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'ज्ञानवापी में 'त्रिशूल' का चिन्ह नहीं बल्कि 'अल्लाह' लिखा हुआ...,' ASI सर्वे के बीच मुस्लिम पक्ष के वकील का दावा

Gyanvapi ASI Survey: मुस्लिम पक्ष अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के वकील ने कहा है कि सर्वे के दौरान मस्जिद में दिख रहा त्रिशूल का चिन्ह वास्तव में त्रिशूल का चिन्ह नहीं है बल्कि 'अल्लाह' लिखा हुआ है. उन्होंने कहा कि मुगलकालीन सिक्कों पर भी स्वास्तिक और ओम की आकृति उकेरी जाती थी. इसलिए यह कह देना कि कमल का फूल सिर्फ मंदिरों पर ही बना हुआ मिलेगा, गलत है. फूल तो कोई भी बना सकता है. उसका मंदिर या इस्लाम से कोई मतलब नहीं है. 

वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद के ASI सर्वे का आज 5वां दिन है वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद के ASI सर्वे का आज 5वां दिन है
रोशन जायसवाल
  • लखनऊ ,
  • 07 अगस्त 2023,
  • अपडेटेड 2:59 PM IST

Gyanvapi Mosque ASI Survey: वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद के ASI सर्वे का आज 5वां दिन है. मस्जिद में सर्वे जारी है, लेकिन इस दौरान मुस्लिम पक्ष अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के वकील ने एक बड़ा दावा कर दिया है. उन्होंने कहा है कि सर्वे के दौरान मस्जिद में दिख रहा त्रिशूल का चिन्ह वास्तव में त्रिशूल का चिन्ह नहीं है बल्कि 'अल्लाह' लिखा हुआ है. 

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अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के वकील अखलाक अहमद ने खास बातचीत में बताया कि जितने भी दावे इस समय मीडिया रिपोर्ट में मंदिर को लेकर किया जा रहा है, वह कमीशन की कार्यवाही के वक्त की तस्वीरें और वीडियोज हैं. अभी हो रही है ASI सर्वे कमीशन की कोई भी रिपोर्ट बाहर नहीं आ सकती, क्योंकि इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट का आदेश है. 

सर्वे में त्रिशूल का चिन्ह मिलने का दावा

अखलाक अहमद ने आगे कहा कि जितनी भी तस्वीरें बाहर आ रही हैं वह पिछली बार एडवोकेट सर्वे की कार्यवाही में ली हुई तस्वीरें हैं. उन्होंने बताया कि ASI को यह जांच करना है कि मस्जिद के नीचे आखिर है क्या? जो भी फोटो वीडियो चलाया जा रहा है वह पिछली बार वकील कमीशन की कार्यवाही के दौरान का है और उसको फिर से क्यों नए तरीके से डेवलप कर रहे हैं? 

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मस्जिद के गुंबद की तस्वीरें पिछली बार की

वकील अखलाक अहमद ने यह भी कहा कि दिखाई जा रही मस्जिद के गुंबद की तस्वीरें भी पिछली बार की हैं. अभी हो रही ASI सर्वे की रिपोर्ट सीलबंद होकर कोर्ट में जानी है. वह बाहर आ ही नहीं सकती है. 

ये भी पढ़ें- ज्ञानवापी के तहखाने में ASI की सर्वे टीम को क्या-क्या दिखा? मुख्य इमाम ने बताई आंखो-देखी

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मस्जिद के गुंबद के नीचे शंक्वाकार आकृति या शिखर नुमा आकृति के सवाल के जवाब में मसाजिद कमेटी के वकील अखलाक अहमद ने बताया कि दुनिया में जितने भी बड़े गुंबद होते हैं, वह दो हिस्सों में ही बनते हैं. अगर ऐसी बनावट नहीं होगी तो हवा क्रॉस होने की जगह ना होने के चलते वह गुंबद गिर जाएंगे. 

मुगलकालीन सिक्कों पर भी स्वास्तिक और ओम की आकृति उकेरी जाती थी

इसके बाद उन्होंने कहा कि ASI की रिपोर्ट में यह बताया जाएगा कि मिल रहे इस तरह के चिन्ह किस कालखंड में बनते थे? यह रिपोर्ट मुकदमे के फैसले के दौरान ही खुलेगा.

अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के वकील अखलाक अहमद

उन्होंने बताया कि उस दौर में जिस तरह के कारीगर रहे होंगे उन्होंने वैसे ही चीजों को इमारतों पर उकेरा है. मुगलकालीन सिक्कों पर भी स्वास्तिक और ओम की आकृति उकेरी जाती थी. इसलिए यह कह देना कि कमल का फूल सिर्फ मंदिरों पर ही बना हुआ मिलेगा, गलत है. फूल तो कोई भी बना सकता है. उसका मंदिर या इस्लाम से कोई मतलब नहीं है. 

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जिसको आप त्रिशूल कह रहे हैं हम उसको 'अल्लाह' लिखा हुआ मानते हैं

ज्ञानवापी मस्जिद में त्रिशूल के चिन्ह मिलने के सवाल के जवाब में अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के वकील ने कहा कि जिसको आप त्रिशूल कह रहे हैं हम उसको 'अल्लाह' लिखा हुआ मानते हैं. क्योंकि 'अल्लाह' भी वैसे ही लिखा जाता है. उन्होंने दावा किया कि वह त्रिशूल नहीं, बल्कि अल्लाह लिखा हुआ है. अखलाक अहमद ने फिर दोहराया कि रिपोर्ट जब सामने आएगी तब उसमें निकलकर सामने आएगा. इस मामले में किसी तरह की फोरकास्टिंग करने की जरूरत नहीं है. 

उन्होंने जानकारी दी कि वाराणसी के जिला प्रशासन को लिखित तौर पर यह शिकायत की गई है कि वादी पक्ष से वकील और वादी महिलाएं सर्वे की कार्यवाही पूरी होने के बाद बाहर निकलकर बेमतलब की बयानबाजी करती हैं. इसको रोका जाना चाहिए. उन्होंने सवाल किया कि क्या इस तरह की बयानबाजी करके कोर्ट पर दबाव बनाया जा रहा है?

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