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लखीमपुर खीरी: 'घटना के वक्त कार में नहीं था आशीष मिश्रा'...सुप्रीम कोर्ट में वकील की दलील

लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सुनवाई हुई. इस दौरान आशीष मिश्रा के वकील मुकुल रोहतगी ने कोर्ट में कहा कि घटना के वक्त आशीष कार में नहीं था. मुकुल रोहतगी ने यह भी जिक्र किया कि हाईकोर्ट ने इस मामले में 1 साल पहले ही जमानत दे दी थी.

आशीष मिश्रा आशीष मिश्रा
अनीषा माथुर/संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 12 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 1:29 PM IST

लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सुनवाई हुई. इस दौरान आशीष मिश्रा के वकील मुकुल रोहतगी ने कोर्ट में कहा कि घटना के वक्त आशीष कार में नहीं था. मुकुल रोहतगी ने यह भी जिक्र किया कि हाईकोर्ट ने इस मामले में 1 साल पहले ही जमानत दे दी थी. 

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मुकुल रोहतगी ने बताया कि लखीमपुर मामले में चार्जशीट दाखिल हो चुकी है. इतना ही नहीं रिकॉर्ड्स से भी यह पता चलता है कि आशीष घटना के वक्त कार में मौजूद नहीं था. उन्होंने कहा कि आशीष एक साल से कस्टडी में है. हाईकोर्ट ने पिछले साल जमानत भी दे दी थी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे रद्द कर दी और दोबारा मामला हाईकोर्ट में भेज दिया. अब आरोप तय हो चुके हैं. 

मुकुल रोहतगी ने कही कि सबूतों से पता चलता है कि आशीष कार में नहीं था. कोर्ट ने पूछा कि आशीष कब से जेल में है? इस पर रोहतगी ने कहा कि एक साल से ज्यादा हो गया. 

16 से शुरू होगा ट्रायल- यूपी सरकार

सुनवाई के दौरान यूपी सरकार की ओर से बताया गया कि ट्रायल कोर्ट ने बरी करने के आवेदन को रद्द कर दिया. इस मामले में ट्रायल 16 दिसंबर से शुरू होना है. इस घटना के गवाहों को सुरक्षा दी गई है. इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि जो नामित गवाह हैं, उनके अलावा कोई अन्य गवाह हैं, जिन्हें सुरक्षा की जरूरत हो, तो उन्हें भी सुरक्षा दीजिए. इस पर यूपी सरकार की ओर से पेश वकील ने कहा कि पीड़ितों के परिवारों को भी सुरक्षा दी गई है. 

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आरोपी के भी कुछ अधिकार हैं- जस्टिस सूर्यकांत

जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि मूल सिद्धांत हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि अधिकारों की रक्षा की जानी चाहिए, ट्रायल निष्पक्ष हो, पीड़ित और गवाहों की रक्षा की जानी चाहिए. इसके साथ ही आरोपी के भी कुछ अधिकार हैं. 

इस पर पीड़ित पक्ष की ओर से पेश वकील दवे ने कहा कि यह 302 का केस है. 302 के मामलों में कोर्ट शायद ही कभी जमानत देती हैं. हमारी चिंता यह है कि जिन लोगों को निचली अदालतों से जमानत मिलनी चाहिए थी, वे भी हमारे पास आ रहे हैं. हमें उन्हें जमानत देनी होगी. 

ये पावरफुल लोग हैं- दवे

इस पर पीड़ित पक्ष के वकील दवे ने कहा, ये पावरफुल लोग हैं. सरकार में मंत्री इनके पिता ने खुलेआम धमकी दी थी. इस घटनाक्रम में 5 लोगो की हत्या हुई है. एक दिन पहले ही एक गवाह पर हमला हुआ. 

कार पर पत्थर फेंके गए- रोहतगी

मुकुल रोहतगी ने कोर्ट में दलील दी कि कार में सवार लोगों की कहानी यह है कि कार पर पत्थर फेंके गए. चालक को खींचकर मौके पर बुरी तरह मारा गया जिससे उसकी मौत हो गई. अगर आप पत्थर फेंकेंगे तो कोई तेज गति से भागने की कोशिश ही करेगा, वह तेज रफ्तार ही दुर्घटना का कारण बनी. आशीष मिश्रा के पास लाइसेंस वाली गन है. लेकिन उसका इस घटना से कोई लेना देना नहीं है. बंदूक की जांच भी की गई है. 

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रोहतगी ने आगे कहा कि एफआईआर में एक व्यक्ति को गोली लगने का जिक्र है. लेकिन गोली से किसी की मौत नहीं हुई. कार में बैठे ड्राइवर और एक अन्य को मौके पर ही मार दिया गया. उस समय आशीष मिश्रा चार किमी दूर दंगल ग्राउंड में थे. 

14 अभियुक्तों पर आरोप तय

इससे पहले हाल ही में लखीमपुर की एडीजे फर्स्ट कोर्ट ने आशीष समेत सभी 14 अभियुक्तों पर आरोप तय किए थे. आशीष पर आईपीसी और मोटर व्हीकल एक्ट की धारा में आरोप तय हुए हैं. अब इस मामले में 16 दिसंबर से ट्रायल शुरू होगा और उसी दिन से वादी मुकदमा की गवाही शुरू हो जाएगी. यानी अगर आरोप साबित होते हैं तो कोर्ट में आशीष पर दोष सिद्ध होता है तो धाराओं के आधार पर सजा सुनाएगी.

जनवरी तक टली सुनवाई

आशीष मिश्रा की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई जनवरी के दूसरे हफ्ते तक टाल दी है. सुप्रीम कोर्ट ने लखीमपुर खीरी के जिला जज से पूछा है कि इस मामले का ट्रायल कितने समय में पूरा हो जाएगा. उत्तर प्रदेश सरकार ने भी इसे गंभीर मामला बताते हुए बेल का विरोध किया है. 

क्या है मामला ?
 

लखीमपुर जिले के तिकुनिया थाना क्षेत्र में 3 अक्टूबर 2021 को हिंसा हुई थी. आरोप है कि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के बेटे आशीष मिश्रा उर्फ मोनू के इशारे पर थार जीप से प्रदर्शनकारी किसानों को कुचल दिया गया था. घटना में चार किसान की मौत हो गई थी. हिंसा भड़कने के बाद कुल 8 लोगों की जान गई थी. यहां तीन कृषि कानून के विरोध में किसान धरना देने और मंत्री अजय मिश्रा के खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए जुटे थे. इस घटना में कई किसानों की मौत हो गई थी. कुछ घायल हुए थे. मंत्री पुत्र की कार के ड्राइवर को भीड़ ने पीट-पीट कर मार दिया था.

 

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