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लखनऊ के इस LDA पार्क में जलाए जा रहे हैं मुर्दे, लोग परेशान, घरों में नहीं बन पाता खाना

लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) कॉलोनी के बीचों-बीच खुले मैदान में जहां बच्चे खेलकूद कर सकते हैं, बुजुर्ग सुबह सैर सपाटा और व्यायाम कर सकते हैं, उस मैदान में मुर्दे जलाए जाते हैं. पूरा मैदान श्मशान घाट में तब्दील हो चुका है. लोगों की मांग है कि यहां पर मुर्दा जलाना बंद किया जाए.

जानकीपुरम सेक्टर जे के LDA पार्क में जलाए जा रहे मुर्दे जानकीपुरम सेक्टर जे के LDA पार्क में जलाए जा रहे मुर्दे
सत्यम मिश्रा
  • लखनऊ,
  • 23 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 12:33 PM IST

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक ऐसा इलाका है, जहां लोग उस आवासीय क्षेत्र में रहते हैं जहां मुर्दे जलते हैं. लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) कॉलोनी के बीचों-बीच खुले मैदान में जहां बच्चे खेलकूद कर सकते हैं, बुजुर्ग सुबह सैर सपाटा और व्यायाम कर सकते हैं, उस मैदान में मुर्दे जलाए जाते हैं. पूरा मैदान श्मशान घाट में तब्दील हो चुका है.

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यह इलाका है लखनऊ के गुडंबा थाना क्षेत्र के अंतर्गत जानकीपुरम सेक्टर जे. स्थानीय लोगों ने बताया कि कोरोना महामारी के दौरान भी यहां मुर्दे जलते थे. लोगों की मांग है कि यहां पर मुर्दा जलाना बंद किया जाए क्योंकि कोरोना महामारी के समय यहां पर मुर्दे जलाए जाते थे, जो अभी भी बदस्तूर जारी हैं. 

70 वर्षीय बुजुर्ग कृपा शंकर त्रिपाठी ने बताया कि जब मुर्दे जलाए जाते हैं तो घरों में खाना नहीं बनता है क्योंकि प्रदूषण होता है और मुर्दे के साथ एक बड़ा जनसमूह आता है और मुर्दे जलाकर चला जाता है. मोहल्ले वाले कुछ नहीं कर पाते. वहीं कॉलोनी के सुनील श्रीवास्तव ने बताया कि यहां लोग बड़ी तादाद में मुर्दे लेकर आते हैं और यहां जला कर चले जाते हैं.

सुनील श्रीवास्तव ने बताया कि जब शव को जलाया जाता है तो हवा चलने की वजह से सब कुछ उड़ कर घरों में आ-जाते हैं, जिला प्रशासन और एलडीए इतनी बड़ी आबादी वाले जगह की सुध नहीं ले रहे हैं, हिंदू संस्कार में मुर्दे तालाब के पास या नदी के किनारे जलाए जाते हैं लेकिन यहां बस्ती में जलाया जा रहा है, हम चाहते हैं कि हमारी बात सीएम योगी तक पहुंचे.

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जानकीपुरम के ही रहने वाले बृजेश गुप्ता ने बताया कि विधायक-सांसद से लेकर आला अधिकारियों तक के दरवाजे खटखटा गए लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई, मुर्दा जलने के बाद बहुत बदबू आती है, घर में खाना नहीं बनता है. मुकेश शुक्ला नाम के स्थानीय व्यक्ति ने आजतक को बताया कि उन लोगों के साथ धोखा हुआ, एलडीए ने मैदान को पार्क बताकर धोखा दिया, जबकि यहां मुर्दा जलता है, वह भी घर से 9 मीटर की दूरी पर.

जानकीपुरम की ही रहने वाली निवेदिता मंडोल बताती है कि कभी-कभी जब बॉडी जल रही होती है और बच्चे खाना खा रहे होते हैं तो इस दौरान बदबू से वह उल्टी करने लगते हैं और घर में पूरा धुंआ भर जाता है, पूजा पाठ करना भी बंद हो जाता है.

इस मामले में एलडीए के एक्सईएन अवनीश शर्मा ने कहा, 'श्मशान घाट काफी पुराना है, स्थानीय लोगों की एलडीए के वीसी से बात हुई थी, इसमें यह समाधान निकला कि श्मशान घाट को वहां शिफ्ट कर दिया जाएगा, जैसे ही कोई जगह वहां मिलेगी तो उस श्मशान घाट को वहां शिफ्ट कर दिया जाएगा.'

 

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