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लखनऊ: रिवर फ्रंट पर गोमती पुल बना सुसाइड प्वाइंट, 40 साल से हताश लोगों की जिंदगियां बचा रहे श्रीपाल 

लखनऊ में अकसर युवा सुसाइड के लिए गोमती रिवर फ्रंट पर बने पुल से नदी में कूदकर जान देने की कोशिश करते हैं. हालांकि वहां मौजूद श्रीपाल निषाद ऐसे लोगों को बचा लेते हैं और उन्हें एक नई ज़िंदगी देते हैं. वो अबतक हजारों लोगों की जान बचा चुके हैं.

श्रीपाल निषाद गोमती में कूदने वाले हजारों लोगों को जिंदगी बचा चुके हैं. श्रीपाल निषाद गोमती में कूदने वाले हजारों लोगों को जिंदगी बचा चुके हैं.
सत्यम मिश्रा
  • लखनऊ,
  • 17 फरवरी 2023,
  • अपडेटेड 1:27 PM IST

ज़िंदगी से हताश होने वाले लोग सुसाइड का रास्ता चुनते हैं. लखनऊ में अकसर युवा सुसाइड के लिए गोमती रिवर फ्रंट पर बने पुल से नदी में कूदकर जान देने की कोशिश करते हैं. हालांकि वहां मौजूद श्रीपाल निषाद ऐसे लोगों को बचा लेते हैं और उन्हें एक नई ज़िंदगी देते हैं. वो अबतक हजारों लोगों की जान बचा चुके हैं, लेकिन श्रीपाल किन हालात से गुजर रहे हैं, उनकी आर्थिक स्थिति कैसी है, इस ओर कभी किसी का ध्यान नहीं गया. 

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आजतक से बात करते हुए श्रीपाल निषाद ने बताया कि वो एक गोताखोर हैं और मानवता के लिए नदी में कूदने वाले लोगों को बचाते हैं. इसके साथ की उनका काम मछली पकड़ने का है, जिससे वो अपने परिवार का पेट पालते हैं.  

श्रीपाल ने बताया कि लोगों की जान बचाने के बदले वो कोई रुपये नहीं लेते हैं. उनके घर की हर पीढ़ी ये काम करती आ रही है. उनका कहना है कि उनके बाबा और उनके पिता रामचंद्र निषाद भी ये काम करते थे. उन्होंने शिक्षा दी थी कि अगर कोई आंखों के सामने कोई अपना जीवन त्याग रहा हो तो उसे बचाने का प्रयास करना चाहिए. 

40 साल से यही काम कर रहे हैं श्रीपाल निषाद 

निषाद ने बताया कि वह खुद पिछले 40 सालों से यही काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि पुलिस की ओर से आश्वासन दिया गया था कि उनको और उनके जैसे अन्य लोगों को सरकार की ओर से मानदेय दिलाया जाएगा, लेकिन अभी तक ऐसा कुछ नहीं हुआ. कई लोगों की जिंदगी बचाने वाले श्रीपाल को पुलिस ने स्पेशल पुलिस ऑफिसर का दर्जा भी दिया है. उन्हें पुलिस की ओर से आईडेंटिटी कार्ड भी दिया गया था, हालांकि वह वो एक्सपायर हो चुका है. 

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10 हजार लोगों की जान बचा चुके हैं श्रीपाल

श्रीपाल ने बताया कि जैसे ही लोग नदी में छलांग लगाते हैं, तो वो भी तुरंत नदी में कूद जाते हैं और दुनिया से ऊबे हुए इंसान को मौत के मुंह से वापस छीन लाते हैं. उन्होंने बताया कि कभी-कभी ऐसा होता है कि वह पुल से कूदे हुए लोगों को नहीं देख पाते हैं, लेकिन जब उन्हें पता चलता है तो वह डेड बॉडी को पूरी तत्परता से खोजते हैं और उसे पुलिस के हवाले कर देते हैं. निषाद ने कहा कि वो अबतक 10 हजार से ज्यादा लोगों की जिंदगी बचा चुके हैं. इसके अलावा 15-20 हजार लोगों के शवों को नदी से निकाला है. 

नदी का पानी खराब, शरीर में पड़ जाते हैं छाले 

श्रीपाल निषाद ने आजतक से बातचीत में यह भी बताया कि गोमती नदी में नाले का पानी आकर गिरता है जिसकी वजह से गोमती नदी पूरी तरीके से रसायन युक्त हो गई है. पानी बहुत ही ज्यादा कास्टिक हो गया है. ऐसे में जब कोई नदी में कूद जाता है और हम लोग बचाने जाते हैं तो हमारा शरीर जलने लगता है, कभी-कभी तो छाले पड़ जाते हैं क्योंकि पानी बहुत ज्यादा खराब है. निषाद ने सरकार से अनुरोध किया कि उन लोगों को नदी में उतरने के लिए सीढ़ियां बनवा दें क्योंकि नदी में उतरने के लिए और नाव तक जाने के लिए सीढ़ियां नहीं हैं. ऐसे में अगर सीढ़ियां होंगी तो आसानी से नदी में उतर सकेंगे और लोगों को बचा सकेंगे.  

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छोटे भाई के सीने में घुसा सरिया 

श्रीपाल ने अपने छोटे भाई के बारे में बताया कि उनका छोटा भाई रामशंकर भी एक बार, दो प्रेमी जोड़ों को बचाने के लिए नदी में कूद गया और जब वह नदी में कूदा तो उसके छाती में सरिया घुस गया और उसका इलाज काफी दिनों तक चला, जिसमें 1.5 लाख रुपये के आसपास खर्चा आया, जिसे हम लोगों ने अपने पास से ही दिया. इसके बावजूद भी श्रीपाल ने हिम्मत नहीं हारी और इस काम को अब तक जारी रखे हुए हैं. 

 

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