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लखनऊ: 9 दिन के बच्चे को अस्पताल में छोड़ नेपाल भाग गए माता-पिता, 20 दिन बाद मासूम की मौत

नेपाल से लखनऊ इलाज के लिए लाए बच्चे की 20 दिन बाद मौत हो गई. दरअसल, बच्चे के पेट व सांस की नली आपस में जुड़ी थी. माता-पिता ने पहले निजी अस्पताल में इलाज करवाया. वहां उनसे खूब पैसे वसूले गए फिर बच्चे की हालत गंभीर बताकर ट्रॉमा रेफर कर दिया. लेकिन माता-पिता मासूम को यहां ट्रॉमा सेंटर में ही छोड़कर नेपाल चले गए. कई बार उनसे संपर्क करने की कोशिश की गई लेकिन कॉन्टेक्ट नहीं हो पाया.

प्रतीकात्मक तस्वीर. प्रतीकात्मक तस्वीर.
आशीष श्रीवास्तव
  • लखनऊ,
  • 26 जून 2023,
  • अपडेटेड 10:25 AM IST

उत्तर प्रदेश के लखनऊ में इंसानियत को शर्मसार कर देने वाला मामला सामने आया है. यहां इलाज के लिए लाए गए नवजात शिशु को उसके माता-पिता अस्पताल में छोड़कर नेपाल भाग गए. इसके बाद बच्चे की इलाज के दौरान मौत हो गई. मामला, लखनऊ के ट्रॉमा सेंटर का है. अस्पताल वालों ने कई बार बच्चे के परिजनों से संपकर्क करने की कोशिश की. लेकिन उनका फोन ही नहीं लगा.

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जानकारी के मुताबिक, नेपाल की रहने वाली महिला को बीते माह नेपाल में प्रसव हुआ था. बच्चे के पेट व सांस की नली आपस में जुड़ी थी. परिजन नेपाल से बच्चे को लेकर लखनऊ आए. यहां पर नेपाली सिडिकेंट के तहत काम करने वाले निजी अस्पतालों ने पहले इलाज नाम पर उनसे खूब पैसे वसूल लिए. फिर बच्चे की हालत गंभीर बताकर ट्रॉमा रेफर कर दिया.

जब नवजात को ट्रॉमा सेंटर लाया गया तब वह 9 दिन का था. डॉक्टरों ने जांच पड़ताल बाद ऑपरेशन की सलाह दी. परिजन इलाज की रकम जुटाने की बात कहकर नेपाल चले गए. कहा कि वे पैसे लेकर वापस आएंगे. बच्चे को उन्होंने अस्पताल में ही छोड़ दिया. जब वे नहीं लौटे तो भर्ती के दो दिन बाद डॉक्टरों ने बच्चे की मुफ्त सर्जरी कर दी. जिसके बाद से बच्चा एनआईसीयू में भर्ती था.

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20 दिन बाद मासूम की मौत
फिर 20 दिन बाद यानि, रविवार को सुबह इलाज दौरान बच्चे की मौत हो गई. डॉक्टर और स्टॉफ ने बच्चे की फाइल पर लिखे नंबर पर कई दफा कॉल किया मगर बातचीत नहीं हो सकी. ट्रॉमा प्रशासन ने पुलिस को सूचना दी. जिसके बाद पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया है. वहीं, अभी तक न तो बच्चे के अभिभावक आए और न ही उन्होंने फोन पर कोई बातचीत की.

अभी तक नहीं हो पाया परिजनों से संपर्क
KGMC ट्रामा सेंटर इंचार्ज संदीप तिवारी के मुताबिक बच्चे की परिजनों से लगातार संपर्क करने की कोशिश की गई. लेकिन संपर्क नहीं हो पाया. हालांकि, बच्चे का फ्री में इलाज भी किया गया. फिर भी उसे नहीं बचाया जा सका.

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