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ग्रेटर नोएडा के 32 वर्ष: औद्योगिक शहर के रूप में दुनियाभर में मिली पहचान, जानें NCR में क्यों है खास

ग्रेटर नोएडा ने साल 2022 में बड़ी उपलब्धि हासिल की. यहां की 10 लाख आबादी के लिए गंगाजल परियोजना का लोकार्पण किया गया. 85 क्यूसेक गंगाजल के जरिए ग्रेटर नोएडा के निवासियों को मीठा पानी पिलाने की शुरुआत कर दी गई. इसे चरणबद्ध तरीके से पूरे शहर में पहुंचाया जा रहा है. गंगाजल के आ जाने से भूजल दोहन भी कम हुआ है.इससे भूजल को बचाने में भी मदद मिलेगी.

ग्रेटर नोएडा ने दुनियाभर में बनाई पहचान ग्रेटर नोएडा ने दुनियाभर में बनाई पहचान
तनसीम हैदर
  • ग्रेटर नोएडा,
  • 27 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 6:21 PM IST

देश ही नहीं, दुनियभर में अलग पहचान बना चुका ग्रेटर नोएडा 27 जनवरी को 32 साल का हो गया है. ग्रेटर नोएडा न सिर्फ औद्योगिक निवेश के प्रमुख केंद्र के रूप में उभरा है, बल्कि रिहायश और शिक्षा के क्षेत्र में भी बाकी शहरों से बहुत आगे निकल चुका है. सिर्फ हरियाली व चौड़ी सड़कें ही यहां की पहचान नहीं रही, बल्कि इससे आगे निकलकर डाटा सेंटर, इलेक्ट्रॉनिक्स मैनुफैक्चरिंग, टैक्सटाइल व रेडीमेड गारमेंट, ऑटोमोबाइल, व्हाइट गुड्स के क्षेत्र में खास मुकाम हासिल किया है. ग्रेटर नोएडा के सामने कुछ नई चुनौतियां हैं, जिनसे पार पाने के लिए कई तरह से प्रयास किए जा रहे हैं.  

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साल 2022 में शहर ने बड़ी उपलब्धि हासिल की. यहां की 10 लाख आबादी के लिए गंगाजल परियोजना का लोकार्पण किया गया. 85 क्यूसेक गंगाजल के जरिए ग्रेटर नोएडा के निवासियों को मीठा पानी पिलाने की शुरुआत कर दी गई. इसे चरणबद्ध तरीके से पूरे शहर में पहुंचाया जा रहा है. गंगाजल के आ जाने से भूजल दोहन भी कम हुआ है.इससे भूजल को बचाने में भी मदद मिलेगी.    

रोड कनेक्टीविटी के मामले में ग्रेटर नोएडा एनसीआर का सबसे बेहतर शहर कहा जाता है. यह शहर ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे, नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे, यमुना एक्सप्रेसवे से पहले ही जुड़ा हुआ है. दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे और एनएच-91 भी पास से गुजरे हैं. इसके साथ ही यहां की चौड़ी सड़कें अन्य शहरों से कहीं बेहतर हैं. वहीं, दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के बनने से रेल कनेक्टीविटी के मामले में भी ग्रेटर नोएडा अन्य औद्योगिक शहर से आगे निकल गया है. यहां से मुंबई के लिए माल ढुलाई भी बहुत जल्द आसान हो जाएगी. 

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मोबाइल निर्माता कंपनियों का हब

वर्तमान समय में ग्रेटर नोएडा की पहचान मोबाइल निर्माता कंपनियों के हब के रूप में हो रही है. ओप्पो, वीवो व सैमक्वांग जैसी बड़ी कंपनियां यहां से मोबाइल उत्पाद  बना रही हैं. देश ही नहीं, दुनियां भर में यहां के निर्मित मोबाइल व उनके उत्पाद निर्यात किए जाते हैं. इससे हजारों लोगों को रोजगार भी मिल रहा है. ग्रेटर नोएडा टैक्सटाइल के प्रमुख केंद्र के रूप में उभरा है. टैक्सटाइल व रेडीमेड गारमेंट्स से जुड़ी सैकड़ों कंपनियां ग्रेटर नोएडा से उत्पाद बनाकर विदेशों को निर्यात कर रही हैं. ये कंपनियां यहां के निवासियों के लिए, खासतौर पर महिलाओं के रोजगार का प्रमुख जरिया बनीं हुई हैं. 

देश का सबसे बड़ा डेटा सेंटर

देश का सबसे बड़ा डाटा सेंटर ग्रेटर नोएडा में बन रहा है. हीरानंदानी ग्रुप ने इसे बनाया है. बीते साल इसकी शुरुआत हो चुकी है. इस डाटा सेंटर से एक हजार युवाओं को रोजगार व 7000 करोड़ रुपये का निवेश प्राप्त हुआ है. इससे देश के नागरिकों का डाटा सुरक्षित रखने में मदद मिलेगी. डाटा सेंटर क्षेत्र की कई और कंपनियां यहां अपनी इकाई स्थापित करने को आतुर हैं. इसके साथ ही इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र की बड़ी कंपनियां जैसे एलजी व हायर आदि भी ग्रेटर नोएडा में अपने उत्पाद बना रही हैं.  

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ई-ऑफिस से पेपर लेस बना ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण 

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ई ऑफिस में पहले ही तब्दील हो चुका है. प्राधिकरण में सिर्फ ई-फाइलें ही बनती हैं. अगर कोई फरियादी कागज पर अप्लीकेशन लाता है तो भी उसे स्कैन करके ई-फाइल बना दी जाती है. उसी पर वरिष्ठ अधिकारियों की तरफ से अप्रूवल दिए जाते हैं. प्राधिकरण पेपरलेस हो चुका है. इसके साथ ही वन मैप ग्रेटर नोएडा के जरिए आप ग्रेटर नोएडा में किसी प्रॉपर्टी की लोकेशन कंप्यूटर की एक क्लिप पर देख सकते हैं. शहर में रोड, सीवर-पानी की लाइन, मार्केट, मॉल या फिर पुलिस स्टेशन, इन सबका आसानी से पता लगाया जा सकता है. आम जनता से जुड़े रहने के लिए ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण फेसबुक, ट्विटर और व्हाट्स एप के जरिए भी 24 घंटे जुड़ा हुआ है.  

उद्योगों के लिए विकसित हो रहे 8 नए सेक्टर

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की सीईओ रितु माहेश्वरी ने कहा कि  "ग्रेटर नोएडा पहचान को और आगे ले जाने के लिए प्राधिकरण प्रयासरत है. ग्लोबल इनवेस्टर्स समिट के जरिए ग्रेटर नोएडा में बड़े पैमाने पर निवेश व रोजगार के द्वार खुलेंगे. उद्योगों को भूखंड उपलब्ध कराने के लिए 8 नए सेक्टर विकसित किए जा रहे हैं. 2023 में इन सेक्टरों  को विकसित कर आवंटित करने का लक्ष्य है. मल्टीमॉडल ट्रांसपोर्ट व लॉजिस्टिक हब को धरातल पर उतारने की कोशिश की जाएगी. ग्रेटर नोएडा को स्वच्छता के पहले पायदान पर लाने के लिए प्राधिकरण के साथ ही हर नागरिक को अपना योगदान देना होगा." 

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