
उत्तर प्रदेश के झांसी की रहने वाली रिचा सोनी इस समय चर्चा में हैं. दरअसल नीरज विश्वकर्मा नाम के एक युवक ने दावा किया है कि रिचा सोनी और उसकी करीब ढाई साल पहले लव मैरिज हुई थी और जब उसे लेखपाल की सरकारी नौकरी मिल गई तो वो छोड़कर चली गई. युवक ने बताया कि उनकी पहली मुलाकात करीब पांच साल पहले एक दोस्त के घर हुई थी.
ये मामला तब सामने आया, जब बीते बुधवार को योगी सरकार की ओर से लेखपाल बने अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र बांटे गए. नीरज विश्वकर्मा नाम का एक युवक भी झांसी कलेक्ट्रेट पहुंचा था. यहां वो अपनी पत्नी को खोजने के लिए आया था, लेकिन उसे खाली हाथ लौटना पड़ा.
मीडिया से बात करते हुए नीरज ने बताया कि वो कारपेंटर का काम करता है. करीब 5 साल पहले झांसी की ही सत्यम कॉलोनी में रहने वाली रिचा सोनी से दोस्त के घर उसकी मुलाकात हुई थी. दोनों ने करीब ढाई साल पहले ही एमपी के ओरछा मंदिर में जाकर शादी की थी, जिसके बाद दोनों घर आ गए और हंसी-खुशी से रहने लगे. इस दौरान लड़की रिचा ने उसे बताया था कि वह आगे पढना चाहती है. जब रिचा का सरकारी नौकरी लेखपाल में चयन हो गया तो फिर उसके रुख बदल गए. लेखपाल के पद पर चयन होने के बाद वह उसे छोड़कर चली गई. तबसे लेकर अब तक वह लौटकर घर नहीं आई.
उसने बताया कि पत्नी के लिए वह पुलिस से लेकर कई अधिकारियों के चक्कर लगा चुका है, लेकिन उसे न्याय नहीं मिला. वहीं जब इस बारे में लड़की से फोन पर बात की गई तो उसने कैमरे के सामने आने से इनकार करते हुए कहा कि उसकी कोई शादी नहीं हुई है.
पीड़ित युवक के मुताबिक, "जबसे मेरी पत्नी रिचा सोनी का लेखपाल के लिए चयन हुआ है, तबसे उसका रुख ही बदल गया है. बाद में वो मुझे छोड़कर ही चली गई. जिस कारण मैं दर-दर भटक रहा हूं. आज उसे लेखपाल का नियुक्ति पत्र मिलना था, जब इसकी जानकारी हुई तो मैं कलेक्ट्रेट आया हुआ था. उसे खोजने के लिए हर जगह देखा, लेकिन वह नहीं मिली. वह नियुक्ति पत्र लेकर चली गई. मैने इनके लिए हर कुछ किया."
ढाई साल पहले ओरछा मंदिर में की थी शादी
उसने बताया कि 5-6 साल पहले उससे दोस्त के घर मुलाकात हुई थी, जब वो बच्चों को पढ़ाने आती थी. यह मुलाकात दोस्ती में बदल गई. करीब छह महीने बाद यह दोस्ती कब प्यार में बदल गई यह उसे भी पता नहीं हुआ. प्यार होने के बाद दोनों अपनी मर्जी से ओरछा मंदिर में जाकर शादी कर ली. शादी करने के बाद दोनों हंसी-खुशी से रहते थे. इसके बाद उनका कुछ विवाद हुआ था, जिस कारण वह मायके चली गई थी. फैमिली कोर्ट में उसने सेक्शन 9 दायर कर अपने घर बुलाया था. जनवरी महीने में रिचा का लेखपाल पद पर चयन हो गया. उसके बाद वह 18 जनवरी को घर छोड़कर चली गई. फिर उससे मुलाकात नहीं की. एक बार कोतवाली में मिली थी तब यह कहने लगी कि एसडीएम के पास जाओ ओर शपथ पत्र देकर आओ कि कोई शादी नही हुई है."
'रोजाना मजदूरी कर पत्नी को पढ़ाया'
पीड़ित पति ने कहा कि हमने रिचा को पढ़ाने के लिए बड़ी मुश्किलों का सामना किया. हम कारपेंटर है. उसने जो चाहा हमने किया. हम 400-500 रुपए प्रतिदिन कमाते थे. उसी से उसकी पढ़ाई कराई, कई बार तो कर्ज भी लेना पड़ा. आज वह कहती है कि हमारी शादी नहीं हुई है. हमारे पास शादी की फोटो और प्रमाणपत्र है, क्या यह फर्जी हैं. फरवरी 2022 में हमारी ओरछा में शादी हुई थी.
ज्योति मौर्या जैसा है रिचा का मामला
लेखपाल रिचा सोनी की कहानी बरेली में एसडीएम के रूप में काम कर रही ज्योति मौर्या की तरह हो गई है. ज्योति मौर्या ने साल 2010 में बक्सर जिला के रहने वाले आलोक मौर्या से शादी की थी, जोकि प्रतापगढ़ में ग्रुप डी के कर्मचारी हैं. हालांकि आलोक ने अपनी को पढ़ाया और तैयारी कराई, जिसके बाद 2015 में ज्योति का पीसीएस में चयन हो गया. लेकिन एसडीएम बनते ही दोनों के बीच दूरियां बढ़ने लगी. ज्योति पर आरोप है कि 2020 में उनकी नजदीकियां होम गार्ड कमांडेंट मनीष दुबे से बढ़ने लगी थीं जोकि गाजियाबाद में तैनात थे. उन पर एक लड़की से भी शादी करने का आरोप है.