे, लेकिन हुआ इसका उल्टा, बीजेपी के दिग्गजों के जमावड़े के बावजूद समाजवादी पार्टी 42 हजार 2सौ से ज्यादा वोटों से ये उपचुनाव जीत गई.

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जातीय समीकरण धराशायी

बीजेपी के सभी जातीय समीकरण धराशायी हो गए और समाजवादी पार्टी के सुधाकर सिंह ने घोसी में रिकार्ड मतों से जीत दर्ज कर ली. बीजेपी 86 हजार के अपने पुराने वोट संख्या तक भी नहीं पंहुच पाई. सपा की तरफ से ठाकुर कैंडिडेट होने के बावजूद अखिलेश यादव का पीडीए यानी कि पिछड़ा दलित और अल्पसंख्यक मुसलमान का समर्थन सुधाकर सिंह को मिला. अब ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह चुनाव परिणाण बीजेपी और एनडीए के लिए खतरे की घंटी है?

सपा ने वोट बैंक में की सेंधमारी

समाजवादी पार्टी ने बीजेपी के वोट बैंक में मजबूत सेंधमारी की, ठाकुर -भूमिहार -वैश्य- राजभर -निषाद और कुर्मी मतदाताओं से सपा ने अच्छे वोट खींच लिए लेकिन माना जा रहा है कि दलितों का एक बड़ा तबका समाजवादी पार्टी की तरफ शिफ्ट कर गया, खासकर युवाओं का वोट बीजेपी के खिलाफ रहा जिसने समाजवादी पार्टी को निर्णायक बढ़त दी.

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दरअसल अखिलेश का पीडीए चल निकला और बीजेपी का अति आत्मविश्वास उसे ले डूबा, चुनाव में हार के बाद यह साफ हो गया कि भाजपा के कोर वोटर ने भी उससे दूरी बना ली थी, खासकर स्वर्ण मतदाताओं का बड़ा तबका समाजवादी पार्टी के साथ चला गया. जिस नोनिया चौहान वोटर की बदौलत बीजेपी जीत का ख्वाब सजाए बैठी थी उसमें भी साफ-साफ बिखराव दिखा और ओमप्रकाश राजभर भी फेल हो गए, उनकी बिरादरी में भी टूट दिखाई दिया.

सवर्ण वोटरों ने नहीं दिया साथ

लेकिन इस हार की सबसे बड़ी वजह बीजेपी के कोर वोटर की नाराजगी और दलित वोटरों का बड़ी तादाद में सपा का रुख करना माना जा रहा है. जिस तरीके से अखिलेश यादव ने इसे इंडिया की जीत करार दिया है और जिस तरीके से कांग्रेस पार्टी अपने स्वर्ण वोटरों को साधने में जुटी है ये बीजेपी के लिए खतरे की घंटी है.

सपा की इस जीत के साथ ही बीजेपी के कोर वोटरों के एक बड़े तबके ने यह संदेश दे दिया है कि वह बीजेपी के साथ बंधुआ मजदूर की तरह रहने को तैयार नहीं है और वह विकल्प तलाश सकता है.

दलित वोटरों ने बढ़ाई बीजेपी की उलझन

सबसे ज्यादा उलझन दलित वोटरों ने बीजेपी की बढ़ा दी है. मायावती के चुनाव में नहीं रहने पर दलितों का बड़ा तबका समाजवादी पार्टी की तरफ शिफ्ट कर गया है जो आने वाले समय में बीजेपी के लिए खतरे का संकेत है. इंडिया गठबंधन इसे अपनी जीत बता रहा है तो बीजेपी दबे स्वर में इसे दारा सिंह की हार बता रही है लेकिन घोसी उपचुनाव की हार ने बीजेपी को गहरे जख्म दे दिए हैं.

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उपचुनाव परिणाम को लेकर बीजेपी में अब समीक्षा और मंथन का दौर शुरू होगा. पार्टी अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने कहा है कि पार्टी हार की समीक्षा करेगी लेकिन इस चुनावी हार ने बीजेपी को भीतर तक हिला दिया है. 

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