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यूपी में कांवड़ यात्रा मार्ग के लिए काटे गए 17600 पेड़, फैक्ट-फाइंडिंग पैनल ने NGT को भेजी रिपोर्ट

एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की पीठ ने 6 नवंबर के एक आदेश में कहा कि तथ्यों का पता लगाने के लिए पहले गठित एक संयुक्त समिति ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट प्रस्तुत की थी. समिति में फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया के डायरेक्टर, केंद्रीय पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक, राज्य के मुख्य सचिव या उनके प्रतिनिधि और मेरठ के जिला मजिस्ट्रेट शामिल थे. 

एक फैक्ट फाइंडिंग पैनल ने एनजीटी को बताया कि यूपी में कांवर यात्रा मार्ग के लिए 17600 पेड़ काटे गए. (प्रतीकात्मक तस्वीर) एक फैक्ट फाइंडिंग पैनल ने एनजीटी को बताया कि यूपी में कांवर यात्रा मार्ग के लिए 17600 पेड़ काटे गए. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 10 नवंबर 2024,
  • अपडेटेड 6:51 PM IST

एक फैक्ट-फाइंडिंग पैनल ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) को बताया है कि आगामी कांवड़ यात्रा मार्ग के लिए रास्ता बनाने के लिए उत्तर प्रदेश के तीन जिलों में 17,600 से अधिक पेड़ काट दिए गए हैं. ट्रिब्यूनल गाजियाबाद के मुरादनगर और मुजफ्फरनगर के पुरकाजी के बीच प्रस्तावित मार्ग के लिए गाजियाबाद, मेरठ और मुजफ्फरनगर के तीन वन प्रभागों में संरक्षित वन क्षेत्र में 1 लाख से अधिक पेड़ों और झाड़ियों की कथित कटाई से संबंधित मामले की सुनवाई कर रहा था. 

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एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की पीठ ने 6 नवंबर के एक आदेश में कहा कि तथ्यों का पता लगाने के लिए पहले गठित एक संयुक्त समिति ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट प्रस्तुत की थी. समिति में फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया के डायरेक्टर, केंद्रीय पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक, राज्य के मुख्य सचिव या उनके प्रतिनिधि और मेरठ के जिला मजिस्ट्रेट शामिल थे. 

कांवड़ यात्रा रूट के लिए 33,776 पेड़ों को काटने की अनुमति

पीठ ने कहा, 'अंतरिम रिपोर्ट में कहा गया है कि सिंचाई विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार 9 अगस्त, 2024 तक तीनों जिलों में 17,607 पेड़ काटे गए हैं.' पीठ में न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी और विशेषज्ञ सदस्य ए सेंथिल वेल भी शामिल थे. ट्रिब्यूनल ने कहा कि 1,12,722 पेड़ों को काटने की अनुमति दी गई थी, लेकिन बाद में केवल 33,776 पेड़ों को काटने का निर्णय लिया गया. 

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इसमें कहा गया, 'यूपी राज्य को यह स्पष्ट करने का निर्देश दिया जाता है कि क्या काटे जाने वाले पेड़ों की संख्या की गणना यूपी वृक्ष संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार सख्ती से की गई है.' ट्रिब्यूनल ने राज्य के पर्यावरण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को दो सप्ताह के भीतर एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया, जिसमें यह बताने के लिए कहा गया कि कांवड़ यात्रा मार्ग के निर्माण के दौरान कितने पेड़ काटे जाएंगे. यह भी बताने के लिए कहा गया है कि क्या पेड़ों को 15 से 20 मीटर की चौड़ाई से अधिक काटा गया है और यदि हां, तो इसके लिए कौन जिम्मेदार है.

NGT ने दिए यात्रा मार्ग की सैटेलाइट इमेजरी कराने के निर्देश

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने कहा, 'एक सार्वजनिक परियोजना से संबंधित मुद्दे की गंभीरता को देखते हुए, संयुक्त समिति से अपेक्षा की जाती है कि वह निर्देशानुसार कार्य को शीघ्रता से पूरा करेगी और बिना किसी देरी के अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी.' ट्रिब्यूनल ने नहरों के दोनों किनारों पर काटे गए पेड़ों की सीमा की पहचान करने के लिए ड्रोन सर्वेक्षण करने के बारे में 16 अक्टूबर को सर्वेयर जनरल के पहले के बयान पर भी गौर किया. हालांकि, इसमें कहा गया कि सर्वे ऑफ इंडिया द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट से यह जानकारी एकत्र नहीं की जा सकती.

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एनजीटी ने अपने फैसले में कहा, 'इसलिए, हम सर्वे ऑफ इंडिया के सर्वेयर जनरल को वर्ष 2024 (अक्टूबर 2024 तक) के लिए विचाराधीन हिस्सों की सैटेलाइट इमेजरी कराने और 2023 में मौजूद पेड़ों और अक्टूबर 2024 तक काटे गए पेड़ों की तुलनात्मक स्थिति दिखाते हुए एक नई रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश देते हैं.' इस मामले में सुनवाई के लिए एनजीटी ने 25 नवंबर की तारीख तय की है.

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