
उत्तर प्रदेश के झांसी में निलंबित चल रहे इंस्पेक्टर मोहित यादव एक बार फिर सुर्खियों में हैं. दरअसल, उन्होंने चौराहे पर चाय की एक दुकान खोल ली है. उनकी दुकान पर ग्राहकों की भीड़ उमड़ रही है. उनका कहना है कि निलंबन अवधि में मैं सैलरी नहीं ले रहा हूं, इसलिए इस दुकान से गुजर बसर कर रहा हूं.
आपको बता दें कि इंस्पेक्टर मोहित यादव वही हैं, जिन्होंने पिछले दिनों झांसी के नवाबाद थाने में जमीन पर बैठकर जमकर हंगामा किया था और उच्चाधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए थे. अब बीच चौराहे पर चाय की दुकान खोलने के बाद वह एक बार फिर वह चर्चाओं में आ गए हैं. मोहित यादव के मुताबिक, उन्हें न्याय मिलेगा, मैं गलत नहीं था, सीनियर द्वारा प्रताड़ित किया गया और अधिकारियों ने सुनवाई नहीं की. वहीं, जब इस मामले में पुलिस विभाग के उच्चाधिकारियों से बात की गई तो उन्होंने कैमरे के सामने आने से इनकार कर दिया.
पूर्व में मोहित यादव क्राइम ब्रांच में तैनात थे. लेकिन बाद में लापरवाही के आरोपों के कारण उन्हें निलंबित कर दिया गया था. 15 दिन पहले उन्होंने झांसी पुलिस लाइन में हंगामा करते हुए जहां आरआई पर मारपीट करने का आरोप लगाया था तो वहीं दूसरी ओर वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों पर उत्पीड़न का भी आरोप लगाया था. वह शिकायत दर्ज कराने थाने पहुंचे थे. शिकायत दर्ज ना होने पर इंस्पेक्टर रोते हुए जमीन पर बैठ गए थे. उस समय ये मामला काफी सुर्खियों में था.
बीते दिन मोहित यादव शहर के प्रमुख इलाइट चौराहे पर गैस सिलेंडर, चूल्हा, समेत अन्य सामान लेकर पहुंच गए और खुले आसमान के नीचे काउंटर लगाकर चाय बेचने लगे. पूछने पर मोहित ने बताया कि वह निलंबन अवधि में वेतन नहीं लेंगे और चाय बेचकर परिवार चलाएंगे.
चाय बेचते हुए मोहित यादव कहते हैं कि मैं यूपी पुलिस में इस्पेक्टर हूं और वर्तमान में सस्पेंड चल रहा हूं. निलंबन अवधि में मैं सैलरी नहीं ले रहा हूं, इसलिए यह काम कर रहा हूं. डिपार्टमेंटल चीजें हैं, न्याय नाम की कोई चीज नहीं है, मेरी सुनवाई नहीं हो रही है. मेरे खिलाफ मुकदमा लिख दिया गया, फर्जी आरोप लगाए जा रहे हैं.
बकौल मोहित- मेरी जालौन में ट्रेनिंग हुई थी, उसके बाद मैं कानपुर गया, फिर झांसी आया. झांसी में यूनिवर्सिटी चौकी इंचार्ज था, डीआईजी साहब के यहां पीआरओ रहा, फिर कोतवाली ट्रांसपर हुआ, उसके बाद ललितपुर ट्रांसफर हो गया. बाद में प्रमोशन हो गया. प्रमोशन के बाद क्राइम ब्रांच में रहा. अब मेरे खिलाफ फर्जी जांचें खोलकर मुझे निलंबित कर दिया गया. ऑफिस में बुलाकर अधिकारी मुझे प्रताड़ित कर रहे थे जिसपर मैंने इस्तीफा दे दिया. अभी 10-10 रुपये की चाय बेच रहा हूं. आखिर बाल-बच्चे तो पालने हैं.