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कानपुर में गर्मी ने 52 साल का रिकॉर्ड तोड़ा, इंसान के अलावा फसल, जानवर पर भी खतरा

उत्तर प्रदेश के कानपुर में गर्मी ने बीते 52 सालों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. फरवरी महीने में पहली बार तामपान 30 डिग्री से ऊपर पहुंच चुका है. वैज्ञानिकों ने बताया कि इस साल ठंड के बाद वसंत ऋतु की जगह सीधे गर्मी आ गई जो इंसान के साथ ही जावरों और फसल के लिए भी खतरनाक है.

सांकेतिक तस्वीर सांकेतिक तस्वीर
सिमर चावला
  • कानपुर,
  • 22 फरवरी 2023,
  • अपडेटेड 1:43 PM IST

कानपुर में इस साल फरवरी महीने में ही गर्मी ने 52 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. चंद्रशेखर आजाद कृषि उद्यान यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने ये दावा किया है. बीते कुछ दिनों से तापमान लगातार 30 डिग्री से ऊपर जा रहा है जो इससे पहले कभी फरवरी में नहीं हुआ था. उत्तर भारत में शुरू हुई भीषण गर्मी पर आईएमडी के मौसम वैज्ञानिकों ने जांच शुरू कर दी है.

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कानपुर में 20 फरवरी को अधिकतम तापमान 32 डिग्री दर्ज किया गया जो बीते 52 सालों में पहली बार देखा जा रहा है. 1972 से रिकॉर्ड खंगालने के बाद पता चला कि पूरे फरवरी में जो औसतन तापमान रहता है उससे अभी 2 से 3 डिग्री ज्यादा है.

उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक पिछले 10 सालों में भी इस महीने के अंतिम 3 दिनों में ही कभी-कभी अधिकतम तापमान 30 डिग्री तक पहुंचा या इससे ऊपर गया.  आंकड़ों के अनुसार ऐसा बहुत ही कम हुआ है कि फरवरी के महीने में तापमान 30 डिग्री के ऊपर गया है जबकि अभी भी इस महीने के कुछ दिन बाकी हैं.

इस बार 7 फरवरी को तापमान 30 डिग्री पहुंच गया था, उसके बाद 13 फरवरी को 31 डिग्री के ऊपर तामपान रिकॉर्ड दर्ज किया गया था. अब पूरे महीने का औसतन तापमान 2 से 3 डिग्री ज्यादा है. मौसम वैज्ञानिक सुनील पांडे का कहना है कि सर्दी खत्म होने के बाद सीधे गर्मी शुरू हो गई है. बीच से वसंत ऋतु गायब नजर आ रही है.

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वैज्ञानिकों के मुताबिक यह लोगों और पशुओं के लिए हानिकारक हो सकता है. मौसम वैज्ञानिकों की मानें तो आईएमडी ने मौसम के इस मिजाज पर एक कमेटी गठित करते हुए विस्तृत पड़ताल शुरू कर दी है. उत्तर भारत में कहीं-कहीं फरवरी महीने में ही तापमान 37 और 38 डिग्री तक पहुंचा चुका है जो काफी चिंताजनक है.

मौसम वैज्ञानिक के मुताबिक इंसानों पर इसका काफी फर्क पड़ रहा है, अचानक सर्दी के मौसम से गर्मी के मौसम में जाने से लोगों की तबीयत पर बिगड़ रही है क्योंकि वसंत ऋतु में जो बॉडी को गर्मी के मौसम में ढलने का वक्त मिलता था वह नहीं मिल पा रहा है. साथ ही जानवरों पर भी इसका असर पड़ेगा. उनकी दूध देने की क्षमता पर अत्यधिक प्रभाव पड़ सकता है.

मौसम के ऐसे बदलाव के कारण आने वाले समय में फसलों के उपज पर भी काफी फर्क पड़ेगा जिससे आने वाले समय में खाद्य संकट पैदा हो सकता है. एसएन पांडे का कहना है कि आने वाले महीने काफी गर्म होने वाले हैं और जो तापमान मई-जून में रहता था उससे एक से दो डिग्री ज्यादा ही रहने की आशंका है.

 

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