Advertisement

रामलला के मूर्तिकार प्रशांत पांडेय के साथ हुआ ये चमत्कार! Exclusive इंटरव्यू में सुनाई ये घटना

रामलला की मूर्ति बनाने वाले मूर्तिकार प्रशांत ने बताया कि जैसे ही आप राम मंदिर के अंदर जाएंगे. पांडेय मूर्ति भंडार का काम नजर आने लगेगा. गजद्वार, सिंहद्वार, गरुण द्वार और हनुमान द्वार सब हमने बनाया है. 6-6 फीट की मूर्तियां, गणेशजी की मुख्य प्रतिमा हमने ही बनाई है. हम पुश्तैनी मूर्तिकार हैं.

मूर्तिकार प्रशांत पाडेय की बनाई गई रामलला की मूर्ति. मूर्तिकार प्रशांत पाडेय की बनाई गई रामलला की मूर्ति.
संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 25 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 4:20 PM IST

अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने के बाद मूर्तिकार प्रशांत पाडेय ने एक चमत्कार के बारे में आज तक को बताया है. उन्होंने एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में बताया कि जब वे रामलला की मूर्ति को गढ़ रहे थे, तब कोई नहीं था. तब अचानक एक संत उनके पास आए. उन्होंने अपना नाम नहीं बताया.उनसे बहुत अच्छी वाइव्स मिलीं. कुछ देर बात वह चले गए. जिस कुर्सी पर वह बैठे थे, जब प्राशंत उस कुर्सी पर बैठे तो अचानक से शरीर में काफी उर्जा आ गई. ऐसा आभास हुआ जैसे हनुमानजी ही आए थे.

Advertisement

प्रशांत ने आगे बताया कि जैसे ही आप राम मंदिर के अंदर जाएंगे. पांडेय मूर्ति भंडार का काम नजर आने लगेगा. गजद्वार, सिंहद्वार, गरुण द्वार और हनुमान द्वार सब हमने बनाया है. 6-6 फीट की मूर्तियां, गणेश जी की मुख्य प्रतिमा हमने ही बनाई है. हम पुश्तैनी मूर्तिकार हैं. 

सात महीने सात पीढ़ी की यात्रा जैसे बीते

प्रशांत के पिता सत्यनारायमण पांडेय ने बताया कि रामलला की मूर्ति बनाने में सात महीने लगे. ऐसा लगा जैसे सात पीढ़ियों की यात्रा हो गई. सफर ऐसा रहा, जैसे प्रभु श्रीराम हमसे चर्चा कर रहे हैं. हमें ऐसा लगता था कि प्रभु हमसे बात करते थे. उनका चंचल भाव नजर आता था, उनकी आंखे मूवमेंट करती थीं.

रहस्यमयी घटना का किया जिक्र

मूर्ति बनाते समय बंदर रामलला के पास आते थे. यहां से फल लेकर जाते थे. सत्यनाराणय पांडेय ने बताया कि जब वो पहले दिन अयोध्या आए तो उन्हें कुछ भी नहीं मालूम था. तब उन्हें सपने में ऐसा दिखा कि एक मंदिर में 100 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्ग संत हैं, जो हवन कर रहे हैं. उनके पास एक बंदर आता है और उनकी उंगली और बाजू काटने की कोशिश करता है.

Advertisement

बगल में ही था सपने में दिखा मंदिर

इस घटना के बाद जब सत्यनाराणय पांडेय ने बाहर निकलकर देखा तो सपने में दिखने वाला मंदिर बगल में ही था. इसके बाद से लेकर अब तक उन्होंने भोजन प्रसाद उस मंदिर के अंदर ही ग्रहण किया. प्रशांत ने बताया कि उन्होंने मूर्ति बनाते समय सभी नियम-धर्म का पालन किया. रोज चमत्कार होते रहे.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement