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लॉ स्टूडेंट गौरी की कहानी... जिसे एकतरफा प्यार में काट कर मार डाला था

लखनऊ (Lucknow) में 19 साल की लॉ स्टूडेंट घर से निकली और फिर गायब हो गई. फिर अगले दिन बोरियों में उसके कटे हुए अंग मिले. कौन थी वो लड़की, क्या था या पूरा मामला? चलिए जानते हैं एकतरफा प्यार की वो कहानी जिसमें एक सिरफिरे आशिक ने लड़की को बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया....

हिमांशु और गौरी श्रीवास्तव (फाइल फोटो) हिमांशु और गौरी श्रीवास्तव (फाइल फोटो)
तन्वी गुप्ता
  • लखनऊ,
  • 01 जून 2023,
  • अपडेटेड 10:06 AM IST

कहानी उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की राजधानी लखनऊ (Lucknow) की. यहां अमीनाबाद इलाके में एक लड़की रहती थी. नाम था गौरी श्रीवास्तव. 19 साल की गौरी लॉ स्टूडेंट थी. स्वभाव से वह काफी खुशमिजाज और खुले विचारों की सोच रखने वाली एक मॉडर्न लड़की थी. पिता शिशिर श्रीवास्तव की अमीनाबाद में ही एक दुकान है जिसमें वह इंटीरियर डेकोरेशन का सामान बेचते हैं.

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वहीं, गौरी की मां तृप्ति श्रीवास्तव एक हाउसवाइफ हैं. गौरी अपने माता-पिता की एकलौती बेटी थी. परिवार काफी खुश रहता था. लेकिन 1 फरवरी 2015 के दिन इस परिवार में ऐसा कुछ हुआ जिसकी कल्पना तृप्ति और शिशिर ने कभी नहीं की होगी.

दरअसल, 1 फरवरी 2015 के दिन गौरी दोपहर के साढ़े बारह बजे अपने पिता की जैकेट को ड्राइक्लीनिंग करवाने के लिए घर से निकली. गौरी ने मां को कहा कि उसे मंदिर भी जाना है. इसलिए ड्राइक्लीनिंग के बाद वह सीधे मंदिर जाएगी. फिर घर लौटेगी.

इसके बाद गौरी ने दुकान में पिता की जैकेट ड्राइक्लीनिंग के दी. फिर वहां से निकल पड़ी. उस दौरान उसके कई जानने वालों ने भी उसे देखा था. लेकिन उन्हें भी नहीं पता था कि वे गौरी को अंतिम बार देख रहे हैं.

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शाम के चार बज गए थे लेकिन गौरी घर नहीं लौटी, तो मां को चिंता होने लगी. उन्होंने गौरी को फोन किया. लेकिन बेटी ने फोन नहीं उठाया. इसके बाद मां ने कई बार उसे फोन लगाया. लेकिन गौरी ने एक बार भी फोन नहीं उठाया. तो परेशान होकर उन्होंने गौरी के पिता को फोन किया और बताया कि बेटी अब तक घर नहीं लौटी है और न ही फोन उठा रही है.

पिता ने भी फिर गौरी को फोन लगाना शुरू किया. कई बार फोन लगाने के बाद एक लड़के ने फोन उठाया. उसने कहा कि आप टेंशन मत लो. गौरी रात तक वापस लौट आएगी. पिता ने दोबारा फोन किया तो लड़के ने फिर वही बात कही. उन्होंने कहा कि गौरी से बात करवाओ. तो लड़के ने फोन काट दिया.

लड़के ने नहीं करवाई गौरी से बात
अब शाम के पांच बज चुके थे. पिता भी घर लौट आए. उन्होंने पत्नी से कहा कि क्यों ना थोड़ी देर तक गौरी का इंतजार कर लिया जाए. क्या पता वो दोस्तों के साथ हो. लेकिन शाम और ज्यादा हो गई. गौरी का अब भी कोई अता-पता नहीं था. तो मां ने दोबारा गौरी को फोन लगाया. फिर से उसी लड़के ने फोन उठाया और बताया कि गौरी उसके साथ ईको पार्क में है. थोड़ी देर में वह घर पहुंच जाएगी. मां ने लड़के से कहा कि एक बार गौरी से वह उनकी बात करवा दे. लेकिन इस बार भी लड़के ने फोन काट दिया.

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माता-पिता को अब यह लड़का संदिग्ध लगने लगा. उन्होंने सोचा कि क्यों न इसकी सूचना पुलिस को दे दी जाए. लेकिन उससे पहले उन्होंने एक बार फिर गौरी को फोन लगाया. लड़के ने इस बार बताया कि गौरी की तबीयत ठीक नहीं है. इसलिए वह उसे SGPGI अस्पताल लेकर जा रहा है. यह सुनकर माता-पिता बदहवास होकर अस्पताल पहुंच गए. लेकिन वहां पता चला कि गौरी नाम की कोई पेशेंट अस्पताल में नहीं आई है.

पुलिस तक पहुंचा मामला
फिर दोनों ईको पार्क गए. लेकिन वहां भी उन्हें गौरी नहीं मिली. शाम के 7 बज गए तो उन्होंने फिर गौरी को फोन किया. लेकिन अब उसका फोन स्विच ऑफ आने लगा. माता-पिता की टेंशन और बढ़ गई तो वे अमीनाबाद पुलिस स्टेशन पहुंच गए. पिता ने पुलिस को सारी घटना बताई. जिसके बाद पुलिस ने मामला दर्ज करके जांच शुरू कर दी.

बोरी को नोंच रहे थे कुत्ते
इसी तरह रात बीत गई. फिर 2 फरवरी 2015 के दिन सुबह के 7 बजे शहीदपथ रोड के पास कुछ लोगों को एक बोरी सड़क पर पड़ी देगी. उसके आस-पास कई कुत्ते घूम रहे थे. वे बार-बार बोरी को सूंघ रहे थे. थोड़ी देर बाद कुत्तों ने बोरी को नोंच दिया तो उसमें से किसी इंसान के कटे हुए पैर निकले. फिर कुत्ते उसे नोंचने लगे. यह देखते ही लोगों ने इसकी सूचना पुलिस को दी और कुत्तों को वहां से भगाया.

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मौके पर पहुंची पुलिस ने उन कटे हुए पैरों को कब्जे में ले लिया और आस-पास तलाशी करने लगे. तभी उन्हें पास की झाड़ियों से एक और बोरी मिली. उसमें कटे हुए इंसानी हाथ और सिर था. देखने से लग रहा था ये किसी लड़की की लाश है. आस-पास और तलाशा गया तो शरीर के और भी अंग पुलिस को मिल गए.

सभी अंगों को पुलिस ने रीअरेंज करने के लिए उन्हें अस्पताल भेज दिया. लखनऊ जैसे शहर में किसी इंसानी लाश के अंगों का इस तरह मिलना वाकई में हैरान कर देने वाला था. देखते ही देखते यह खबर हर जगह आग की तरह फैल गई. उधर गौरी के माता-पिता तो वैसे ही परेशान थे क्योंकि उनकी बेटी अब तक घर नहीं लौटी थी. जब उन्होंने ये न्यूज टीवी पर देखी कि किसी लड़की की लाश इस तरह मिली है तो वे डर गए.

बोरियों में मिली लाश गौरी की थी
जब लाश को रीअरेंज कर लिया गया तो 3 फरवरी को पुलिस ने गौरी के माता-पिता को अस्पताल बुलवाया. ताकि वे लाश की पहचान कर सकें. जैसे ही माता-पिता ने लाश देखी तो वे फूट-फूट कर रोने लगे. क्योंकि ये लाश गौरी की ही थी. पुलिस ने अब इस मामले को मर्डर केस मानकर जांच शुरू कर दी.

