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Ghosi Election Result: क्या 'आया राम, गया राम' की पॉलिटिक्स ने डुबो दी घोसी में दारा सिंह चौहान की नैया?

Ghosi Election Result: दारा सिंह चौहान को उनकी 'आया राम, गया राम' की पॉलिटिक्स ने भी खूब नुकसान पहुंचाया. घोसी में बहुत सारे लोगों ने आशंका जताई थी कि क्या पता दारा सिंह चुनाव जीतने के बाद फिर से सपा में चले जाएं, या कोई और पार्टी जॉइन कर लें. इसके पीछे लोगों ने उनके पुराने ट्रैक रिकॉर्ड का हवाला दिया.

सपा से बीजेपी में आए थे दारा सिंह चौहान सपा से बीजेपी में आए थे दारा सिंह चौहान
आशीष मिश्रा
  • घोसी ,
  • 09 सितंबर 2023,
  • अपडेटेड 7:41 AM IST

Ghosi Bypoll Result Analysis: घोसी उपचुनाव में बीजेपी को तगड़ा झटका लगा है. सपा के सुधाकर सिंह ने बीजेपी के दारा सिंह चौहान को शिकस्त दे दी है. बीजेपी को इस हार के पीछे के कारणों को तलाशना होगा. लेकिन इससे पहले ही यूपी सरकार में मंत्री संजय निषाद ने हार का ठीकरा दारा सिंह पर फोड़ दिया है. उन्होंने कहा कि उपचुनाव में मतदाता पार्टियों के बजाय उम्मीदवार के चेहरे पर वोट डालते हैं. वहीं, स्थानीय लोगों के मुताबिक, घोसी में 'बाहरी बनाम घरेलू' का मुद्दा भी हावी रहा. साथ ही साथ लोगों का यह भी कहना है कि दारा सिंह की 'आया राम, गया राम' की पॉलिटिक्स भी इस हार की जिम्मेदार है. 

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बाहरी बनाम स्थानीय का मुद्दा 

घोसी उपचुनाव में सपा और उसके समर्थकों ने बाहरी बनाम स्थानीय के मुद्दे को खूब हवा दी. उन्होंने इस बात का खूब प्रचार भी किया. सपा समर्थकों ने सुधाकर सिंह को घरेलू और अपने बीच का प्रत्याशी बताने में कोई कसर नहीं छोड़ी. अब चुनाव परिणाम में इसका असर भी देखने को मिला है. लोगों ने सपा के सुधाकर सिंह को जमकर वोट किए. जिसके चलते बीजेपी के दारा सिंह बहुत पीछे रह गए. दरअसल, सुधाकर सिंह लोकल घोसी विधानसभा क्षेत्र के ही रहने वाले हैं जबकि दारा सिंह पड़ोस की मधुबन विधानसभा के रहने वाले हैं.

'आया राम, गया राम' की पॉलिटिक्स

दारा सिंह चौहान को उनकी 'आया राम, गया राम' की पॉलिटिक्स ने भी खूब नुकसान पहुंचाया. घोसी में बहुत सारे लोगों ने आशंका जताई थी कि क्या पता दारा सिंह चुनाव जीतने के बाद फिर से सपा में चले जाएं, या कोई और पार्टी जॉइन कर लें. इसके पीछे लोगों ने उनके पुराने इतिहास का हवाला दिया. ऐसे में घोसी वासियों ने इस बार उन्हें दल बदल की सजा दी. 

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दारा सिंह का दल-बदल का इतिहास 

बता दें कि दारा सिंह अब तक सपा, बसपा, कांग्रेस और बीजेपी चारों ही पार्टियों में रह चुके हैं. वो कांग्रेस से सपा, सपा से बसपा, बसपा से बीजेपी, बीजेपी से दूसरी बार सपा और अब एक बार फिर बीजेपी में वापस लौटे हैं. कहा जा रहा है कि दारा सिंह पर लगे दलबदलू का टैग घोसी उपचुनाव में उनके लिए नुकसानदायक साबित हुआ. 

ये भी पढ़ें- बीजेपी, सपा और फिर BJP... जानिए कौन हैं घोसी से चुनाव हारने वाले दारा सिंह चौहान, जिनके हारने से 'INDIA' को मिली संजीवनी

हाल की बात करें तो योगी सरकार में दारा सिंह मंत्री थे. लेकिन 2022 में हुए विधानसभा चुनाव से ठीक पहले पार्टी छोड़कर सपा में चले गए. मगर सपा की सरकार नहीं बनी तो फिर बीजेपी में आ गए. बीजेपी में आने के कुछ ही दिन बाद उन्हें घोसी से टिकट मिल गया, जहां अब उन्हें सपा प्रत्याशी से शिकस्त झेलनी पड़ी है. 

बीजेपी कॉडर में नाराजगी?

एक तर्क यह भी दिया जा रहा है कि दारा सिंह चौहान के उम्मीदवार बनाने के बाद से ही बीजेपी कॉडर में नाराजगी थी. कुछ सवर्ण नेता तो खुलकर उनके खिलाफ थे. घोसी चुनाव में बीजेपी के कोर सवर्ण वोटर बहुत एक्टिव नहीं थे. 

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उधर, मायावती की पार्टी बसपा ने भी इस चुनाव से दूरी बना रखी थी. लेकिन आखिरी वक्त पार्टी के ऐलान ने सबको चौंका दिया. बसपा ने अपने वोटरों से वोट न करने की अपील कर दी. वहीं, घोसी में बसपा वोटरों पर दारा सिंह की नजर थी, लेकिन ऐन वक्त पर मायावती की रणनीति ने समीकरण उलट-पलट दिए.

यूपी सरकार में मंत्री संजय निषाद ने क्या कहा?  

बीजेपी के सहयोगी दल निषाद पार्टी के अध्यक्ष और कैबिनेट मंत्री डॉ संजय निषाद ने दारा सिंह चौहान के सिर पर हार का ठीकरा फोड़ा है. उन्होंने कहा कि उपचुनाव में उम्मीदवार के चेहरे पर वोट डाले जाते हैं. घोसी में भी लोगों ने उम्मीदवार के चेहरे पर ही मतदान किया. बीजेपी के कुछ लोगों ने भितरघात भी किया है. 

संजय निषाद ने कहा कि कुछ लोगों ने मेरा विरोध कराकर अपना ही नुकसान करा लिया. अब हार के कारणों की समीक्षा की जानी चाहिए. इस चुनाव को कतई अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से जोड़कर नहीं देखना चाहिए. क्योंकि लोकसभा का चुनाव पीएम मोदी के चेहरे और उनकी सरकार के काम पर होगा. लोकसभा चुनाव में पीएम की अगुवाई में एनडीए की एक तरफा जीत हासिल करेगा. 

हार के लिए ओमप्रकाश राजभर कोई फैक्टर है क्या?

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इस पर संजय निषाद ने कहा- नहीं, हार में वो कोई फैक्टर नहीं है. किसको अपने साथ लेना है और किसको नहीं, यह बीजेपी को तय करना है क्योंकि गठबंधन में बड़े भाई की भूमिका उनकी है. हमारे पास 43 गांव थे जिसमें से 40 गांव जीता हूं. 80% वोट मिला है. 3 गांव में बीजेपी नेता की गलत बयानबाजी के कारण हारा. फिलहाल, राजभर भैया से अपनी बात कहेंगे.

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