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हार्ट के मरीजों को गीता-रामायण बांट रहा यूपी का सबसे बड़ा कार्डियोलॉजी संस्थान, डॉक्टर ने बताई वजह

यूपी का सबसे बड़ा कार्डियोलॉजी संस्थान कानपुर में मौजूद है. यहां भर्ती मरीजों को डॉक्टर गीता, रामायण जैसी धार्मिक ग्रंथ देते हैं. यहां डॉक्टर और मरीज दोनों इनके फायदे गिना रहे हैं.

यूपी के हॉस्पिटल की तस्वीर यूपी के हॉस्पिटल की तस्वीर
सिमर चावला
  • कानपुर,
  • 06 दिसंबर 2023,
  • अपडेटेड 5:47 PM IST

दिल की बीमारियों से जूझ रहे मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. लगातार ऐसी घटनाएं भी सामने आ रही हैं कि जिसमें हार्ट समस्या जानलेवा साबित हुई है. ऐसे में हार्ट के मरीजों को जब इलाज के लिए हॉस्पिटल में भर्ती करवाया जाता है तब उनके मन में भी कई तरह के सवाल और डर होता है.

इस डर और कन्फ्यूजन को दूर करने के लिए यूपी के सबसे बड़े सरकारी हार्ट हॉस्पिटल ने नई शुरुआत की है. कानपुर में मौजूद कार्डियोलॉजी संस्थान में दिल के मरीजों के इलाज में धर्म और अध्यात्म का भी सहारा लिया जा रहा है.

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यहां दवाओं के साथ-साथ मरीजों को भगवद गीता, सुंदरकांड, रामायण, हनुमान चालिसा मुफ्त बांटी जाती हैं. मरीज के भर्ती होते ही उसके ये किताब दी जाती हैं. मिली जानकारी के मुताबिक, मरीजों से इनको पढ़ने के लिए कहा जाता है ताकि वो जीवन का असली सार समझ सकें.

इलाज में कैसे फायदा मिल रहा?

इसका पूरा इंतजाम वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डॉक्टर नीरज कुमार करते हैं. उन्होंने बताया कि जब मरीज यहां भर्ती होने आता है तो उसके दिमाग में काफी चीजें चल रही होती हैं, इस तनाव को कम करने में इन किताबों से मदद मिलती है ऐसा मेरा अनुभव है. हॉस्पिटल में भर्ती होने के बाद मरीज और भी कई बातें सोच-विचारने लगता है. ऐसे हालात में हम किताबों के जरिए उसका ध्यान दूसरी जगह लगाते हैं, इससे इलाज में मदद मिलती है.

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डॉक्टर नीरज कुमार बताते हैं कि हृदय रोगी को स्थिर रखना सबसे जरूरी होता है. ये देखना होता है कि उसकी हालत और ज्यादा ना बिगड़े. उसका बीपी, शुगर, पल्स रेट सबको स्थिर रखना होता है, क्योंकि अगर इनमें से कुछ भी बढ़ा तो ऑपरेशन करना मुश्किल हो जाता है. ऐसे में ये धार्मिक किताबें मदद करती हैं.

डॉक्टर ने आगे बताया कि ये काम बीते एक साल से शुरू किया गया है. एक साल में करीब 600 मरीजों को धार्मिक किताबें बांटी गई हैं. इन किताबों को पढ़कर मरीज थोड़ा सामान्य व्यवहार करता है और ऑपरेशन को लेकर उसका डर भी खत्म हो जाता है.

यहां भर्ती मरीज सरोजनी मिश्रा भी इससे फायदे की बात कहती हैं. वह बोलीं कि हॉस्पिटल में भर्ती होने के साथ ही उन्होंने गीता पढ़नी शुरू कर दी थी. अब उनको ये एहसास ही नहीं होता कि वो हॉस्पिटल में हैं.

14 नवंबर से भर्ती दूसरे मरीज हरि ने बताया कि गीता पढ़ने से उनको ताकत मिली और मन शांत हुआ.

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