
साल 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर सियासी बिसात बिछने लगी है. विपक्षी दलों को एकजुट करने, 2024 की चुनावी जंग के लिए रणनीति बनाने को एक तरफ जहां बिहार की राजधानी पटना में 12 जून को दिग्गज नेताओं की बैठक होनी है. तो वहीं दूसरी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) भी जीत की हैट्रिक लगाने के लिए जमीनी स्तर पर तैयारियों में जुट गई है.
बीजेपी में उम्मीदवारों के नाम पर मंथन शुरू हो गया है. यूपी में बीजेपी हर लोकसभा क्षेत्र में सर्वे करा रही है जिससे संभावित उम्मीदवारों की स्थिति का आकलन किया जा सके, जिताऊ उम्मीदवार का चयन किया जा सके. स्थानीय संगठन स्तर पर मजबूत और जिताऊ चेहरों के नाम मांगे गए हैं, साथ ही सर्वे एजेंसियों को भी सर्वे का जिम्मा सौंपा गया है जो सीधे संगठन को रिपोर्ट देंगी.
सर्वे एजेंसियों से इस बात का आकलन कर रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा गया है कि वर्तमान सांसद के खिलाफ क्षेत्र में एंटी इनकम्बेंसी है या प्रो? बीजेपी के नेता ये जानते हैं कि लोकसभा चुनाव में लोग उम्मीदवार नहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे और नाम पर वोट देंगे. फिर भी, पार्टी अपने स्तर पर किसी तरह की कोई कोताही बरतना नहीं चाहती. बीजेपी उम्मीदवार को लेकर क्षेत्र में जो माहौल है, उसे नजरअंदाज करने का खतरा मोल लेना नहीं चाहती.
ऐसे में क्षेत्रवार सर्वे चल रहा है. सर्वे के कार्य में लगी एजेंसियां अपनी रिपोर्ट सीधे संगठन को देंगी. सर्वे रिपोर्ट मिलने के बाद संगठन में भी कई स्तर पर टिकट का दावा करने वाले उम्मीदवारों की लिस्ट फिल्टर की जाएगी और अंत में कोई एक दावेदार बीजेपी के सिंबल पर चुनाव मैदान में उतरेगी. इस बार बीजेपी ने उम्मीदवार चयन की कवायद काफी जल्दी शुरू कर दी है.
यूपी की नौ सीटें बीजेपी ने रेड जोन में रखीं
बीजेपी ने इस बार सीटों का जोनवार वर्गीकरण भी किया है. बीजेपी ने ग्रीन, येलो और रेड जोन में सीटों का वर्गीकरण कर अभी से ही तैयारियां शुरू कर दी हैं. बीजेपी के संगठन में शीर्ष पदों पर बैठे नेताओं की मानें तो यूपी की तकरीबन 9 सीटें ऐसी हैं जिन्हें रेड जोन में रखा गया है. बीजेपी ने उन सीटों को रेड जोन में रखा है जहां पार्टी को कड़े मुकाबले का अनुमान है.
बीजेपी ने जिन नौ सीटों को रेड जोन में रखा है वे आजमगढ़, कन्नौज, अंबेडकरनगर, मुरादाबाद, रामपुर, अमरोहा, रायबरेली, सहारनपुर और फिरोजाबाद हैं. रेड जोन में ऐसी सीटें हैं जहां या तो बीजेपी कभी जीत नहीं पाई या कभी जीती भी तो वो जीत पार्टी के लिए आसान नहीं रही. बीजेपी नेताओं के मुताबिक इन नौ सीटों के अलावा छह सीटें ऐसी हैं जहां ये लगता है कि पार्टी कड़े मुकाबले में फंस सकती है.
इन सीटों पर करना पड़ सकता है कड़ा संघर्ष
बीजेपी ने येलो जोन में जिन छह सीटों को रखा है, उनमें अमेठी, जौनपुर, फूलपुर, लालगंज सीट शामिल हैं. इस जोन में ऐसी सीटों को रखा गया है जहां बीजेपी को कड़ा संघर्ष करना पड़ सकता है. बीजेपी सीटों को तीन जोन में बांटकर चुनाव से करीब एक साल पहले ही तैयारी में जुट गई है. रेड जोन की नौ सीटों पर बीजेपी का इसबार खास ध्यान है.
दरअसल, बीजेपी को लगता है कि पार्टी यूपी में 2019 से भी बेहतर प्रदर्शन कर सकती है. कुछ राज्यों में सीटों के नुकसान के अनुमान देखते हुए पार्टी नहीं चाहती कि यूपी में उसके कब्जे से एक भी सीट फिसले. पार्टी की इस रणनीति के पीछे 2014 के मुकाबले 2019 में नौ सीटों के नुकसान से भी जोड़कर देखा जा रहा है.
2019 में बीजेपी को हुआ था 9 सीटों का नुकसान
बीजेपी को 2019 के लोकसभा चुनाव में नौ सीटों का नुकसान उठाना पड़ा था. बीजेपी ने 2014 के लोकसभा चुनाव में 42.3 फीसदी वोट शेयर के साथ यूपी की 80 में से 71 सीटें जीती थीं. दो सीटों पर बीजेपी की गठबंधन सहयोगी अपना दल को जीत मिली थी. 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी का वोट शेयर बढ़ा लेकिन पार्टी को नौ सीट का नुकसान उठाना पड़ा था.
साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को यूपी में 49.6 फीसदी, यानी करीब आधे वोट मिले थे लेकिन पार्टी 62 सीटें ही जीत पाई थी. पार्टी की गठबंधन सहयोगी अपना दल सोनेलाल अपने कोटे की दोनों सीटें बरकरार रखने में सफल रही थी. बीजेपी पिछले परिणाम को देखते हुए 2024 के चुनाव में अपने स्तर से किसी भी तरह की कोई खामी नहीं छोड़ना चाहती.