
उत्तर प्रदेश के बनारस में संत रविदास के विचारों को लोगों तक पहुंचाने की पहल की गई है. इसके लिए उनकी जन्मस्थली सीर गोवर्धन में भव्य म्यूजियम बनाया जाएगा. यहां हर साल रविदास जयंती पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आते हैं. वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी यहां आकर संत रविदास को नमन कर चुके हैं.
अत्याधुनिक होगा संत रविदास म्यूजियम
माघी पूर्णिमा को संत रविदास जयंती मनाई जाती है. इस साल यह 5 फरवरी को पड़ रही है. इससे पहले ये घोषणा की गई है कि 4 हजार वर्ग मीटर के क्षेत्र में संत रविदास म्यूजियम का निर्माण किया जाएगा. इस म्यूजियम की लागत करीब 24 करोड़ रुपए आंकी गई है.
म्यूजियम को अत्याधुनिक बनाया जाएगा और डिजिटल माध्यम से संत रविदास के विचारों और जीवन को दर्शाया जाएगा. इस म्यूजियम के जरिए संत रविदास की आध्यात्मिक विरासत को संजोया जाएगा.
छुआछूत और जाति के भेदभाव को मिटाने का दिया संदेश
मध्यकाल के प्रमुख संत रविदास या रैदास ने छुआछूत और जाति के भेदभाव को मिटाने के लिए संदेश दिया था. इसीलिए संत रविदास के अनुयायी पूरी दुनिया में हैं. इसमें पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अलावा कनाडा, जर्मनी जैसे देश शामिल हैं. हर साल बड़ी संख्या में लोग रविदास को मानने वाले वाराणसी स्थित उनके जन्म स्थान पर आते हैं.
पर्यटन और रोजगार को बढ़ावा देने की कोशिश
म्यूजियम में रविदास के जीवन दर्शन के अलावा म्यूजियम को पर्यटन का केंद्र बनाने के लिए यहां रीडिंग रूम, कैफेटेरिया, सोविनियर स्टोर जैसी सुविधाएं विकसित की जाएंगी. वहीं, आस-पास के लोगों को भी यहां रोजगार से जोड़ा जाएगा. यूपी में धार्मिक और आध्यात्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने की योजना नई पर्यटन नीति में तैयार की गई है. उसी दृष्टि से संत रविदास के जन्म स्थल का विकास किया जाएगा.
म्यूजियम में देख पाएंगे जीवन दर्शन
मामले में उत्तर प्रदेश म्यूजियम निदेशालय के निदेशक आनंद कुमार सिंह ने बताया, "संत रविदास की जन्मस्थली सीर गोवर्धन में उनके जीवन और दर्शन पर आधारित म्यूजियम बनाया जाएगा. इस म्यूजियम में 5 गैलरी होंगी. लोग यहां संत रविदास जी के जीवन दर्शन को देख पाएंगे. उनकी शिक्षा और प्रेरक वाक्यों को यहां स्थान दिया जाएगा. वहीं, उनके अद्भुत फोटो भी होंगे."
उन्हेंने आगे बताया, "खास बात यह है कि संत रविदास के प्रेरक वाक्यों को तो अलग-अलग जगह देखा और पढ़ा जा सकता है. मगर, उनके जीवन के बारे में भी यहीं पूरी जानकारी मिल सकेगी. भक्ति आंदोलन में संत रविदास के योगदान को भी यहां संजोया जाएगा. म्यूजियम में ऑडीओ विजुअल और प्रेजेंटेशन के जरिए संदेश दिया जाएगा."