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आंखों में आंसू, दूध से स्नान, खुद का पिंडदान... इस तरह ममता कुलकर्णी बनीं महामंडलेश्वर यमाई ममतानंद गिरि

महामंडलेश्वर बनने के लिए सबसे पहले व्यक्ति को स्वयं का पिंडदान करना होता है और उसके बाद उनका पट्टाभिषेक किया जाता है. महामंडलेश्वर बनने के लिए ममता कुलकर्णी ने संगम की त्रिवेणी में पवित्र स्नान किया और इसके बाद अपना पिंडदान करके उन्होंने अपनी ममता कुलकर्णी की पहचान को हमेशा के लिए छोड़ दिया.

ममता कुलकर्णी अब महामंडलेश्वर श्री यमाई ममतानंद गिरि बन गई हैं ममता कुलकर्णी अब महामंडलेश्वर श्री यमाई ममतानंद गिरि बन गई हैं
आजतक ब्यूरो
  • नई दिल्ली,
  • 24 जनवरी 2025,
  • अपडेटेड 6:55 AM IST

फिल्मों में अपने बेहतरीन अभिनय और विभिन्न किरदारों से फैन्स का दिल जीतने वाली अभिनेत्री ममता कुलकर्णी ने महाकुंभ में अपने सांसारिक जीवन का त्याग करते हुए संन्यास ग्रहण कर लिया है. उन्होंने किन्नर अखाड़े में संन्यास लिया और वहां उनका पट्टाभिषेक संपन्न हुआ. अब ममता कुलकर्णी का नया नाम होगा, श्री यमाई ममतानंद गिरि. ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर की ये पदवी किन्नर अखाड़े ने दी है. ये अखाड़ा वर्ष 2015 में बना था और ये सनातन धर्म के 13 प्रमुख अखाड़ों से अलग है. इस अखाड़े की 'आचार्य महामंडलेश्वर' लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी हैं. 

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अखाड़े की परंपरा के मुताबिक ममता कुलकर्णी को पहले भगवा वस्त्र पहनाए गए फिर माला पहनाए गई. वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच उनका सिंदूर और हल्दी से तिलक किया गया. ममता को दूध से स्नान कराया गया. इस दौरान उनकी आंखों में आंसू थे. बता दें कि ममता कुलकर्णी ने शुक्रवार को सबसे पहले लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी से मुलाकात की, जिसके बाद किन्नर अखाड़े ने ये ऐलान किया कि वो ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर की पदवी देगा. जिस तरह किसी संस्था, कंपनी या सरकार का संचालन अलग-अलग पदों पर बैठे लोग करते हैं, ठीक उसी तरह से अखाड़ों में भी संचालन के लिए 'साधु-संतों' और संन्यासियों को एक पदवी दी जाती है. इनमें सबसे बड़ा पद होता है शंकराचार्य का और दूसरा बड़ा पद होता है महामंडलेश्वर का.

महामंडलेश्वर बनने की प्रक्रिया

महामंडलेश्वर बनने के लिए सबसे पहले व्यक्ति को स्वयं का पिंडदान करना होता है और उसके बाद उनका पट्टाभिषेक किया जाता है. महामंडलेश्वर बनने के लिए ममता कुलकर्णी ने संगम की त्रिवेणी में पवित्र स्नान किया और इसके बाद अपना पिंडदान करके उन्होंने अपनी ममता कुलकर्णी की पहचान को हमेशा के लिए छोड़ दिया. अब वो ममता कुलकर्णी नहीं, बल्कि श्री यमाई ममता नंद गिरि कहलाएंगी और उन्हें किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर माना जाएगा.

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अचानक से महामंडलेश्वर कैसे बन गईं ममता?

बहुत सारे लोग कह रहे हैं कि ममता कुलकर्णी अचानक से महामंडलेश्वर कैसे बन गईं, क्योंकि महामंडलेश्वर बनने के लिए पहले दीक्षा लेनी पड़ती है और एक लम्बी अवधि में तपस्या करके संसारिक जीवन के प्रवृति मार्ग को छोड़ना पड़ता है. अखाड़ों का नियम है कि जो व्यक्ति महामंडमलेश्वर बनता है, उसे संन्यासी होना चाहिए. उसमें संसारिक मोह-माया के लिए त्याग की भावना होनी चाहिए. पारिवारिक संबंधों से दूर होना चाहिए और वेद-पुराणों का ज्ञान होना चाहिए, लेकिन अगर आप ममता कुलकर्णी के जीवन को देखेंगे तो आपको ये पता चलेगा कि कुछ समय पहले तक उनका जीवन विवादों से भरा हुआ था.

ड्रग्स तस्करी केस में पुलिस ने जारी किया था अरेस्ट वॉरंट

आरोप लगता है कि वर्ष 2013 में ममता कुलकर्णी ने हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री को छोड़कर ड्रग माफिया विक्की गोस्वामी से दुबई में शादी कर ली थी और ये वही ड्रग माफिया है, जिसे दुबई में ड्रग्स तस्करी के लिए 12 वर्षों की जेल हुई थी. हालांकि ममता कुलकर्णी इन आरोपों को गलत बताती हैं, लेकिन सच्चाई ये है कि वर्ष 2016 में मुंबई पुलिस ने ड्रग्स तस्करी के एक मामले में उनके खिलाफ अरेस्ट वॉरंट जारी किया था और ये बताया था कि उसने मुम्बई से 80 लाख रुपये की ड्रग्स बरामद की थी, जिसका संबंध एक ऐसी कम्पनी से था, जिसकी डायरेक्टर ममता कुलकर्णी थीं. ममता कुलकर्णी खुद कहती हैं कि वो ड्रग माफिया विक्की गोस्वामी से प्यार करती थीं और इस दौरान वो वर्ष 2000 से 2024 तक भारत से दूर रहीं. इसके अलावा जब ममता कुलकर्णी ने हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री को छोड़ा नहीं था, तब उन पर अंडरवर्ल्ड से कनेक्शन होने के आरोप लगे थे. कहा जाता है कि एक फिल्म के लिए उन्होंने अंडरवर्ल्ड के अपराधियों से डायरेक्टर को फोन करवाया था.

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टॉपलैस फोटोशूट पर हुआ था हंगामा

इतना ही नहीं, वर्ष 1993 में उन्होंने एक मैग्ज़ीन के लिए टॉपलैस फोटोशूट कराया था, जिस पर देशभर में काफी हंगामा हुआ था और यही कारण है कि ममता कुलकर्णी के महामंडलेश्वर बनने से लोग हैरान हो रहे हैं. लोग पूछ रहे हैं कि ममता कुलकर्णी ने महामंडलेश्वर बनने के लिए किन्नर अखाड़े को क्यों चुना? तो इसका कारण ये है कि किन्नर अखाड़ा सनातन धर्म के 13 प्रमुख अखाड़ों से अलग है. ये वो अखाड़ा है, जिसमें संन्यासी बनने के बाद भी भौतिक जीवन जिया जा सकता है और इसमें महामंडलेश्वर बनने के लिए संसारिक और पारिवारिक रिश्तों को खत्म करना ज़रूरी नहीं होता और यही कारण है कि ममता कुलकर्णी ने इस अखाड़े को चुना और अब वो भौतिक जीवन जीते हुए भी संन्यासी बनकर रह सकेंगी. इसमें उन्हें वैराग्य वाला जीवन नहीं बिताना होगा.

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