
लखनऊ में PAC इंस्पेक्टर सतीश कुमार सिंह हत्याकांड का पुलिस ने 6 दिन बाद खुलासा कर दिया है. इस दौरान पुलिस की पांच टीमें लगाई गई थीं. 400 से ज्यादा सीसीटीवी खंगाले गए और दर्जनों लोगों से पूछताछ की गई. पुलिस ने इस मामले में इंस्पेक्टर सतीश की पत्नी और उसके साले को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है. हत्याकांड के खुलासे में लगी टीमों को कुछ ऐसी जानकारियां भी हाथ लगी हैं जिससे पुलिस अफसर भी हैरान रह गए.
बहन के इशारे पर बीटेक पास भाई ने मारी थी गोली
पुलिस के मुताबिक, इंस्पेक्टर की पत्नी भावना के भाई देवेंद्र ने इस वारदात को अंजाम दिया था. उसने बहन के इशारे पर अपने जीजा सतीश पर गोली चलाई थी. देवेंद्र बीटेक के बाद बैंक पीओ की नौकरी कर रहा था. बाद में वो नौकरी छोड़कर UPSC की तैयारी करने लगा था.
अफसर बनने की थी चाहत, बन गया हत्यारा
दिवाली वाली रात इंस्पेक्टर सतीश कुमार सिंह की हत्या उसकी पत्नी भावना के इशारे पर साले देवेंद्र कुमार वर्मा ने की थी. मुख्य आरोपी देवेंद्र ने लखनऊ के एक निजी इंजीनियरिंग कॉलेज से बीटेक की पढ़ाई करने के बाद बैंक पीओ की तैयारी की. साल 2015 में वह बैंक पीओ बन गया. साल 2018 तक बैंक पीओ की नौकरी करने के बाद उसने यूपीएससी की तैयारी शुरू की. UPSC की परीक्षा पास करने के लिए उसने 2018 में बैंक पीओ की नौकरी भी छोड़ दी.
जीपीएस ट्रैकर से लोकेशन ट्रैक की
शातिर दिमाग देवेंद्र ने हत्या के पहले इंस्पेक्टर सतीश की लोकेशन लेने के लिए जीपीएस ट्रैकर लगा दिया था और जीपीएस ट्रैकर को 10 दिन पहले ही खरीदे एक पुराने मोबाइल में नई सिम से लॉगिन किया था. अपना पुराना फोन और मोबाइल उसने घर पर छोड़ दिया था ताकि कॉल डिटेल में उसकी लोकेशन घटनास्थल पर ना आए.
दूसरी महिलाओं को घर लाते थे इंस्पेक्टर
बताया जा रहा है कि इंस्पेक्टर पत्नी और 10 साल की बेटी के सामने कई अन्य महिलाओं को घर लाते और अपने कमरे में ले जाते थे. जिसको लेकर पत्नी से झगड़ा भी होता था. पूछताछ के दौरान पता चला की एक बार तो सतीश सिंह घर पर एक महिला के साथ उसके दलाल को भी ले आए थे. इतना ही नहीं उस दलाल को अपनी पत्नी के कमरे में भी भेजना चाहते थे. पुलिस ने सतीश की करीबी महिला और उसके दलाल से पूछताछ की तो यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ.
तांत्रिक का चक्कर
सतीश सिंह के ना सिर्फ दूसरी महिलाओं से अवैध संबंध थे बल्कि तांत्रिक ढंग से खजाना पाने के लिए भी कोशिश कर रहे थे.पूछताछ के दौरान पता चला कि फतेहपुर के तांत्रिक के कहने पर सतीश सिंह एक ऐसी अविवाहित लड़की की तलाश में था जिसके पूरे शरीर पर कोई दाग ना हो, निशान ना हो. सतीश ने अपनी इस तलाश का जिक्र अपनी बेटी के सामने पत्नी से भी किया. उसकी तलाश भी पूरी हो गई थी. ऐसी ही एक लड़की को लेकर वह एक रात के लिए अपने घर पर भी आया था. फतेहपुर के रहने वाले तांत्रिक ने बताया था कि ऐसी लड़की की मदद से उसे खजाना मिलेगा.
