
उत्तर प्रदेश की मैनपुरी लोकसभा सीट पर उपचुनाव के लिए वोटिंग हो रही है. मुलायम सिंह यादव की विरासत को संभालने के लिए मैनपुरी सीट से अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव चुनावी मैदान उतरी हैं तो बीजेपी सपा के गढ़ में 'कमल' खिलाने के लिए रघुराज शाक्य पर दांव लगा रखा है. बीते लोकसभा चुनाव में एक-दो सभाएं करने वाले 'मुलायम परिवार' ने इस बार गांव-गांव की दौड़ लगाई है तो बीजेपी ने भी जीत के लिए अपनी पूरी ताकत लगा दी है.
मैनपुरी लोकसभा सीट पर तकरीबन तीन दशक से सपा का कब्जा है और सैफई परिवार के लिए यह सीट सियासी लॉन्चिंग पैड रही है. मुलायम कुनबे की तीन पीढ़ियां इस सीट से सांसद रह चुकी हैं और अब डिंपल यादव मैदान में है. सपा मुखिया अखिलेश यादव और मुलायम परिवार के अन्य सदस्य रातों-दिन मैनपुरी सीट पर वोट मांगते नजर आए हैं तो शिवपाल यादव मैनपुरी सीट पर पूरी रणनीति संभाल रखी थी. ऐसे में डिंपल के सामने मैनपुरी सीट जीतकर सिर्फ मुलायम सिंह की राजनीतिक विरासत को बचाने की नहीं बल्कि अपने ससुर और देवर की जीत के रिकॉर्ड को भी तोड़ने का चुनौती है.
मैनपुरी पर मुलायम परिवार का कब्जा
सपा के गठन के बाद पहली बार हुए लोकसभा चुनाव में मुलायम सिंह यादव उतरे थे और चार बार सांसद रहे. मुलायम सिंह ने इस दौरान जीत के कई रिकॉर्ड कायम किए. इसके अलावा उनके भतीजे धर्मेंद्र यादव और पोते तेज प्रताप यादव मैनपुरी सीट से जीतकर संसद पहुंचे. सैफई के यादव परिवार से तीन सदस्यों ने चुनाव लड़ा, लेकिन सबसे ज्यादा वोटों से जीतने का रिकॉर्ड मुलायम सिंह यादव के नाम ही है.
मुलायम सिंह के निधन के बाद डिंपल यादव मैनपुरी सीट से सपा उम्मीदवार के तौर पर चुनावी मैदान में उतरी हैं. इस तरह से उनके सामने अपने ससुर मुलायम सिंह राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने की चुनौती है, लेकिन बीजेपी ने रघुराज शाक्य को उतारकर जबरदस्त तरीके से चक्रव्यूह रचा है. ऐसे में सभी की निगाहें इस बात पर लगी हैं कि कन्नौज लोकसभा सीट से निर्विरोध चुनकर इतिहास रचने वाली डिंपल यादव क्या मैनपुरी में बीजेपी को मात दे पाएंगी और देंगी तो जीत का रिकॉर्ड अपने नाम कर पाएंगी?
मैनपुरी में भारी मतों से जीतने का रिकॉर्ड मुलायम के नाम
मैनपुरी लोकसभा सीट पर सैफई परिवार के तीन सदस्य सांसद रहे हैं. मुलायम सिंह यादव, धर्मेंद्र यादव और तेज प्रताप सिंह यादव, लेकिन सबसे ज्यादा वोटों से जीतने का रिकॉर्ड मुलायम सिंह यादव के नाम है. मुलायम सिंह यादव पहली बार 1996 के लोकसभा चुनाव में मैनपुरी सीट पर उतरे थे और बीजेपी के उपेंद्र सिंह चौहान को 51,958 वोटों से मात देकर संसद पहुंचे थे.
मुलायम सिंह यादव मैनपुरी लोकसभा सीट से चार बार सांसद रहे, जिसमें 2014 के चुनाव में सबसे ज्यादा वोटों से जीतने का रिकॉर्ड कायम किया जबकि मैनपुरी सीट के साथ-साथ आजमगढ़ से चुनाव लड़े थे. 2014 के चुनाव में मैनपुरी सीट पर कुल 999427 वोट पड़े थे, जिसमें से मुलायम सिंह यादव 595918 वोट पड़े थे. बीजेपी के शत्रुघन्न चौहान 231252 वोट मिले और बसपा की डॉ. संघमित्रा मौर्य को 142833 वोट मिले थे. इस तरह से मुलायम सिंह यादव ने 364666 वोटों से जीत दर्ज की थी, जो कि मैनपुरी सीट पर सबसे ज्यादा वोटों से जीतने का रिकॉर्ड है. इस सीट पर इतने ज्यादा वोटों से अभी तक कोई दूसरा जीत दर्ज नहीं कर सका.
