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Dussehra 2023: साल में एक दिन खुलता है ये अनोखा मंदिर, होती है रावण की पूजा, लगते हैं दशानन के जयकारे

उत्तर प्रदेश के कानपुर में एक ऐसा भी मंदिर है जहां विजयदशमी के दिन पूरे विधिविधान से रावण का दुग्ध स्नान और अभिषेक कर श्रंगार किया जाता है. उसके बाद पूजन के साथ रावण की स्तुति कर आरती की जाती है. यह मंदिर पूरे साल में सिर्फ दशहरे के दिन ही खोला जाता है.

कानपुर का दशानन मंदिर. कानपुर का दशानन मंदिर.
रंजय सिंह
  • कानपुर,
  • 24 अक्टूबर 2023,
  • अपडेटेड 10:04 AM IST

आज पूरे देश में धूमधाम से दशहरा का त्योहार मनाया जा रहा है. ये तो सभी को पता है कि इस दिन भगवान राम ने रावण को हराया था. जिसके बाद से इस दिन को असत्य पर सत्य की जीत का नाम देकर हर साल हिंदू लोग दशहरे के रूप में पर्व को मनाते हैं. रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतलों को फूंका जाता है. लेकिन उत्तर प्रदेश के कानपुर में एक ऐसा भी मंदिर है जहां विजयदशमी के दिन पूरे विधिविधान से रावण का दुग्ध स्नान और अभिषेक कर श्रंगार किया जाता है. उसके बाद पूजन के साथ रावण की स्तुति कर आरती की जाती है.

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इस मंदिर के पुजारियों और शास्त्र विद्वानों का मानना है कि रावण को जब भगवान् राम ने युद्धे के बाद मारा था तो उनका ब्रह्म बाण रावण की नाभि में लगा था. बाण लगने के बाद और रावण के धराशाही होने के बीच कालचक्र ने जो रचना की उसने रावण को पूजने योग्य बना दिया. यह वह समय था जब राम ने लक्ष्मण से कहा था कि रावण के पैरों की तरफ खड़े हो कर सम्मानपूर्वक नीति ज्ञान की शिक्षा ग्रहण करो. क्योंकि धरातल पर न कभी रावण के जैसा कोई ज्ञानी पैदा हुआ है और न कभी होगा. रावण का यही स्वरूप पूजनीय है और इसी स्वरूप को ध्यान में रखकर कानपुर में रावण के पूजन का विधान है.

रावण का जन्मदिन भी मनाया जाता है

साल 1868 में कानपुर में बने इस मंदिर में तबसे आज तक निरंतर रावण की पूजा होती है. लोग हर साल इस मंदिर के खुलने का इन्तजार करते हैं. मंदिर खुलने पर यहां रावण की पूजा अर्चना बड़े धूम-धाम से की जाती है. इसी के साथ विधि-विधान से रावण की आरती भी गाई जाती है. कानपुर में मौजूद रावण के इस मंदिर के बारे में यह भी मान्यता है कि यहां मन्नत मांगने से लोगों के मन की मुरादें भी पूरी होती हैं और लोग इसीलिए यहां दशहरे पर रावण की विशेष पूजा करते हैं. यहां दशहरे के दिन ही रावण का जन्मदिन भी मनाया जाता है. बहुत कम लोग जानते होंगे कि रावण को जिस दिन राम के हाथों मोक्ष मिला उसी दिन रावण पैदा भी हुआ था.

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दशहरे के दिन ही खुलता है ये मंदिर

कानपुर में इस मंदिर को केवल दशहरे के दिन ही खोला जाता है. बाकी पूरे साल यह मंदिर बंद रहता है. दशहरे के दिन सुबह मंदिर में पूजा होती है. माना जाता है कि रावण की पूजा करने से लोगों को ज्ञान प्राप्त होता है. इस मंदिर को कुछ ही देर के लिए खोला जाता है. लोग आते हैं. रावण की प्रतिमा के सामने फूल चढ़ाते हैं, जयकारा लगाते हैं फिर आरती के बाद ज्ञान प्राप्ति का वरदान मांगते हैं.

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