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अयोध्या के रहने वाले, बसपा के पुराने कैडर... जानिए कौन हैं विश्वनाथ पाल, जिन्हें जन्मदिन पर मायावती ने यूपी की कमान सौंपी

बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमों मायावती ने विश्वनाथ पाल को उत्तर प्रदेश बसपा का अध्यक्ष नियुक्त किया है. अयोध्या के रहने वाले गरीबी में पले-बढ़े विश्वनाथ पाल को पार्टी की कमान सौंपकर मायावती ने ओबीसी समुदाय को साधने का दांव चला है. बसपा ने 24 साल के बाद पाल समुदाय से किसी नेता को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है.

बसपा के प्रदेश अध्यक्ष बने विश्वनाथ पाल बसपा के प्रदेश अध्यक्ष बने विश्वनाथ पाल
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली ,
  • 21 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 10:14 AM IST

उत्तर प्रदेश की सियासत में लगातार कमजोर हो रही बसपा की कमान मायावती ने अतिपिछड़े समाज से आने वाले विश्वनाथ पाल को सौंपी है. यूपी नगर निकाय चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले विश्वनाथ पाल के कंधों पर मायावती ने बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है. ऐसे में सभी के मन में सवाल है कि विश्वनाथ पाल कौन हैं, जिनके जन्मदिन पर मायावती ने बसपा के प्रदेश अध्यक्ष पद के तोहफे से नवाजा है? 

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विश्वनाथ पाल का बचपन गरीबी में गुजरा
विश्वनाथ पाल का जन्म 20 दिसंबर 1973 को अयोध्या जिले के थाना पुरा कलंदर के ग्राम अनंतपुर के एक किसान परिवार में हुआ. उनके पिता का नाम परमेश्वर दीन पाल और माता का नाम कलपा देवी पाल है. विश्वनाथ पाल पांच भाई-बहनों में सबसे छोटे हैं और वकालत की पढ़ाई कर रखी है. गरीब और संघर्षों के बीच विश्वनाथ पाल का बचपन गुजरा है. उनकी शुरुआती शिक्षा गांव में हुई और फिर फैजाबाद विश्वविद्यालय से एलएलबी किया. विश्वनाथ पाल बताते हैं कि उनके पिता एक खेतीहर मजदूर थे, जिनके ऊपर पूरे परिवार को पालने का जिम्मा था. ऐसे में जिंदगी बहुत संघर्ष भरी रही है, जिसे हमारे परिवार ने बहुत करीब देखा ही नहीं बल्कि जिया भी है. 

विश्वनाथ पाल के जन्म दिन पर मिला तोहफा
विश्‍वनाथ पाल का मंगलवार को जन्मदिन था और उसी दिन शाम को मायावती ने उन्हें उत्तर प्रदेश में बसपा अध्यक्ष बनाकर जन्म दिन पर बड़ा तोहफा दिया है. मायावती ने ट्वीट कर कहा कि वर्तमान राजनीतिक हालात को मद्देनजर बसपा यूपी स्टेट संगठन में किए गए परिवर्तन के तहत भीम राजभर की जगह विश्ननाथ पाल को नया प्रदेस अध्यक्ष बनाया गया. इस तरह से विश्वनाथ पाल को मायावती ने बधाई और शुभकामनाएं दी. 

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 90 के दशक में राजनीति में रखा कदम
विश्वनाथ पाल ने बसपा संस्थापक कांशीराम की विचाराधारा और मायावती की राजनीति से प्रभावित होकर 90 के दशक में सियासत में कदम रखा. बसपा में एक कार्यकर्ता के तौर पर जुड़े थे और फिर विभिन्न पदों पर रहकर पार्टी में अपनी सक्रिय भूमिका निभाते रहे. 1996 में पार्टी सेक्टर अध्यक्ष, विकास नगर के अध्यक्ष, अयोध्या के जिला उपाध्यक्ष, कोषाध्यक्ष, अयोध्या मंडल के सचिव पद रहने के बाद उन्हें मायावती ने बसपा के भाईचारा कमेटी की जिम्मेदारी सौंपी. फैजाबाद और देवीपाटन मंडल में बसपा भाईचारा के कोर्डिनेटर रहे. इस दौरान वो पाल समाज को पार्टी की तरफ लाने का प्रयास किया था. 