अपने ही बयान के जाल में फंसी पत्नी
सतीश सिंह की पत्नी भावना ने घटना के बाद बयान दिया था कि वो सिर दर्द की वजह से 15 मिनट के सफर में ही सो गई थी और उसकी नींद तब खुली जब उसने एक गोली चलने की आवाज सुनी. तब गेट पर सतीश कराह रहे थे. लेकिन भावना की यह कहानी पूरी तरह झूठ थी. भावना ही अपने भाई देवेंद्र वर्मा के कहने पर सतीश को राजाजीपुरम से घर ले आई थी, ताकि दिवाली वाली रात जब पटाखे की आवाज होगी तब वारदात को अंजाम दिया जा सके.
भावना के भाई देवेंद्र ने पहली गोली 315 बोर के देशी तमंचे से मारी. उसके बाद उसने अपनी 32 बोर की पिस्टल से सतीश पर चार गोलियां दागीं. यह सब भावना कार के अंदर बैठकर देख रही थी. जब देवेंद्र सतीश को गोली मारकर गली से निकल गया तब जाकर भावना ने चीखना चिल्लाना शुरू किया.
इसकी तस्दिक सतीश के बड़े भाई अजीत के घर में लगे सीसीटीवी कैमरे से हुई. सीसीटीवी कैमरे ने घटना तो नहीं कैद की लेकिन फायरिंग की आवाज उस सीसीटीवी में सुनाई पड़ी. आखिरी गोली चलने के करीब 70 सेकंड बाद भावना के चीखने चिल्लाने की आवाज आई.
साइकिल से हत्याकांड को अंजाम देने पहुंचा
शातिर दिमाग देवेंद्र ने पुलिस से बचने के लिए कई एहतियात बरते थे. उसने पहचान छुपाने के लिए हुडी शर्ट और मास्क का इस्तेमाल किया ताकि कहीं सीसीटीवी में उसका चेहरा ना आ जाए. देवेंद्र ने चारबाग स्टेशन से सतीश के घर तक और सतीश के घर से मेडिकल कॉलेज के चरक चौराहे तक साइकिल का इस्तेमाल किया. अमूमन पुलिस साइकिल सवारों पर शक नहीं करती और उनकी जांच नहीं करती.
पुलिस की इसी मानसिकता को समझ कर देवेंद्र पुरानी साइकिल खरीदने के बाद चारबाग से सतीश सिंह के घर पहुंचता है. घटना को अंजाम देकर उसी साइकिल से ही कनोसी नहर, राजाजीपुरम होते चरक चौराहे तक जाता है. पुलिस को चकमा देने के लिए उसने रास्ते में कपड़े भी बदले. जिस साइकिल से वह इंस्पेक्टर सतीश को गोली मारने के लिए पहुंचा था, उस साइकिल में एक थैला था. उसे थैले में सतीश ने अपने दूसरे कपड़े रखे थे. घटना को अंजाम देने के बाद उसने कनौसी नहर में उस थैले में पुराने कपड़े रखकर फेंक दिए और नए कपड़े पहन कर चला गया था.
जूते में पॉलिश कर दी
जूते से पकड़ा ना जाए, इसलिए देवेंद्र ने जूता का रंग भी बदल लिया था. घटना के वक्त देवेंद्र ने जो जूते पहने थे वह सफेद रंग के थे लेकिन घटना को अंजाम देने के बाद उसने सफेद जूते पर काली पॉलिश लगा दी थी और उनका रंग बदल लिया था.
वारदात में इंजीनियर वाला दिमाग लगाया
इंजीनियरिंग के जिस तकनीकी ज्ञान से देवेंद्र वर्मा यूपीएससी की परीक्षा पास कर अफसर बनना चाहता था, उसने इंजीनियरिंग की इसी तकनीकी ज्ञान का इस्तेमाल ठंडे दिमाग से बहनोई की हत्या में किया. जीपीएस का इस्तेमाल किया, जीपीएस की लोकेशन अपने दूसरे मोबाइल में लॉग इन करवाई. मेन मोबाइल घर पर छोड़ दिया. पिस्टल खरीदने के लिए यूट्यूब से असलहा बेचने वालो के नंबरों को खंगाला और ऐसे ही एक नंबर पर सौदा होने के बाद कानपुर से 32 बोर की पिस्टल भी खरीदी.
फिलहाल तमाम एहतियात और झूठी दलीलों के बावजूद कृष्णानगर पुलिस ने 6 दिन की कड़ी मशक्कत के बाद इंस्पेक्टर सतीश कुमार सिंह की हत्या के आरोप में उसकी पत्नी भावना सिंह और साले देवेंद्र वर्मा को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है.