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'न्यू कानपुर सिटी योजना' में गड़बड़ी, बिना TDS काटे की गई करोड़ों का भुगतान

27 साल से लटकी 'न्यू कानपुर सिटी योजना' की लॉन्चिंग की हड़बड़ी में कानपुर विकास प्राधिकरण से बड़ी चूक हो गई. शासन से इस योजना में 150 करोड़ रुपए जारी की गई. इसके बाद केडीए ने जमीन खरीदने के लिए किसानों से बातचीत की और डील फाइनल कर ली गई. फिर बिना TDS काटे ही किसानों को भुगतान कर दिया गया.

कानपुर विकास प्राधिकरण से बड़ी चूक. कानपुर विकास प्राधिकरण से बड़ी चूक.
सिमर चावला
  • कानपुर,
  • 06 फरवरी 2024,
  • अपडेटेड 10:44 PM IST

उत्तर प्रदेश के कानपुर में 27 साल से लटकी न्यू कानपुर सिटी योजना की लॉन्चिंग की हड़बड़ी में कानपुर विकास प्राधिकरण से बड़ी चूक हो गई. किसानों के खाते में चार गुना मुआवजे के साथ रकम ट्रांसफर कर दी गई. बाद में पता चला कि भुगतान से पहले नियमानुसार टीडीएस (TDS) कटौती ही नहीं की गई. फाइनेंस कंट्रोलर की चिट्ठी के बाद अधिकारियों में हड़कंप मच गया.

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जानकारी के मुताबिक, मामला करीब 55 करोड़ रुपए के भुगतान से जुड़ा है. न्यू कानपुर सिटी की पहली रजिस्ट्री पूर्व डीएम विशाख के कार्यकाल में जनवरी 2024 में हुई. शासन से इस योजना में 150 करोड़ रुपए जारी की गई. इसके बाद केडीए ने जमीन खरीदने के लिए किसानों से बातचीत की और डील फाइनल कर ली गई. ग्राउंड लेवल पर स्कीम की लॉन्चिंग के साथ रजिस्ट्री भी होने लगीं.

मुआवजे की रकम किसानों के खाते में ट्रांसफर कर दी गई

इधर रजिस्ट्री होती रही और उधर चार गुना मुआवजे के साथ रकम किसानों के खाते में ट्रांसफर होती रही. एफसी ने केडीए सचिव को पत्र में लिखा कि न्यू कानपुर सिटी योजना में कृषि भूमि को सीधे किसानों से खरीदने के सम्बंध में ओएसडी जोन 1 (लैंड बैंक) द्वारा प्रस्तुत फाइल में भुगतान से इनकम टैक्स की कटौती प्रस्तावित नहीं की गई.

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तत्काल रजिस्ट्री पर लगा दी गई है रोक

जबकि, सीए ने आयकर अधिनियम के अंतर्गत टीडीएस कटौती के बारे में (194-1A) के तहत भुगतान की कार्रवाई का सुझाव दिया गया है. जानकारों के अनुसार, प्रत्येक भुगतान में एक प्रतिशत टीडीएस कटौती करके पैसा किसानों के खाते में ट्रांसफर करना चाहिए था. जबकि, भुगतान में ऐसा नहीं किया गया. अनियमितता के दायरे में आता देख तत्काल रजिस्ट्री रोकने को कहा गया है.

मामले में केडीए सचिव ने कही ये बात

केडीए सचिव शत्रुघ्न वेस्ट का कहना है कि नियम के अनुसार टीडीएस की कटौती करनी चाहिए थी, लेकिन लेखा विभाग को यह जानकारी ही नहीं थी. जानकारी होते ही जिन किसानों को भुगतान किया गया उनसे टीडीएस वसूलने की कार्रवाई की जा रही है. विभाग में अधिकारियों की लापरवाही को भी ध्यान में रखकर, जो जिम्मेदार होंगे उन पर भी कार्रवाई की जाएगी.

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