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जिनकी थी जिम्मेदारी, उनकी ही लापरवाही भारी... महाकुंभ हादसे में 30 मौतों के कितने गुनहगार?

महाकुंभ में शानदार व्यवस्था का दम भरने वाले जिम्मेदारों के कागजी दावे ताश के पत्तों की तरह धाराशायी हो गए. आस्था की सबसे बड़ी डुबकी का मौका आया तो लोगों को भगवान के भरोसे छोड़ दिया गया. अगर व्यवस्था चाकचौबंद थी और 10 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं के क्राउड मैनेजमेंट की पूरी तैयारी थी, तो हादसा कैसे हो गया?

महाकुंभ में हुई भगदड़ में 30 श्रद्धालुओं की मौत हो गई है महाकुंभ में हुई भगदड़ में 30 श्रद्धालुओं की मौत हो गई है
आजतक ब्यूरो
  • नई दिल्ली,
  • 29 जनवरी 2025,
  • अपडेटेड 11:37 PM IST

महाकुंभ में मौनी अमावस्या पर 10 करोड़ श्रद्धालुओं के पहुंचे की संभावना थी. मेला प्रशासन की तरफ से भीड़ प्रबंधन के तमाम दावे किए जा रहे थे, लेकिन दावे सिर्फ दावे ही साबित हुए. भीड़ प्रबंधन में हुई लापरवाही और बदइंतजामी ने 30 श्रद्धालुओं को बेमौत मार दिया. अब सवाल यही है कि महाकुंभ में हुई भगदड़ का जिम्मेदार कौन है? आखिर महाकुंभ की जिम्मेदारी संभाल रहे अफसरों से कहां गलती हुई. कौन हैं श्रद्धालुओं की मौत के कसूरवार? 

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हादसे के बाद संगम तट पर NSG कमांडो ने मोर्चा संभाल लिया. संगम नोज इलाके में आम लोगों की एंट्री बंद कर दी गई. भीड़ और न बढ़े, इसलिए प्रयागराज से सटे जिलों में श्रद्धालुओं को रोक दिया गया. हादसे की खबर आते ही सीएम योगी ने ताबड़तोड़ मीटिंग की.

महाकुंभ में शानदार व्यवस्था का दम भरने वाले जिम्मेदारों के कागजी दावे ताश के पत्तों की तरह धाराशायी हो गए. आस्था की सबसे बड़ी डुबकी का मौका आया तो लोगों को भगवान के भरोसे छोड़ दिया गया. अगर व्यवस्था चाकचौबंद थी और 10 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं के क्राउड मैनेजमेंट की पूरी तैयारी थी, तो हादसा कैसे हो गया? अब इसका जवाब जिम्मेदार अफसरों को देना है. ये अफसर हैं- भानु भास्कर एडीजी, विजय विश्वास पंथ मंडलायुक्त प्रयागराज, विजय किरण आनंद मेला अधिकारी, वैभव कृष्ण डीआईजी महाकुंभ, राजेश द्विवेदी SSP महाकुंभ. क्योंकि इन्हीं के कंधों पर महाकुंभ की तैयारियों की पूरी जिम्मेदारी सीएम योगी ने सौंपी है. 

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पुख्ता इंतजामों के दावे फिर नाकामी पर पर्दा डालने का खेल 

महाकुंभ में हुई भगदड़ से पहले तक यही अफसर बार-बार पुख्ता इंतजामों का दावा कर रहे थे, लेकिन हादसे के बाद अपनी नाकामी पर पर्दा डालने के खेल में जुट गए. एक तरफ गम है, गुस्सा है, अपनों को खोने का दर्द है, तो दूसरी तरफ महाकुंभ की बागडोर संभालने वाले अफसर. इतना बड़ा हादसा हो गया, भगदड़ में 30 श्रद्धालु बेमौत मारे गए, लेकिन अफसर अपनी लापरवाही को छिपाने में जुटे हैं. महाकुंभ से आ रही तस्वीरें चीख-चीख कर गवाही दे रही हैं कि हादसे की वजह बदइंतजामी है. लेकिन DIG महाकुंभ वैभव कृष्ण कहते हैं कि एक अफवाह से हालात बिगड़ गए, सवाल यही है कि हालात आउट ऑफ कंट्रोल क्यों और कैसे हो गए?

