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महर्षि वाल्मीकि, वशिष्ठ, विश्वामित्र, माता शबरी और देवी अहिल्या... राम मंदिर परिसर में बन रहे 7 मंदिरों की कहानी

अयोध्या में राम मंदिर निर्माण कार्य के पहले चरण का काम लगभग पूरा हो गया है. यहां मंदिर परकोटे में प्रमुख ऋषियों के भी दर्शन करने को मिलेंगे. दक्षिणी हिस्से में ऋषि अगस्त्य, ऋषि विश्वामित्र, ऋषि वशिष्ठ, महर्षि वाल्मीकि के मंदिर बनेंगे. इसके साथ ही वनवास के दौरान भगवान राम के संपर्क में आईं देवी अहिल्या, माता शबरी, निषाद राज के भी मंदिर बनाए जाएंगे. जटायू की मूर्ति बनकर तैयार है. भगवान सूर्य के अलावा गणेश, मां भवानी, भगवान शंकर, हनुमान जी के मंदिर बनाए जाएंगे.

aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 29 दिसंबर 2023,
  • अपडेटेड 2:25 PM IST

अयोध्या में भव्य और दिव्य राम मंदिर में भगवान राम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की घड़ी नजदीकी आ गई है. मुख्य मंदिर के गर्भगृह में भगवान राम विराजेंगे. यहां मंदिर में ऋषियों के भी दर्शन होंगे. मुख्य राम मंदिर के अलावा सात अन्य देवी-देवताओं के मंदिर बनाए जा रहे हैं. ये मंदिर परिसर की शोभा बढ़ाएंगे. मुख्य मंदिर से थोड़ा हटकर आध्यात्मिक रूप से महत्वपूर्ण मंदिरों को जगह दी गई है. इनमें महर्षि वाल्मिकी मंदिर, महर्षि वशिष्ठ मंदिर, महर्षि विश्वामित्र मंदिर, महर्षि अगस्त्य मंदिर, निषाद राज, माता शबरी, देवी अहिल्या मंदिर लोगों को त्रेतायुग से सीधा जुड़ाव महसूस कराएंगे.

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दरअसल, राम की नगरी अयोध्या को त्रेतायुग की थीम पर सजाया जा रहा है. सरकार ने अयोध्या में लाखों करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट का खाका खींचा है. कॉरिडोर से लेकर अलग-अलग मंदिर बनाए जा रहे हैं. अयोध्या में 22 जनवरी 2024 को नए राम मंदिर में रामलला की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा होगी. इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुख्य यजमान होंगे. भव्य राम मंदिर में एक आयताकार परिधि परकोटा होगा.

'दक्षिण में हनुमान, उत्तर में मां अन्नपूर्णा'

इस परकोटा के चारों कोने सूर्य देव, मां भगवती, भगवान गणेश और भगवान शिव को समर्पित होंगे. उत्तरी दिशा में मां अन्नपूर्णा के एक मंदिर का निर्माण किया जाएगा. दक्षिण की तरफ भगवान हनुमान का मंदिर होगा. उत्तरी कोने में माता अन्नपूर्णा का मंदिर बनेगा. अयोध्या के कुबेर टीला पर जटायु की मूर्ति स्थापित की गई है.

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'सड़कों के किनारे लगाए जा रहे सूर्य स्तंभ'

श्रद्धालु राम मंदिर में दर्शन के बाद वापस लौटते समय इन मंदिरों के दर्शन कर पाएंगे. अयोध्या में सड़कों के किनारे सूर्य स्तंभ लगाए जा रहे हैं, जो भगवान राम के सूर्यवंशी होने के प्रतीक को दर्शाते हैं. रामपथ, भक्तिपथ, धर्मपथ और श्री राम जन्मभूमि पथ तैयार हो गए हैं. सड़कों के किनारों पर दीवार बन रही है, जिस पर रामायण काल के प्रसंगों को दर्शाया जा रहा है. दीवारें फाइन क्ले म्यूरल कलाकृतियों से सज रही हैं. रंग रोगन, साफ सफाई और कलाकृति का काम हर तरफ नजर आ रहा है. मंदिर के 70 एकड़ के परिसर का लगभग 70 फीसदी हिस्सा हरित होगा. ग्रीन बेल्ट में आने वाले लगभग 600 पेड़ों को सुरक्षित रखा गया है.

'मंदिर में 12 द्वार...'

राम मंदिर ढाई एकड़ में बना हुआ है. लेकिन अगर इसमें 'परिक्रमा पथ' भी जोड़ लिया जाए तो ये पूरा परिसर 70 एकड़ का हो जाता है. ये तीन मंजिला होगा और इसकी ऊंचाई 162 फीट होगी. सिंह द्वार से राम मंदिर में प्रवेश करने से पहले पूर्वी दिशा में एक मुख्य द्वार होगा, जहां से श्रद्धालु परिसर में आएंगे. मंदिर का मुख्य प्रवेश द्वार 'सिंह द्वार' होगा. राम मंदिर में कुल 392 पिलर होंगे. गर्भगृह में 160 और ऊपरी तल में 132 खंभे होंगे. मंदिर में 12 द्वार होंगे. राम मंदिर परिसर बनने में 1,700 से 1,800 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है.

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'गर्भगृह में राम लला के दर्शन होंगे'

मंदिर के गर्भगृह में एक चबूतरा बनाया गया है. इसी चबूतरे पर रामलला की मूर्ति को स्थापित किया जाएगा. रामलला की मूर्ति 51 इंच की बनाई गई है. श्रद्धालु भगवान राम के दर्शन करने के बाद पंचदेवों के दर्शन और परिक्रमा करके विधिवत रूप से पूजा पूरी कर सकेंगे.

'रोजाना डेढ़ लाख श्रद्धालु आने की उम्मीद'

राम मंदिर में कुल पांच गुबंद बनाए जाने हैं. राम मंदिर के तीन गुंबद भी बनकर तैयार हैं, चौथे गुबंद का निर्माण कार्य फिलहाल चल रहा है. प्राण प्रतिष्ठा के बाद जब राम मंदिर को आम लोगों के लिए खोला जाएगा तो हर दिन डेढ़ लाख श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है. इसलिए रामलला के दर्शन के लिए हर श्रद्धालु को 15 से 20 सेकंड का समय ही मिलेगा. एक समय में 25,000 भक्त परिसर में रहकर दर्शन कर सकते हैं. परकोटा के अंदर के कमरों का उपयोग कार्यशालाओं और मंदिर के अन्य कार्यों के लिए भी किया जाएगा.

'आज विग्रह का चुनाव होगा'

इस बीच, शुक्रवार को रामलला का विग्रह चुनने के लिए बैठक रखी गई है. तीन अलग-अलग मूर्तिकारों ने तीन विग्रह तैयार किए हैं. इनमें से एक विग्रह को चुना जाएगा. इस बैठक में शामिल होने नृपेंद्र मिश्रा,चंपत राय, वासुदेवानंद सरस्वती, स्वामी परमानंद, राजा अयोध्या विमलेंद्र मोहन मिश्रा और महंत जिनेंद्र दास पहुंचे. 

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'2020 से चल रहा है मंदिर निर्माण कार्य'

बता दें कि 5 अगस्त 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर निर्माण के लिए भूमिपूजन किया था, तब से मंदिर निर्माण का काम शुरू हुआ था. तीन साल बाद मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है.

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