
उत्तर प्रदेश पुलिस ने हाथरस जिले में इस साल दो जुलाई को नारायण साकार हरि ‘भोले बाबा’ सत्संग के दौरान हुई भगदड़ के मामले में अदालत में 3200 पन्नों का आरोपपत्र दाखिल कर दिया है. इस घटना में 121 लोगों की मौत हो गई थी.
पुलिस ने 11 लोगों को आरोपी बनाया है, जिनमें कार्यक्रम की अनुमति हासिल करने वाले लोग भी शामिल हैं. बचाव पक्ष के वकील ए.पी. सिंह ने बताया कि पुलिस ने 3200 पन्नों का आरोपपत्र न्यायालय में पेश कर दिया. अदालत ने आरोपियों को आरोपपत्र की प्रतियां उपलब्ध कराने की तारीख चार अक्टूबर तय की है.
ये 11 लोग आरोपी
उन्होंने बताया कि मंगलवार को कार्यक्रम के मुख्य आयोजक और धन जुटाने वाले देव प्रकाश मधुकर समेत 10 आरोपियों की अदालत में में पेश किया गया, जिन्हें अलीगढ़ जिला जेल से हाथरस जिला अदालत लाया गया था. इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद आरोपियों में से एक मंजू यादव फिलहाल जमानत पर बाहर हैं. एपी सिंह ने कहा, "मामले की जांच कर रही एसआईटी ने आरोप पत्र दाखिल कर दिया है. मामले की अलग से न्यायिक जांच चल रही है."
पुलिस की चार्जशीट में आरोपी बनाए गए लोगों के नाम इस प्रकार हैं- देव प्रकाश मधुकर, मेघ सिंह, मुकेश कुमार, मंजू देवी, मंजू यादव, राम लड़ैते, उपेंद्र सिंह, संजू कुमार, राम प्रकाश शाक्य, दुर्वेश कुमार और दलवीर सिंह. फिलहाल, मंजू देवी और मंजू यादव को हाई कोर्ट से जमानत मिल चुकी है.
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हाथरस के सिकंदराराऊ क्षेत्र के फुलराई गांव में 2 जुलाई को सूरजपाल उर्फ भोले बाबा उर्फ नारायण साकार हरि के सत्संग के बाद मची भगदड़ में कुल 121 लोगों की मौत हो गई थी, जिनमें ज्यादातर महिलाएं थीं. पुलिस समेत सरकारी एजेंसियों ने कार्यक्रम में कुप्रबंधन के लिए आयोजकों को दोषी ठहराया है. उन्होंने कहा कि अनुमत 80,000 की तुलना में भीड़ 2.50 लाख से अधिक हो गई थी.
तीन जुलाई को हुआ था हादसा
हालांकि बचाव पक्ष के वकील ने दावा किया कि 'कुछ अज्ञात लोगों' द्वारा 'कोई जहरीला पदार्थ' छिड़कने के कारण भगदड़ मची. इस मामले में 2 जुलाई को भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 105 (गैर इरादतन हत्या), 110 (गैर इरादतन हत्या का प्रयास), 126 (2) (गलत तरीके से रोकना), 223 (लोक सेवक द्वारा विधिवत आदेश की अवज्ञा) और 238 (साक्ष्यों को गायब करना) के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी.
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इस मामले में सूरजपाल उर्फ नारायण साकार हरि उर्फ 'भोले बाबा' को आरोपी के रूप में दर्ज नहीं था. उत्तर प्रदेश सरकार ने 3 जुलाई को हाथरस त्रासदी की जांच करने और भगदड़ के पीछे साजिश की संभावना की जांच करने के लिए एक सेवानिवृत्त हाईकोर्ट के जज की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन किया था.