मुलायम सिंह यादव को 2004 के लोकसभा चुनाव में मैनपुरी सीट पर 460470 वोट मिले थे जबकि बसपा के अशोक शाक्य ने 122600 वोट हासिल किए थे. इस तरह से मुलायम सिंह ने 337870 वोटों से जीत दर्ज की थी. इसके अलावा 2009 के चुनाव में मुलायम सिंह सपा ने 173096 वोटों से जीत दर्ज की थी. मुलायम सिंह के रिकॉर्ड वोटों से जीतने का सिलसिला 2019 के चुनाव में एक लाख से नीचे आ गया. मुलायम सिंह यादव ने बीजेपी के प्रेम शाक्य को 94389 वोटों से शिकस्त दी थी.
धर्मेंद्र सांसद बने पर तोड़ नहीं पाए रिकॉर्ड
मुलायम सिंह यादव साल 2004 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने मैनपुरी लोकसभा सीट से इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद हुए उपचुनाव में धर्मेंद्र यादव ने किस्मत आजमाई. धर्मेंद्र यादव 348999 वोट हासिल किए थे और बसपा के अशोक शाक्य को 169286 मिले. इस तरह से धर्मेंद्र यादव 179713 वोटों से जीत दर्ज की, लेकिन मुलायम सिंह के जीत का रिकॉर्ड नहीं छू पाए.
तेज प्रताप करीब सवा तीन लाख से जीते
सैफई परिवार की तीसरी पीढ़ी के तौर पर तेज प्रताप सिंह यादव 2014 में चुनाव में उतरे थे. जब मुलायम सिंह यादव आजमगढ़ और मैनपुरी सीट से सांसद चुने गए थे और उन्होंने मैनपुरी सीट छोड़ दी थी. तेज प्रताप ने 2014 के उपचुनाव में मैनपुरी सीट पर 653786 वोट हासिल किया था और बीजेपी के प्रेम सिंह शाक्य को 332537 वोट मिले थे. इस तरह से तेज प्रताप यादव ने 321249 वोट हासिल कर चाचा धर्मेंद्र यादव के जीत का रिकॉर्ड तो तोड़ दिया था, लेकिन मुलायम के जीत का आंकड़ा क्रॉस नहीं कर सके.
डिंपल के सामने मैनपुरी में चुनौती
मुलायम सिंह के निधन के बाद अब डिंपल यादव चुनावी मैदान में उतरी हैं. 'नेताजी' की कर्मभूमि मैनपुरी से उपचुनाव लड़ रही डिंपल यादव की राह आसान करने के लिए अखिलेश यादव घर-घर दस्तक दे रहे हैं. इतना ही नहीं अखिलेश यादव ने मैनपुरी सीट पर बीजेपी के सियासी चक्रव्यूह को तोड़ने और डिंपल को रिकॉर्ड वोटों से जिताने के लिए पार्टी नेताओं की पूरी सेना उतार रखी है. मुलायम परिवार के धर्मेंद्र यादव से लेकर तेज प्रताप यादव, आदित्य याजव, राम गोपाल यादव और शिवपाल सिंह यादव तक ने वहां डेरा जमा रखा है.
मैनपुरी सीट पर सपा और बीजेपी के बीच सीधी लड़ाई है, क्योंकि कांग्रेस और बसपा ने अपने-अपने कैंडिडेट नहीं उतार रखे हैं. ऐसे में डिंपल के लिए यह सीट और भी चुनौती पूर्ण बन गई है, क्योंकि मैनपुरी सीट पर दो लाख दलित वोट हैं और बसपा को इस सीट पर ज्यादा से ज्यादा तीस फीसदी वोट मिले हैं तो कम से कम 10 फीसदी. इस तरह से मैनपुरी सीट पर बसपा का एवरेज वोट 16 फीसदी के करीब है.
2019 के चुनाव में सपा और बीजेपी के बीच महज 11 फीसदी वोटों का ही अंतर रहा था. ऐसे में मायावती का वोट उपचुनाव में काफी निर्णायक भूमिका में है. ऐसे में बीजेपी के लेकर सपा तक दलित वोटों को साधने की कवायद कर रही है. अखिलेश के लिए ऐसी स्थिति में डिंपल यादव को सिर्फ जिताने ही नहीं बल्कि मैनपुरी में मुलायम परिवार के बाकी सदस्यों से ज्यादा वोट पाने के रिकॉर्ड को भी तोड़ने की चुनौती खड़ी हो गई है. ऐसे में देखना है कि डिंपल यादव क्या अपने ससुर मुलायम सिंह, देवर धर्मेंद्र यादव और भतीजे तेज प्रताप यादव के जीत का रिकॉर्ड तोड़ पाती हैं या नहीं.