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कानपुर: गंगा में डूबते डिप्टी डायरेक्टर को बचाने के लिए क्यों मांगे थे 10 हजार? गोताखोरों ने पुलिस को बताया

Kanpur News: गंगा में डूबते समय डिप्टी डायरेक्टर आदित्य वर्धन सिंह को बचाने के लिए 10 हजार रुपये की डिमांड करने के आरोपी गोताखोरों को पुलिस ने पूछताछ के बाद छोड़ दिया है. गोताखोरों ने पुलिस को बताया कि आखिर उन्होंने क्यों पैसे मांगे थे.

कानपुर: गंगा में डूबे आदित्य वर्धन की तलाश जारी कानपुर: गंगा में डूबे आदित्य वर्धन की तलाश जारी
रंजय सिंह
  • कानपुर,
  • 05 सितंबर 2024,
  • अपडेटेड 5:21 PM IST

कानपुर के नानामऊ घाट में गंगा में डूबे हेल्थ डिपार्टमेंट के डिप्टी डायरेक्टर आदित्य वर्धन सिंह की बॉडी छठवें दिन भी नहीं मिली. वहीं, गंगा में डूबते समय उन्हें बचाने के लिए 10 हजार रुपये की डिमांड करने के आरोपी गोताखोरों को पुलिस ने पूछताछ के बाद छोड़ दिया है. गोताखोरों ने बताया कि आखिर उन्होंने क्यों पैसे मांगे थे. पुलिस का कहना है कि अगर आदित्य वर्धन के परिजन शिकायत करेंगे तो उसके अनुसार कार्रवाई की जाएगी. फिलहाल, आदित्य की तलाश में बिल्हौर थाना क्षेत्र समेत आसपास के एरिया में सर्च ऑपरेशन जारी है.  

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बता दें कि बिल्हौर स्थित नानामऊ घाट पर हुई ये घटना शनिवार, 31 अगस्त की है. आदित्य वर्धन सिंह (45) अपने दोस्तों योगेश मिश्रा, प्रदीप तिवारी के साथ यहां गंगा नहाने आए थे. दोस्तों का कहना है कि नहाते समय आदित्य वर्धन ने फोटो खींचने के लिए कहा. इस दौरान वो गहरे पानी में चले गए और डूबने लगे. 

ये भी पढ़ें- कैसे गंगा में डूबे डिप्टी डायरेक्टर? पांच दिन बाद भी कोई खबर नहीं, दोस्त ने बताई 'आखिरी इच्छा'

इस पर वहां मौजूद गोताखोरों से मदद मांगी गई लेकिन आरोप है कि गोताखोरों ने आदित्य के दोस्तों से पहले 10 हजार रुपये मांगे. बाद में जब ऑनलाइन एक दुकानदार के अकाउंट में रुपये ट्रांसफर किए गए, तब जाकर बचाने के लिए गंगा में कूदे. मगर तब तक बहुत देर हो चुकी थी. 

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अभी तक बॉडी का कोई पता नहीं चला 

गंगा में डूबे आदित्य वर्धन सिंह की बॉडी का छठवें दिन भी कोई पता नहीं चल सका है. जबकि, डूबते समय उनको बचाने के लिए ₹10000 अकाउंट में ट्रांसफर कराने वाले गोताखोरों (राकेश और सुशील) को पुलिस ने थाने लाकर पूछताछ के बाद छोड़ दिया है. पुलिस का कहना है अगर परिजन कोई कंप्लेंट करेंगे तो कार्रवाई की जाएगी. 

गोताखोरों ने पुलिस को क्या बताया?

मामले में एसीपी अजय कुमार द्विवेदी ने बताया कि बिल्हौर इंस्पेक्टर ने आरोपी गोताखोरों को पूछताछ के लिए बुलाया था. पूछताछ में गोताखोरों ने बताया कि जब वह (आदित्य) डूब गए थे तब उनके दोस्तों ने हमसे संपर्क किया था. अपनी मोटर बोट में डीजल डलवाने के पैसे मांगे थे. इससे पहले गंगा में कूद कर काफी खोजबीन की थी. लेकिन आदित्य का कुछ पता नहीं चला. जिसके बाद पैसे वापस कर दिए थे. 

एसीपी का यह भी कहना है कि गोताखोरों के खिलाफ किसी ने कोई कंप्लेंट नहीं की है, परिजन अगर शिकायत करेंगे तो उसके अनुसार कार्रवाई की जाएगी. वहीं, आदित्य वर्धन सिंह के परिजन भी घाट से अपने गांव चले गए हैं. उनके एक दो रिश्तेदार ही अब घाट पर मौजूद हैं. उम्मीद है बॉडी मिलने के बाद परिजन मौके पर पहुंचेंगे.

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पुलिस-पीएसी का सर्च ऑपरेशन जारी 

आदित्य की पत्नी महाराष्ट्र में जज हैं, जबकि उनके चचेरे भाई बिहार में सीनियर IAS ऑफिसर हैं. सूचना पाकर आदित्य के माता-पिता और बहन भी विदेश से लौट आए हैं. वे जल्द बॉडी मिलने की उम्मीद कर रहे हैं. फिलहाल, बॉडी ढूंढने के लिए 6 दिनों से एनडीआरएफ, एसडीआरएफ के साथ पीएससी के गोताखोर लगे हुए थे. 

लेकिन बीते बुधवार को एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें अपना सर्च अभियान समाप्त कर लौट गईं. पुलिस का कहना है कि असदित्य को गंगा में डूबे 5 दिन से ज्यादा समय हो गया है, आशंका है कि बॉडी गंगा के किनारे उगी झाड़ियों में फंस गई होगी. इसलिए अब उधर भी सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है. अभी पुलिस और पीएसी के जवान लगभग 40 किलोमीटर लंबे गंगा के तट पर तलाश कर रहे हैं. 

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