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तीन दिन बाद भी कानपुर के शहीद करण सिंह का शव नहीं पहुंचा घर, नाराज परिजनों ने की पुलिस से बहस

जम्मू के राजौरी में शहीद करण सिंह का शव कानपुर में अब तक उनके घर पर नहीं पहुंचा है. इसके चलते परिवार के लोगों में नाराजगी है. परिजनों का कहना है कि यदि आज शव नहीं पहुंचा, तो हम सड़क पर जाम लगा देंगे. करण सिंह की दो बेटियां हैं. वह आखिरी बार अगस्त में घर लौटे थे और तब फरवरी में वापस आने की बात कहकर गए थे.

कानपुर के शहीद करण सिंह की फाइल फोटो. कानपुर के शहीद करण सिंह की फाइल फोटो.
aajtak.in
  • कानपुर,
  • 23 दिसंबर 2023,
  • अपडेटेड 7:35 PM IST

जम्मू के राजौरी में तीन दिन पहले सेना के काफिले पर घात लगाकर किए गए आतंकी हमले में पांच जवान शहीद हो गए थे. इनमें कानपुर के रहने वाले सैनिक करण सिंह भी शामिल थे. उनका शव आज तीसरे दिन भी गांव नहीं पहुंचा, तो शहीद के परिजन नाराज हो गए. घर की महिलाएं पुलिस और प्रशासन से शव घर नहीं लाए जाने पर विरोध प्रकट करने लगीं. 

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इस दौरान पुलिस ने समझाया, तो पुलिस से उनकी बहस होने लगी. इस दौरान कुछ परिजनों का कहना था आखिर हमारे पुत्र का शव घर क्यों नहीं भेजा जा रहा है? पत्नी भी अपने शहीद पति का चेहरा देखने के लिए बार-बार बेहोश हो रही थी. आखिरकार आर्मी के लोग उसकी पत्नी और बच्चों को यह कह कर ले गए कि एयरपोर्ट पर बॉडी आ रही, तो उनको दिखाएंगे. 

परिजनों की धमकी... तो सड़क कर देंगे जाम 

मगर, शाम तक जब बॉडी नहीं पहुंची, तो परिजन काफी नाराज हो गए. इस दौरान चौबेपुर के भाऊपुर इलाके में महिलाओं ने धमकी दी है कि अगर आज बॉडी नही आई, तो हम सड़क पर जाम लगा देंगे. इस पर पुलिस ने समझाया की फ्लाइट से बॉडी आ रही है. आज रात तक आ जाएगी. 

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करण सिंह आखिरी बार अगस्त में घर आए थे. पिता से कह गए थे कि अब फरवरी में घर लौटूंगा. मगर, इस बार उनकी शहादत की खबर जब घर पहुंची, तो पूरे गांव में मातम छा गया. करण की दो बेटियां हैं. इसके साथ ही परिवार में माता-पिता एक भाई और दो बहन हैं.

सुनियोजित था सेना पर किया गया आतंकी हमला 

बताया जा रहा है कि राजौरी के हमले में 3 से 4 आतंकवादी शामिल थे. यह हमला डेरा की गली और बुफलियाज के बीच धत्यार मोड़ पर किया गया. इस जगह को इसलिए चुना गया क्योंकि यहां तीव्र मोड़ है और सड़क ऊबड़-खाबड़ है. इसकी वजह से वाहनों की रफ्तार यहां धीमी हो जाती है. 

लिहाजा, हमले को अंजाम देने के तरीके को देखकर लगता है कि आतंकियों ने पूरी प्लानिंग के साथ इस जगह को वारदात के लिए चुना था. आतंकियों ने पहाड़ी के ऊपर से सेना के दो वाहनों पर अंधाधुंध गोलीबारी की थी. सुरक्षा बलों ने भी जवाबी कार्रवाई की, लेकिन आतंकवादी उस स्थान से भागने में सफल रहे. 

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