
यूपी के महाराजगंज में संपत्ति विवाद को लेकर हत्या के मामले में कोर्ट ने दोषी पाए गए शख्स को मौत की सजा सुनाई है. सरकारी वकील ने कहा कि अदालत ने 10 साल पुराने दोहरे हत्याकांड में दोषी को सजा-ए-मौत दी है. जिले में पहली बार ऐसे किसी मामले में मौत की सजा दी गई है.
न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2014 में संपत्ति विवाद की वजह से ये हत्याएं की गई थी जिसमें एक नाबालिग की हत्या भी शामिल थी. सरकारी वकील दवेंद्र कुमार पांडे ने बताया कि इस मामले में दोषी पाए गए पक्ष पर अदालत ने 2.25 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है.
पांडे ने कहा, 'अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पवन कुमार श्रीवास्तव की अदालत ने शुक्रवार को 2014 में दर्ज दो लोगों की हत्या के मामले में बैजनाथ (38) को दोषी पाया और उसे मौत की सजा सुनाई है.' इस मामले में चन्नीपुर गांव के राजेंद्र कुमार चौधरी की शिकायत के आधार पर 2 अप्रैल 2014 को हत्या का केस दर्ज किया गया था.
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि वह खेतों में काम कर रहा था जब बैजनाथ ने उसकी बेटी और बड़े भाई निर्मल चौधरी पर तेज धार वाले हथियार से हमला किया और उन्हें मार डाला.
जज ने अपने आदेश में कहा, 'यह घटना लोगों की सामूहिक अंतरात्मा को झकझोर देती है, इसमें दोषी के साथ किसी भी रूप में सहानुभूति अनुचित होगी और यह आपराधिक न्याय प्रणाली के प्रशासन में जनता के विश्वास को हिला देगी.'
आदेश में कहा गया, 'अगर आरोपी बैजनाथ को मौत की सजा के अलावा कोई सजा दी गई तो यह पूरे समाज के साथ अन्याय होगा. पुलिस ने पाया कि यह घटना दो दशक से अधिक पुराने भूमि विवाद का नतीजा थी.
पांडे ने कहा कि 1989 में महराजगंज जिले की स्थापना के बाद से यह दूसरी बार मौत की सजा दी गई है. उन्होंने कहा कि पहली मौत की सजा अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह यादव ने दी थी.