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मथुरा बांके बिहारी मंदिर के फंड के इस्तेमाल का मसला क्यों पहुंचा SC, क्या है सेवायतों की आपत्ति?

बांके बिहारी मंदिर से संबंधित एक याचिका पर 20 दिसंबर 2022 को हाईकोर्ट ने जिला प्रशासन को अनुमानित लागत के साथ कॉरिडोर की विकास योजना प्रस्तुत करने का आदेश दिया था. हाईकोर्ट ने आदेश जारी कर बांके बिहारी मंदिर के खातों में जमा धनराशि के उपयोग के लिए विस्तृत विकास योजना तैयार करने का सुझाव दिया था. मंदिर के सेवायतों इसी आदेश को चुनौती दी है.

5 एकड़ में बनना है वृंदावन में कॉरिडोर (प्रस्तावित मॉडल) 5 एकड़ में बनना है वृंदावन में कॉरिडोर (प्रस्तावित मॉडल)
संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 24 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 11:46 AM IST

उत्तर प्रदेश में मथुरा के वृंदावन में बांके बिहार मंदिर के चारों ओर प्रस्तावित कॉरिडोर का मामला देश की सबसे बड़ी अदालत यानी सुप्रीम कोर्ट में है. बांके बिहारी मंदिर के सेवायतों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर हाईकोर्ट के उस आदेश को भी चुनौती दी गई है, जिसमें अदालत ने बांके बिहारी मंदिर के खातों में जमा धनराशि के इस्तेमाल के लिए विस्तृत विकास योजना तैयार करने का सुझाव दिया था.

याचिका में कहा गया है कि बिना उनके पक्ष को सुने मंदिर के पुर्नविकास योजना पर विचार किया जा रहा है. सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. अगली सुनवाई दो हफ्ते बाद होगी. आइए जानते हैं कि आखिर बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर और मंदिर के खातों में जमा धनराशि का पूरा मामला क्या है?

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क्या है पूरा मामला?

दरअसल, मथुरा में पिछले साल जन्माष्टमी पर मंदिर में भगदड़ में दो श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी. इतना ही नहीं आधा दर्जन लोग घायल हो गए थे. इसके बाद सरकार ने इस घटना की जांच करने और सुरक्षात्मक उपाय सुझाने के लिए समिति का गठन किया था. समिति ने मंदिर के चारों ओर कॉरिडोर बनाने की सिफारिश की है. बांके बिहारी मंदिर से संबंधित एक याचिका पर 20 दिसंबर 2022 को हाईकोर्ट ने जिला प्रशासन को अनुमानित लागत के साथ कॉरिडोर की विकास योजना प्रस्तुत करने का आदेश दिया था. कॉरिडोर के निर्माण के लिए सर्वे का काम भी पूरा हो चुका है. 

हाईकोर्ट के आदेश को दी गई चुनौती
 
हाईकोर्ट ने 20 दिसंबर 2022 को आदेश जारी कर बांके बिहारी मंदिर के खातों में जमा धनराशि के उपयोग के लिए विस्तृत विकास योजना तैयार करने का सुझाव दिया था. मंदिर के सेवायतों इसी आदेश को चुनौती दी है. जबकि इससे पहले 18 अक्टूबर 2022 के आदेश में हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था, मंदिर के आसपास सुविधाओं को विकसित करने के लिए भूमि की खरीद का खर्च उत्तर प्रदेश सरकार को ही वहन करना था. 

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याचिकाकर्ताओं का क्या है दावा?

याचिकाकर्ताओं का कहना है सदियों से मंदिर की देखरेख करने वाले गोस्वामियों के अधिकारों का उल्लंघन किया जा रहा है. सेवायतों ने दावा किया है कि बिना उनके पक्ष को सुने मंदिर के पुनर्विकास योजना पर विचार किया जा रहा है.

5 एकड़ में बनेगा कॉरिडोर

उधर, वाराणसी के काशी विश्नवनाथ कॉरिडोर की तरह ही मथुरा के बांके बिहारी मंदिर में भी कॉरिडोर बनाने की तैयारी शुरू हो गई है. कॉरिडोर को लेकर सर्वे का काम पूरा हो चुका है. ये पूरा कॉरिडोर पांच एकड़ में बनाया जाएगा. इसका प्रस्तावित प्लान सामने आ गया है. प्रस्तावित प्लान की मानें तो ये कॉरिडोर दो मंजिला होगा और इसमें तीन रास्ते होंगे, जिनके जरिए मंदिर तक पहुंचा जाएगा. पिछले साल ही अगस्त में बांके बिहारी मंदिर में दर्शन करने पहुंचे यूपी के मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ने बताया था कि ये कॉरिडोर मंदिर और यमुना नदी को जोड़ेगा. ये ठीक वैसा ही होगा जैसा काशी विश्वनाथ कॉरिडोर है. काशी विश्वनाथ कॉरिडोर मंदिर और गंगा नदी से जुड़ा है.

कॉरिडोर के विरोध में उतरे स्थानीय लोग

वृंदावन में बांके बिहार मंदिर के चारों ओर कॉरिडोर बनाने के योगी आदित्यनाथ सरकार के प्रस्ताव का कड़ा विरोध हो रहा है. पुजारियों, व्यापारियों और स्थानीय निवासी प्रस्तावित कॉरिडोर के निर्माण लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. पिछले दिनों स्थानीय लोगों ने कॉरिडोर के प्रस्तावित डिजाइन की प्रतियां जलाकर अपना विरोध दर्ज कराया था. इतना ही नहीं प्रदर्शन कर रहे लोगों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को खून से लिखे 108 पत्र भी भेजे, जिसमें कॉरिडोर निर्माण को बंद करने और वृंदावन की विरासत को बचाने की अपील की थी. स्थानीय लोगों का कहना है कि कॉरिडोर बनने से वे लोग बेघर हो जाएंगे. 
 

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