जस्टिस यशवंत वर्मा ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश के रूप में शपथ ली, फिलहाल नहीं मिलेगी न्यायिक जिम्मेदारी

जस्टिस यशवंत वर्मा ने शनिवार को एक निजी समारोह में इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश के रूप में शपथ ली. इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के बाद वरिष्ठता में जस्टिस वर्मा छठे स्थान पर हैं. अमूमन जहां जजों की शपथ सार्वजनिक समारोह में होती है, वहीं जस्टिस वर्मा ने सीजेआई की अनुमति से अपने चेंबर में ही शपथ ली.

Advertisement
जस्टिस यशवंत वर्मा जस्टिस यशवंत वर्मा

नलिनी शर्मा / संजय शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 05 अप्रैल 2025,
  • अपडेटेड 4:01 PM IST

जस्टिस यशवंत वर्मा ने शनिवार को एक निजी समारोह में इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश के रूप में शपथ ली. हालांकि जस्टिस वर्मा को उनके खिलाफ आंतरिक जांच जारी रहने तक कोई न्यायिक कार्य नहीं सौंपा जाएगा. इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के बाद वरिष्ठता में जस्टिस यशवंत वर्मा छठे स्थान पर हैं. बता दें कि जस्टिस यशवंत वर्मा अपने आवास पर भारी मात्रा में कैश मिलने के बाद सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच का सामना कर रहे हैं. 

Advertisement

अमूमन जहां जजों की शपथ सार्वजनिक समारोह में होती है, वहीं जस्टिस वर्मा ने सीजेआई की अनुमति से अपने चेंबर में ही शपथ ली.

बार एसोसिएशन का विरोध और सरकार का फैसला

जस्टिस वर्मा का दिल्ली से इलाहाबाद हाईकोर्ट में ट्रांसफर सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश पर 28 मार्च को केंद्र सरकार ने अधिसूचित किया था. हालांकि इलाहाबाद बार एसोसिएशन ने इस फैसले का विरोध करते हुए अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी थी. जिसे CJI संजीव खन्ना के आश्वासन के बाद फिलहाल रोक दिया गया है. बार एसोसिएशन का कहना है कि वे भ्रष्टाचार के आरोप झेल रहे किसी भी न्यायाधीश को स्वीकार नहीं करेंगे.

सुप्रीम कोर्ट ने FIR की मांग को बताया जल्दबाज़ी

पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस वर्मा के खिलाफ एफआईआर की मांग करने वाली याचिका को "समय से पहले" बताते हुए खारिज कर दिया. शीर्ष अदालत ने कहा कि तीन सदस्यीय पैनल मामले की जांच कर रहा है और जांच पूरी होने के बाद एफआईआर दर्ज करने पर फैसला लिया जाएगा. याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि 20 मार्च को इस घोटाले के सामने आने के बाद कोई गिरफ्तारी या जब्ती नहीं की गई.

Advertisement

क्या था मामला?

बता दें कि 14 मार्च 2025 को जस्टिस यशवंत वर्मा के दिल्ली स्थित आवास के बाहरी हिस्से में आग लग गई. उस समय जस्टिस वर्मा शहर में नहीं थे. जब फायर ब्रिगेड कर्मचारी और पुलिस घटनास्थल पर पहुंची, तो उन्हें स्टोररूम में आंशिक रूप से जली हुई नकदी के ढेर मिला. इस घटना ने कानूनी हलकों में हलचल मचा दी, जिसके बाद सीजेआई ने घटना की विस्तृत जांच करने के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया. जस्टिस वर्मा ने आरोपों को खारिज करते हुए दावा किया कि उन्हें बदनाम किया जा रहा है.

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement