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कैलिफोर्निया से मंगवाए बीज, गमलों में उगाए पौधे और हर महीने ढाई लाख की कमाई... फ्लैट में गांजा उगाने वाले राहुल की पूरी कहानी

ग्रेटर नोएडा में बेहद हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. यहां शख्स ने अपने फ्लैट में पूरी गांजे की नर्सरी शुरू कर दी. इसके लिए उसने बीज कैलिफोर्निया से मंगवाए थे और फ्लैट के अंदर ही पौधे उगाने के लिए हाईटेक तरीका इस्तेमाल किया. गांजे को बेचने के लिए वह डार्क वेब का इस्तेमाल कर रहा था. इससे उसे हर महीने करीब ढाई लाख की कमाई हो रही थी.

गमलों में इस तरह उगाए जाते थे पौधे. गमलों में इस तरह उगाए जाते थे पौधे.
अरविंद ओझा/अरुण त्यागी
  • नोएडा,
  • 13 नवंबर 2024,
  • अपडेटेड 10:29 AM IST

ग्रेटर नोएडा के पार्श्वनाथ पैनोरमा सोसाइटी (parsvnath panorama society) में हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. यहां एक फ्लैट के अंदर गांजे की हाईटेक खेती चल रही थी. दरअसल, ये गांजा गमलों में उगाया जा रहा था, जिसके बीज कैलिफोर्निया से मंगाए गए थे. पुलिस और नारकोटिक्स विभाग ने जब छापेमारी की तो चौंकाने वाला खुलासा हुआ. यहां मेरठ के रहने वाले राहुल चौधरी ने आधुनिक एरोपोनिक्स तकनीक से फ्लैट के भीतर प्रीमियम गांजे की खेती शुरू कर दी थी. इस अवैध कारोबार के लिए उसने डार्क वेब का सहारा लिया और हर महीने ढाई लाख रुपये की कमाई कर रहा था. 

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जानकारी के अनुसार, मूल रूप से मेरठ का रहने वाला 37 वर्षीय राहुल चौधरी ग्रेटर नोएडा के पार्श्वनाथ पैनोरमा सोसाइटी में एक फ्लैट में रह रहा था.  वह अंग्रेजी स्नातक है. उसने अपने फ्लैट के अंदर आधुनिक तकनीकों का सहारा लेकर प्रीमियम क्वालिटी के गांजे की खेती शुरू की थी. राहुल ने गांजा खेती के लिए कैलिफोर्निया से हाई क्वालिटी के 'OG' (ओजी) गांजे के बीज मंगवाए थे.

इस बिजनेस को उसने और एडवांस बनाने के लिए हाईटेक एरोपोनिक्स तकनीक का इस्तेमाल किया, जिसमें पौधे बिना मिट्टी के सिर्फ पानी, पोषक तत्व और विशेष प्रकार की कृत्रिम लाइट्स के जरिए उगाए जाते हैं. इस पूरे सेटअप की कीमत प्रति पौधा 5,000 से 7,000 रुपये तक होती थी, लेकिन प्रति 30 ग्राम की उपज के लिए राहुल को 60,000 रुपये से अधिक की कीमत मिलती थी.

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डार्क वेब के जरिए कारोबार, ऑन-डिमांड सप्लाई

राहुल ने अपने कारोबार को पुलिस और नारकोटिक्स सेल से छिपाने के लिए डार्क वेब का सहारा लिया. वो इनक्रिप्टेड मैसेजिंग प्लेटफॉर्म का उपयोग कर अपने ग्राहकों से संपर्क करता था. ये ग्राहक केवल उन लोगों में से होते थे, जिन्हें इस खास ‘ओजी’ गांजे की क्वालिटी और कीमत का अंदाजा था. इस तरीके से राहुल को हर महीने करीब ढाई लाख रुपये की कमाई हो रही थी.

फ्लैट के अंदर एडवांस सेटअप: लाइट्स, तापमान और नमी पर कंट्रोल

राहुल का फ्लैट किसी नर्सरी से कम नहीं था. उसने फ्लैट में कई विशेष प्रकार की लाइट्स और उपकरण लगाए, जो नेचुरल यानी सूरज की तर रोशनी और हवा की नमी का वातावरण तैयार कराते थे. ये सभी उपाय पौधों की ग्रोथ के लिए अनुकूल माहौल बनाते थे. पूरे फ्लैट के Atmosphere को कंट्रोल किया जा रहा था, ताकि गांजे की नर्सरी के लिए बाहरी माहौल की जरूरत न पड़े.

कैसे हुआ भंडाफोड़? फॉलोअर्स की जानकारी से पुलिस को मिली सूचना

राहुल चौधरी की इस पूरी साजिश का खुलासा तब हुआ, जब सोसाइटी के कुछ लोगों ने फ्लैट में असामान्य गतिविधियां देखीं और पुलिस को सूचना दी. पुलिस और नारकोटिक्स सेल ने छानबीन की. इसके बाद बीटा-2 और इकोटेक-1 थाने के अधिकारियों के साथ मिलकर फ्लैट में छापा मारा गया.

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पुलिस के अनुसार, फ्लैट में 80 गांजे के पौधे और 2 किलो से अधिक हाई क्वालिटी का गांजा जब्त किया गया है. इसके साथ ही पौधे उगाने के लिए इस्तेमाल होने वाले उपकरण, पैकिंग मैटेरियल और डिजिटल कांटा बरामद किया गया है. ग्रेटर नोएडा डीसीपी साद मिया खान ने बताया कि आरोपी ने कई कमरों में 50 से अधिक गमलों में प्रीमियम गांजा उगाया हुआ था.

फ्लैट के अंदर प्राकृतिक धूप की कमी को पूरा करने के लिए विशेष प्रकार की लाइट्स लगी थीं, जो पौधों के लिए सनलाइट जैसा माहौल बना देती हैं. आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है. नेटवर्क की जांच की जा रही है, ताकि पता लगाया जा सके कि क्या इसमें कोई और व्यक्ति भी शामिल है. गिरफ्तारी के बाद पुलिस राहुल के नेटवर्क की जांच में जुट गई है. इस तरह की हाईटेक फार्मिंग एक नया ट्रेंड है, जिसमें अपराधी रिहायशी इलाकों में अवैध नशे का कारोबार कर रहे हैं. 

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