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ज्ञानवापी-शृंगार गौरी केस: साथियों पर गंभीर आरोप, इच्छा मृत्यु की मांग... राखी सिंह ने राष्ट्रपति को लिखा खत

वाराणसी में ज्ञानवापी-शृंगार गौरी केस की मुख्य याचिकाकर्ता राखी सिंह ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर इच्छा मृत्यु मांगी है. अपने पत्र में उन्होंने खुद को और परिवार को बदनाम करने का आरोप लगाया. इसके साथ ही कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं. उन्होंने कहा कि इस कारण वह मानसिक दबाव में हैं.

ज्ञानवापी-शृंगार गौरी केस कोर्ट में चल रहा है. ज्ञानवापी-शृंगार गौरी केस कोर्ट में चल रहा है.
रोशन जायसवाल
  • वाराणसी,
  • 08 जून 2023,
  • अपडेटेड 8:07 PM IST

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में ज्ञानवापी-शृंगार गौरी केस की मुख्य याचिकाकर्ता राखी सिंह ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर इच्छा मृत्यु मांगी है. उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को नौ जून सुबह नौ बजे तक का समय दिया है. अपने पत्र में उन्होंने ज्ञानवापी-शृंगार गौरी केस में अपने सहयोगियों के ऊपर खुद को और उनके परिवार को बदनाम करने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि इस कारण वह मानसिक दबाव में हैं.

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याचिकाकर्ता राखी सिंह ने पत्र में ज्ञानवापी केस में अपने सहयोगियों पर गंभीर आरोप लगाया है. उन्होंने पत्र में लिखा कि उनके और उनको साथियों द्वारा मई 2021 में केस दायर किया गया था. इसमें वह अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और अन्य के केस की मुख्य याचिकाकर्ता हैं. 

मगर, चार महिला साथियों लक्ष्मी देवी, सीता साहू, मंजू व्यास, रेखा पाठक और अधिवक्ता हरिशंकर जैन के पुत्र एडवोकेट विष्णु शंकर जैन और इन लोगों के कुछ अन्य साथियों द्वारा उन्हें और उनके चाचा जितेंद्र सिंह बिसेन और चाची किरण सिंह बिसेन को बदनाम किया जा रहा है. यहां तक कि उन्होंने प्रशासन पर भी इसमें शामिल होने का आरोप लगाया.

झूठी खबरें फैलाकर गद्दार घोषित करने की कोशिश 

राखी सिंह के अनुसार, मई 2022 से उनके साथियों और अन्य द्वारा झूठी खबर फैलाई गई कि उन्होंने याचिका वापस ले ली है. हालांकि, उन्होंने ऐसा नहीं किया और न ही इस बारे में कोई स्टेटमेंट दिया. यहां तक कि उनके चाचा ने भी ऐसा कुछ नहीं कहा. उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ हिंदू समाज में नफरत फैलाई जा रही है और उन्हें गद्दार घोषित करने की कोशिश की जा रही है. इस कारण वह और उनका परिवार मानसिक दबाव में आ गया है.

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ज्ञानवापी परिसर मुसलमानों को मिल जाएगा- राखी सिंह

राखी सिंह ने लिखा कि उनके द्वारा याचिका डाली गई थी. इस कारण उनके साथियों को पहचान मिली. उन्होंने क्रेडिट के लिए ऐसा नहीं किया. साथ ही उन्होंने अपने साथियों पर भगवान आदि विशेश्वर विराजमान केस को कमजोर करने का भी आरोप लगाया. उन्होंने लिखा कि ज्ञानवापी परिसर हिंदुओं को प्राप्त हो सकता था. मगर, अब वह मुसलमानों के पक्ष में चला जाएगा. उन्होंने लिखा की अगर नौ जून तक राष्ट्रपति का आदेश नहीं आता है, तो फिर जो भी निर्णय होगा, वो उनका होगा.

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