कंट्रोल रूम में बैठे रहे अफसर

भगदड़ के बाद जिम्मेदारों ने अपनी नाकामी को दूध में पड़ी मक्खी की तरह निकाल दिया. फिल्मी सीन की तरह शूट गए वीडियो को जारी किया गया. यही दिखाने की कोशिश की गई कि उन्होंने अपनी जिम्मेदारी पूरी निष्ठा से निभाई, ये तो श्रद्धालुओं का कसूर है कि इतना बड़ा हादसा हो गया. कंट्रोल रूम में बैठे डीआईजी वैभव कृष्ण अनाउंसमेंट कर रहे थे. डीआईजी वैभव कृष्ण की जिम्मेदारी भारी भीड़ को कंट्रोल करने की थी, लेकिन वह कंट्रोल रूम में बैठे रह गए. श्रद्धालुओं को अपने हाल पर छोड़ दिया. 

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किसी ने जिम्मेदारी से झाला पल्ला तो किसी ने भगदड़ को नाकारा

प्रयागराज के मंडलायुक्त विजय विश्वास पंथ भी मानो खानापूर्ति के लिए मेले में नजर आए. हाथ में लाउड स्पीकर थामकर अनाउसमेंट किया और जिम्मेदारियों से पल्ला झाड लिया. यानी महाकुंभ में आए श्रद्धालु अपने जान-माल के खुद जिम्मेदार हैं, इन जिम्मेदारों का कोई लेना देना नहीं है. इससे भी शर्मनाक तो ये हैं कि महाकुंभ के SSP राजेश द्विवेदी ने तो भगदड़ हुई है, इससे ही इनकार कर दिया था. सोचिए ऐसे अफसरों पर महाकुंभ की जिम्मेदारी है, तो बदइंतजामी को कौन रोक सकता था? हकीकत यही है कि मौनी अमावस्या के मौके पर क्राउड मैनेजमेंट का पूरा सिस्टम फेल हो गया. 

जिम्मेदार अधिकारी ही भगदड़ के कसूरवार!

ADG भानु भास्कर के कंधों पर काउंटर मैनेजमेंट की पूरी रणनीति तैयार करने का जिम्मा था, मौनी अमवस्या से पहले ADG भानु भास्कर यही दावा कर रहे थे कि सबकुछ कंट्रोल में है, लेकिन हादसे का शिकार बने लोगों का कहना है कि यहां सब-कुछ भगवान भरोसे था, पुलिस प्रशासन की व्यवस्था का कोई नामो निशान नहीं था. मतलब यही है कि जो जिम्मेदार थे, वही भगदड़ के कसूरवार है. महाकुंभ भगदड़ पर मेला प्रशासन की प्रेस वार्ता हादसे के साढ़े 16 घंटे के बाद हुई. इसमें बताया गया कि भगदड़ में 30 श्रद्धालुओं की भगदड़ में मौत हो गई है.

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क्यों और कैसे हुआ संगम नोज पर हादसा?

28 जनवरी की रात 10:00 बजे से ही संगम पर लोगों की भीड़ पहुंचने लगी थी. प्रशासन चाहता था कि लोग आए स्नान करें और जाएं, लेकिन लोग अमृत स्नान अमृतवेला में करने के चलते इकट्ठा होने लगे थे. मौनी अमावस्या के पर्व पर अमृत स्नान के लिए हर कोई संगम नोज पर ही स्नान करना चाहता था. ऐसे में लोगों की भीड़ बढ़ने लगती है, जो लोग मौनी अमावस्या पर ही स्नान करने के लिए आए थे, वो बैरिकेडिंग के किनारे पॉलिथीन बिछाकर लेटे हुए थे. प्रशासन ने सुबह 5 बजे से शुरू होने वाले अलग-अलग अखाड़ों के अमृत स्नान के लिए भी एक पूरा रास्ता रिजर्व किया था. बुधवार रात लगभग 1 बजे से भीड़ को जिस रस्ते से स्नान के लिए जाना था, वहां भीड़ क्षमता से अधिक होने लगी. पुलिस-प्रशासन इनको चिह्नित बैरिकेडिंग से ही घाट पर जाने और वापस करने की प्लानिंग में था, लेकिन भीड़ इतनी ज्यादा होकर बेकाबू हो गई कि लगभग 1.45 बजे से 2 बजे के बीच लोग अनियंत्रित होकर बैरिकेडिंग कूदकर संगम जाने लगे. बैरिकेडिंग कूदकर जाने में लोग उन परिवारों पर गिर गए जो वहां सो रहे थे, इसके बाद लकड़ी की बल्ली टूटी तो भीड़ अचानक लोगों को रौंदकर बढ़ने लगी. इसी भगदड़ में जो लोग सो रहे थे या स्नान करने जा रहे थे वो दबकर घायल हो गए.

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