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वहीं, न्यूज चैनलों से लेकर सोशल मीडिया तक, हर जगह यही खबर चल रही थी. पुलिस ने गौरी की कॉल डिटेल निकलवाई तो कुछ खास बातें उससे पता नहीं चल सकीं. क्योंकि गौरी के मोबाइल पर सबसे ज्यादा कॉल उसी के माता-पिता के थे. बाकी जिन अन्य नंबरों पर गौरी की बात हुई थी, उनसे भी पुलिस को कुछ खास जानकारी नहीं मिल सकी.

फिर पुलिस ने गौरी की लास्ट लोकेशन पता करवाई. पता चला कि अंतिम बार वह तेलीबाग इलाके में थी. पुलिस ने गौरी के माता-पिता से पूछा कि क्या तेलीबाग में गौरी का कोई जानने वाला है? माता-पिता ने कहा कि वहां तो उनकी जान पहचान का कोई नहीं रहता है और न ही गौरी का कोई दोस्त वहां रहता है. 

सीसीटीवी फुटेज से मिली लीड
पड़ोसियों ने भी बताया कि गौरी ने कभी उनके सामने भी तेलीबाग का जिक्र नहीं किया था. इस केस में पुलिस ने कई टीमें बनाई थीं. फिर पुलिस की एक टीम ने तेलीबाग के सभी सभी सीसीटीवी फुटेज को देखा. पुलिस के इस कदम से केस में कुछ लीड मिली. एक फुटेज में पुलिस को गौरी पैदल चलती दिखाई दी. वह फोन पर किसी से चैटिंग कर रही थी. फिर आगे चलकर वह एक बाइक पर बैठ गई. बाइक पर एक लड़का था जिसने हेलमेट पहना हुआ था.

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इसके बाद दोनों वहां से चले गए. पुलिस के पास गौरी का बस यही एक फुटेज था. सीसीटीवी फुटेज इतनी साफ नहीं थी, कि बाइक का नंबर पता लग पाता. लेकिन काफी मशक्कत के बाद पुलिस ने पता लगा लिया कि बाइक कौन सी कंपनी की है. फिर पुलिस की एक टीम ने RTO ऑफिस से बाइक की जानकारी निकालनी शुरू की. लेकिन यहां भी बाइक से संबंधित जानकारी उन्हें नहीं लग पाई.

बाइक वाले की हो गई पहचान
फिर पुलिस की एक टीम ने तेलीबाग में ही लोगों से बाइक के बारे में पूछना शुरू किया तो यहां उन्हें कामयाबी मिल गई. पता लग गया कि यह बाइक किसकी है. पता चला कि यह गौरी का ही दोस्त है जो कि तेलीबाग में रहता है. नाम हिमांशु प्रजापति. पुलिस ने उसकी सारी कुंडली खंगालनी शुरू की. पता लगा कि 23 वर्षीय हिमांशु राजस्थान की यूनिवर्सिटी से बीकॉम की प्राइवेट पढ़ाई कर रहा है. साथ ही वह SSC की कोचिंग भी ले रहा है.

हिमांशु के जानने वाले लोगों को जब सीसीटीवी फुटेज दिखाया गया तो वे उसे तुरंत पहचान गए. पुलिस के मुताबिक, गौरी अंतिम बार हिमांशु के साथ ही दिखी थी. पुलिस तुरंत हिमांशु के घर पहुंची तो पता चला कि पूरा परिवार मुंबई गया हुआ है. सिर्फ हिमांशु ही घर पर अकेला रह रहा था. वो भी उस समय वहां मौजूद नहीं था. पुलिस ने उसकी तलाश शुरू की और जल्द ही उसे गिरफ्तार कर लिया गया.

