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मीरापुर उपचुनावः BJP नेता ने मुस्लिम समाज को खिलाई कसम, कहा- एकजुट होकर वोट नहीं किया तो ऊपर वाला हो जाएगा नाराज

यूपी की मीरापुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव को लेकर राजनीतिक माहौल गरमा गया है. एनडीए प्रत्याशी मिथलेश पाल के समर्थन में प्रचार करते हुए पूर्व विधायक विक्रम सैनी ने विवादित बयान देते हुए मुस्लिम समाज से खुलकर वोट देने की अपील की है. वहीं, राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि मुस्लिम वोट बिखरने से लोकदल को फायदा मिल सकता है.

विक्रम सैनी ने मुस्लिम समाज से की वोट की अपील विक्रम सैनी ने मुस्लिम समाज से की वोट की अपील
संदीप सैनी
  • मीरापुर,
  • 04 नवंबर 2024,
  • अपडेटेड 4:46 PM IST

उत्तर प्रदेश की मीरापुर विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव को लेकर एनडीए ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. गांव-गांव में बीजेपी लोकदल के नेता छोटी-छोटी सभाओं के माध्यम से वोटरों को लुभाने में जुटे हैं. रविवार को जोला गांव में आयोजित एक सभा में बीजेपी के पूर्व विधायक विक्रम सैनी ने अपने बयानों से एक बार फिर सुर्खियां बटोरीं.

सभा में विक्रम सैनी ने मुस्लिम समाज को संबोधित करते हुए कहा, सरकार की 80% सुविधाओं का लाभ तो मुसलमान ही उठा रहे हैं, फिर चाहे वह फ्री अनाज हो या फ्री मकान. इसलिए इस चुनाव में दलित और मुस्लिम समुदाय लोक दल प्रत्याशी मिथलेश पाल को ही वोट दें. उन्होंने आगे कहा, आप लोग बच्चे ज्यादा पैदा कर रहे हैं, वैसे ही वोट भी ज्यादा दें और ज्यादा काम करवाएं.

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विक्रम सैनी ने मुस्लिम समाज से मांगा वोट 

विक्रम सैनी ने मुस्लिम समाज को अल्लाह की कसम भी खिलाई और कहा, अगर आप सभी ने एकजुट होकर वोट नहीं दिया, तो ऊपर वाला भी नाराज हो जाएगा और मिथलेश पाल का श्राप लग जाएगा. सैनी ने यह भी दावा किया कि आने वाले 2027 के चुनाव में भी बीजेपी और लोक दल की ही सरकार बनेगी.

उपचुनाव की यह लड़ाई बेहद दिलचस्प होती जा रही है. आजाद समाज पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी और एआईएमआईएम ने अपने-अपने मुस्लिम प्रत्याशी खड़े किए हैं. वहीं, एनडीए से लोक दल की मिथलेश पाल मैदान में हैं. विशेषज्ञों के अनुसार, मुस्लिम वोटों के बिखरने से सीधे-सीधे फायदा लोक दल को मिल सकता है. 

एकजुट होकर वोट वोट की अपनी करी 

बता दें, बता दें कि 2012 में हुए परिसीमन से पहले यहां मोरना विधानसभा हुआ करती थी, लेकिन परिसीमन के बाद मोरना विधानसभा जहां खत्म हो गई, तो वहीं मीरापुर को नई नई विधानसभा बना दिया गया था. जानकारी के मुताबिक 1985 के बाद से अब तक जितने भी चुनाव इस सीट पर हुए हैं, उसमें एक भी स्थानीय विधायक यहां की जनता को नहीं मिला है. 

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