
प्रयागराज महाकुंभ में हुई भगदड़ पर योगी आदित्यनाथ का बयान आया है. उन्होंने सोमवार को कहा कि भगदड़ की घटना 29 जनवरी की रात 1 :15 बजे से डेढ़ बजे की बीच घटित हुई. उस समय मेला क्षेत्र में लगभग 4 करोड़ लोगों की भीड़ थी. जैसे ही भगदड़ हुई उसके 15 मिनट के भीतर घायलों को अस्पताल पहुंचाया गया. सीएम ने कहा कि जिस शहर की क्षमता 25 लाख लोगों की हो, वहां ढाई करोड़ से 3 करोड़ लोग आए. हमने बगल के जिले में पार्किंग एरिया में 2 लाख से ज्यादा वाहनों के खड़ा करने की व्यवस्था की थी. अगल-बगल के सभी जिलों में हम लोगों ने 2 करोड़ लोगों को रोक के रखा था. घटना के बाद सभी अखाड़े से मैंने अनुरोध किया कि स्नान को स्थगित करना पड़ेगा. उस वक़्त प्रयागराज सिटी और मेला क्षेत्र में 8 करोड़ लोग मौजूद थे. हमने मजबूती से उस चुनौती को लिया. इस घटना को संभालने के लिए कोई और होता तो हाथ-पांव फूल जाते.
संगम में प्रदूषण की खबरों को नकारा
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को महाकुंभ के दौरान संगम में प्रदूषण की खबरों को खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि लगातार वाटर क्वालिटी की जांच में यह साबित हुआ कि कुंभ के दौरान गंगा और यमुना का पानी पूरी तरह साफ था. लखनऊ में IIM और भारतीय डाक सेवा (IPS) के अधिकारियों को संबोधित करते हुए योगी आदित्यनाथ ने कहा, 'कुछ लोग बेबुनियाद दावे कर रहे हैं, लेकिन राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और स्वतंत्र लैब की रिपोर्ट में पानी की गुणवत्ता पूरी तरह सुरक्षित पाई गई.'
'मॉरीशस के प्रधानमंत्री ने स्नान करने से मना कर दिया था'
महाकुंभ के विशाल आयोजन को देखते हुए पर्यावरण पर इसके प्रभाव को लेकर चिंता जताई गई थी. UNESCO सहित कई संगठनों ने गंगा और यमुना के पानी की शुद्धता को लेकर सवाल उठाए थे. योगी आदित्यनाथ ने बताया कि 2013 में जब मॉरीशस के प्रधानमंत्री कुंभ मेले में आए थे, तो उन्होंने गंगा की गंदगी देखकर स्नान करने से मना कर दिया था. लेकिन इस बार सरकार ने सुनिश्चित किया कि ऐसी स्थिति न आए.
मुख्यमंत्री ने बताया कि उनकी सरकार ने गंगा और यमुना में किसी भी तरह का सीवेज या औद्योगिक कचरा न मिलने देने के लिए कड़े कदम उठाए. इसके तहत कानपुर में 125 साल से रोजाना 4 करोड़ लीटर गंदा पानी गंगा में गिरता था, जिसे तीन साल पहले पूरी तरह बंद कर दिया गया. टेनरियों (चमड़ा कारखानों) का जहरीला कचरा गंगा में जाने से रोका गया. सभी टेनरियों में ट्रीटमेंट प्लांट लगवाए गए और जो नियमों का पालन नहीं कर सके, उन्हें बंद कर दिया गया.
प्रयागराज में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) को नमामि गंगे प्रोजेक्ट से जोड़ा गया और बायो-रिमेडिएशन तकनीक से गंदे पानी को साफ किया गया.
'सरकार ने वैज्ञानिक तरीके से पानी की जांच करवाई'
योगी आदित्यनाथ ने बताया कि सरकार ने जनवरी 11 से फरवरी 26 तक लगातार पानी की गुणवत्ता की जांच करवाई.
Biological Oxygen Demand (BOD) स्तर हमेशा 3 से नीचे रहा, जो स्वच्छता का संकेत है.. Dissolved Oxygen (DO) स्तर 8 से 10 तक रहा, जबकि न्यूनतम मानक 5 होता है.
फीकल कोलीफॉर्म (Fecal Coliform) लेवल भी सामान्य सीमा (2,500 MPN) के अंदर था. कुछ जगहों पर गाय-भैंसों के पानी में आने से 1,200-1,300 MPN तक बढ़ा, लेकिन संगम में यह सिर्फ 100 MPN पाया गया.
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सरकार ने स्वतंत्र लैब और निजी एजेंसियों से भी पानी की जांच करवाई और जब रिपोर्ट सार्वजनिक की गई, तो CPCB (केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड) ने भी इसे सही माना. उन्होंने कहा, 'कुछ लोग झूठी खबरें फैला रहे थे, लेकिन हमने अपने वैज्ञानिक आंकड़ों से सच्चाई साबित कर दी.'
66 करोड़ श्रद्धालु पहुंचे
महाकुंभ, हर 12 साल में एक बार होता है, इस बार इसमें 66 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु पहुंचे. इस वजह से पानी की स्वच्छता एक बड़ी चुनौती थी, लेकिन सरकार ने इसे सफलतापूर्वक पूरा किया.