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हिमांशु ने कबूल किया जुर्म
पहले तो हिमांशु ने साफ इनकार कर दिया कि वह गौरी के साथ उस समय था ही नहीं. लेकिन सख्ती से जब पूछताछ की गई तो वह टूट गया. उसने अपना जुर्म कबूल कर लिया. उसने बताया कि एक साल पहले यानी 2014 में किसी कॉमन फ्रेंड के जरिए उसकी मुलाकात गौरी से हुई थी. गौरी काफी खुले विचारों वाली लड़की थी. उसके कई पुरुष मित्र भी थे. वह सभी से WhatsApp पर बात किया करती थी. हिमांशु से भी उसकी WhatsApp पर ही बात हुई थी. वह कभी फिजिकली एक दूसरे से नहीं मिले थे.

लेकिन दोस्ती गहरी हुई तो दोनों ने मिलना जुलना शुरू कर दिया. जनवरी 2015 के दिन किसी काम से हिमांशु का परिवार मुंबई चला गया. लेकिन हिमांशु उनके साथ नहीं गया. 4 फरवरी को उन्होंने वापस लौटना था. हिमांशु ने सोचा कि क्यों न गौरी को वो अपने घर बुलाए. दरअसल, वह मन ही मन में गौरी से प्यार करने लगा था. उसे लगता था कि गौरी भी उसे प्यार करती है. लेकिन गौरी उसे सिर्फ अच्छा दोस्त मानती थी.

इसलिए हिमांशु के कहने पर वह उससे मिलने के लिए राजी हो गई. 1 फरवरी 2015 को हिमांशु ने गौरी को बाइक पर बैठाया और अपने घर ले आया.  दोनों बातें कर रहे थे. तभी हिमांशु ने उससे कहा कि वो अपना फोन उसे दिखाए. लेकिन गौरी ने फोन देने से इनकार कर दिया. गुस्से में हिमांशु ने उसका फोन छीन लिया. उसने गौरी से फोन का पासवर्ड मांगा. गौरी ने मना किया तो उसने उस पर दबाव बनाया.

फोन में आपत्तिजनक फोटो देखते ही बौखलाया हिमांशु
जैसे-तैसे करके उसने गौरी से पासवर्ड ले लिया. फोन खोला तो देखा कि गौरी ने कुछ फोटो अपने किसी मेल फ्रेंड को भेजी हैं. यह देखते ही हिमांशु बौखला गया. दोनों में कहासुनी शुरू हुई तो हिमांशु ने उसका गला दबा दिया. गौरी बेहोश होकर वहां गिर गई. हिमांशु को लगा कि वह मर गई है. इसलिए घबरा कर वह घर से कहीं चला गया. फिर अपने एक दोस्त को घर के बाहर लेकर आया. दोनों के बीच दो घंटे तक बातचीत हुई. फिर वो दोस्त भी वहां से चला गया.

ऐसे लगाया शव को ठिकाने
उधर हिमांशु काफी टेंशन में था. एक दुकान में जाकर उसने खूब शराब पी और सोचा कि कैसे गौरी के शव को ठिकाने लगाया जाए. फिर उसने दुकान से एक आरी और बोरियां खरीदीं. घर आकर उसने गौरी के शव के टुकड़े किए और बोरियों में भरकर उन्हें ठिकाने लगा दिया. शव को ठिकाने के बाद उसने घर को साफ किया और सो गया.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हुआ चौंकाने वाला खुलासा
हिमांशु के बयान के बाद पुलिस ने उसके खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर लिया. फिलहाल यह केस अभी भी कोर्ट में चल रहा है. बता दें, जब गौरी की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आई तो पुलिस के होश उड़ गए. क्योंकि जब हिमांशु ने गौरी का गला घोंट कर उसे मरा हुआ समझ लिया था, तब वह मरी नहीं थी. जिंदा था. वो बस कोमा में चली गई थी. हिमांशु ने उसे मरा हुआ समझ कर आरी से काट दिया था.

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