साल 2007 में बसपा की पूर्णबहुमत के साथ सरकार बनी थी तो अयोध्या में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका पार्टी में दिखाई पड़ती थी. इतना ही नहीं मिर्जापुर, सोनभद्र जैसे इलाके के प्रभारी के तौर पर भी काम देख रहे थे. इसके अलावा मध्य प्रदेश, बिहार और राजस्थान में भी बसपा के लिए काम कर चुके हैं. मौजूदा समय में अयोध्या मंडल में बसपा के जोनल कोऑर्डिनेटर के रूप में काम कर रहे थे. सामान्य कार्यकर्ता के रूप में काम करने वाले विश्वनाथ पाल ने बसपा में कार्यकर्ता से प्रदेश अध्यक्ष तक का सफर तय कर लिया है. 

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चुनावी मैदान में नहीं मिली जीत
बसपा से एक कार्यकर्ता के रूप में अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत करने वाले विश्वनाथ जिला पंचायत सदस्य का चुनाव भी लड़ चुके हैं. अयोध्या जिले के मसौधा ब्लाक से जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़े थे, लेकिन जीत नहीं सके. इसके बाद उन्होंने कोई भी चुनाव नहीं लड़ा और सिर्फ संगठन के काम में लगे रहे. मिर्जापुर, झांसी, फैजाबाद, देवीपाटन और लखनऊ मंडलों का जिम्मा संभाल चुके हैं. विश्‍वनाथ पाल की गिनती बीएसपी के उन नेताओं में होती है, जिन्हें मायावती का करीबी माना जाता है. 

मायावती ने ओबीसी नेता बताया
विश्वनाथ पाल को प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त करने के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती ने ट्वीट कर उन्हें ओबीसी नेता बताया. बसपा सुप्रीम ने कहा कि मौजूदा राजनीतिक हालात को देखते हुए विश्वनाथ पाल को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई है. अयोध्या के निवासी विश्वनाथ पाल बसपा के पुराने, मिशनरी, कर्मठ और वफादार कार्यकर्ता हैं. प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर वो विशेषकर अति पिछड़ी जातियों को बसपा से जोड़कर पार्टी के जनाधार को बढ़ाने के लिए जान से काम करेंगे. इस तरह से मायावती ने विश्वानथ पाल के जरिए एक बार फिर से ओबीसी समुदाय को साधने का दांव चला है. 

मायावती ने चला बड़ा सियासी दांव
ओबीसी चेहरा माने जाने वाले विश्‍वनाथ पाल को यूपी का बीएसपी अध्‍यक्ष नियुक्‍त करना एक बडे़ फैसले को सियासी रूप में देखा जा रहा है. ढाई दशक के बाद बसपा में कोई पाल समुदाय का अध्यक्ष बना है. बसपा का गठन 1984 में कांशीराम ने किया था और 1995 में भागवत पाल को प्रदेश अध्यक्ष बनाया था और उसके बाद 1997 में दयाराम पाल ने पार्टी की कमान संभाली थी. वहीं, अब 24 साल के बाद विश्वनाथ पाल को पार्टी की कमान मिली है और उनके कंधों पर ओबीसी समुदाय को जोड़ने का जिम्मा भी मायावती ने डाल दिया है. 

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पाल समाज क्या फिर बसपा में लौटेंगे 
उत्तर प्रदेश की ओबीसी समुदाय में पाल समाज अतिपिछड़ी जातियों में आता है, जिसे गड़रिया और बघेल जातियों के नाम से जाना जाता है. बृज और रुहेलखंड के जिलों में पाल समुदाय काफी अहम माने जाते हैं. यह वोट बैंक बदायूं से लेकर बरेली, आगरा, फिरोजाबाद, इटावा, हाथरस जैसे जिलों में काफी महत्व रखते हैं. इसके अलावा अवध के फतेहपुर, रायबरेली, प्रतापगढ़ और बुंदेलखड के तमाम जिलों में 5 से 10 हजार की संख्या में रहते हैं. 

ओबीसी वोट बैंक में करीब दर्जनों और जातियां हैं, जिन्हें अति पिछड़ों की श्रेणी में शामिल हैं. विश्वनाथ पाल इसी समुदाय से आते हैं और यह समाज एक लंबे समय तक बसपा के कोर वोटबैंक माने जाते थे, लेकिन अब बीजेपी के साथ जुड़ा हुआ है. मायावती ने बसपा की कमान विश्वनाथ पाल को सौंपकर फिर से पाल जातियों के विश्वास जीतने का दांव चला है, देखना है कि इसमें विश्वनाथ पाल कितना कामयाब होते हैं?  

 

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