
आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया द्वारा की गई वाराणसी की ज्ञानवापी परिसर की सर्वे रिपोर्ट गुरुवार को सामने आ गई. रिपोर्ट के अनुसार परिसर में मंदिर होने के कई प्रमाण मिले हैं. इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद हिंदू पक्षकारों में खुशी की लहर दौड़ गई. ज्ञानवापी शृंगार गौरी की वादिनी महिलाओं ने खुशी का इजहार करते हुए न सिर्फ गीत गाया बल्कि हर हर महादेव के नारे भी लगाए. इस दौरान हिंदू पक्षकारों के साथ-साथ उनके अधिवक्ता भी मौजूद रहे.
ज्ञानवापी परिसर में नमाज को बंद करने की मांग
आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट सामने आने के बाद हिंदू पक्षकारों में खुशी का जबरदस्त माहौल दिखाई दे रहा था. ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले की वादिनी महिलाओं ने सर्वे रिपोर्ट के सामने आने के बाद न सिर्फ खुशी व्यक्त की. बल्कि उन्होंने अब ज्ञानवापी परिसर में नमाज को बंद करने की मांग भी की.
हिंदू पक्ष के अधिवक्ता सुधीर त्रिपाठी ने बताया कि आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया ने 92 दिन का सर्वे किया था. उसमें 839 पेज का जो सर्वे रिपोर्ट दाखिल किया गया था उसकी समरी का हम लोगों ने अवलोकन किया है. समरी में एक-एक चीज बिंदुवार और बहुत ही स्पष्ट तरीके से लिखी गई है. जो खंभे हैं वह मंदिर के खंभे हैं और खाबो को तोड़कर मस्जिद बनाया गया है. इसे 17वीं शताब्दी में तोड़ा गया है.
पश्चिमी दीवार मंदिर का टूटा हुआ अवशेष है
अधिवक्ता सुधीर त्रिपाठी ने बताया कि कई जगह खरोच भी लगाया गया है और मिटाने का प्रयास किया गया है लेकिन वह मिटा नहीं है. उसमें देवनागरी लिपि में शंकर जी के नाम का उल्लेख हुआ है. पश्चिमी दीवार मंदिर का टूटा हुआ अवशेष है. जो वहां पत्थर मिले हैं उसका अवशेष आर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया के पास पहले से था. उसे अवशेष भाग में स्पष्ट है कि मंदिर का लेख लिखा गया है जो मंदिरों का ही है.
उन्होंने कहा कि इससे स्पष्ट होता है कि मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाया गया है. अगले कदम के बारे में बताते हुए अधिवक्ता सुधीर त्रिपाठी ने बताया कि हम लोग सुप्रीम कोर्ट जाएंगे और जो सील एरिया है जिसे वह फवारा कहते हैं. वह हमारे शंकर जी हैं, सुप्रीम कोर्ट के आदेश से उसका भी सर्वे होगा.
'1669 में मंदिर को तोड़ा गया था'
हिंदू पक्ष के एक और अधिवक्ता सुभाष नंदन चतुर्वेदी ने बताया कि हमारी यही प्रतिक्रिया है कि सारे साक्ष्य निकालकर प्रमाणित रूप से सर्वे में यह आ गया है कि वह मंदिर का हिस्सा है. 1669 में मंदिर को तोड़ा गया था और मंदिर को तोड़कर इस मस्जिद का स्वरूप दिया गया था. इसलिए प्रथम दृष्टया एएसआई ने मान लिया है वह मंदिर का हिस्सा है और मंदिर के ही सारे ढांचे खड़े हैं.
उन्होंने कहा कि वह मंदिर है. पश्चिमी दीवार से लेकर जो भी खंबे वगैरा मिले हैं वह सब मंदिर के ही अवशेष हैं जिस पर मस्जिद खड़ा किया गया. इसलिए यह बहुत बड़ा एविडेंस हमारे लिए कोर्ट में है जो प्रमाणित रूप से सामने आ गया है. मंदिर की दशा और दिशा को लेकर जो हम लड़ाई बहुत दिनों से लड़ रहे हैं यह सारी लड़ाई अपने मुकाम पर पहुंचेगी. वहां पर मंदिर था है और रहेगा. आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया ने अपने रिपोर्ट में यह सिद्ध कर दिया है. अपने अगले कदम के बारे में बताते हुए अधिवक्ता सुभाष नंदन चतुर्वेदी ने बताया कि वजू खाना जहां पर हमारा शिवलिंग है उसके भी ऐसा ही सर्वे की मांग हम लोग करेंगे.
'कई प्रकार की टूटी हुई मूर्तियां मिली'
हिंदू पक्ष की महिला पक्षकार रेखा पाठक ने बताया कि 839 पाने की रिपोर्ट आई है और जो कुछ भी वहां हम लोगों ने देखा है वह सारी चीज रिपोर्ट में आई है. वहां पर कई प्रकार की टूटी हुई मूर्तियां मिली है शिवलिंग मिला है और तांबे के छोटे-बड़े पैसे मिले हैं. रेखा पाठक ने आगे कहा कि हम लोग यही चाहते हैं कि वहां नमाज पढ़ने अब बंद हो. मंदिर हम लोगों को सौंप दिया जाए और वह लोग कहीं और चले जाएं.
एक अन्य पक्षकार लक्ष्मी देवी ने बताया कि आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट सामने आ गई है जिसको लेकर हम लोगों में काफी खुशी है. हम लोग चाहते थे कि वह रिपोर्ट सार्वजनिक है तो वह सारी चीज मीडिया में भी आ गई हैं. हम लोग कई सालों से मंदिर के लिए लड़ाई लड़ रहे थे इस रिपोर्ट से यह साबित हो गया है कि यह हमारा मंदिर ही है.
वजू खाने का सर्वे कराने की मांग
एक अन्य महिला वादिनी मंजू व्यास ने बताया कि जो 92 दिन का सर्वे हुआ था उसे सर्वे में हम लोग प्रतिदिन जा रहे थे. हम लोगों ने अपने घर परिवार की परवाह नहीं की. हमारा बस एक ही लक्ष्य था कि हम पूरे सबूत सामने लाकर रहेंगे. सर्वे में वह सब सारा सामान मिला जिसकी हम लोगों को उम्मीद भी नहीं थी. हमलोग वजू खाने का सर्वे कराना चाहते हैं और मांग करते हैं कि अब नमाज को बंद कर देना चाहिए.
ज्ञानवापी शृंगार गौरी मामले की एक अन्य महिला वादिनी सीता साहू ने बताया कि हम लोगों को पूरी जानकारी पहले से ही थी हम लोग वहां जाते थे और एक-एक चीज को पहले ही देखा था. वहां पर जो मंदिर की अवशेष पड़े हुए थे उसको देखकर रोंगटे खड़े हो जाते थे. वहां पर सिलापट्ट थे जिस पर संस्कृत भाषा में लिखा हुआ था. वहां पर कई छोटे बड़े शिवलिंग मिले हैं, कई अरघे मिले हैं. यह सब देखने के बाद हम लोग कह ही रहे हैं कि वह मंदिर है. जो वहां पर गुंबद है उसे मैं गुलामी का प्रतीक कहूंगी. उसका नाम ही था ज्ञानवापी मंदिर यानी ज्ञान का कुंज था. हमारी संस्कृति को नष्ट करने के लिए उसे तोड़ा गया था. अब तो रिपोर्ट भी सामने आ गई जिसमें बताया गया है कि हमारे मंदिर को ही तोड़कर मस्जिद का निर्माण किया गया था. रिपोर्ट सामने आने के बाद हम लोग बहुत खुश हैं.