
क्रिकेटर मोहम्मद शमी (Mohammed Shami) के रोजे को लेकर घमासान मचा हुआ है. बरेली के मौलाना शहाबुद्दीन रजवी (Maulana Shahabuddin Razvi Bareilvi) के बयान के बाद तमाम मुस्लिम धर्मगुरु, नेता और अन्य लोग मोहम्मद शमी के समर्थन में उतर आए है. शमी के परिवार और दूसरे धर्मगुरुओं ने शहाबुद्दीन के बयान की कड़ी आलोचना की है.
दरअसल, बीते दिनों रमजान (Ramzan) के दौरान मैच खेलते वक्त शमी का एनर्जी ड्रिंक पीते हुए वीडियो वायरल हुआ था. जिसके बाद रमजान में रोजा (Roza) ना रखने को लेकर ऑल इंडिया मुस्लिम जमात (All India Muslim Jamaat) के अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने शमी को 'अपराधी' कह दिया था. उन्होंने कहा था कि एक स्वस्थ व्यक्ति का जानबूझकर रोजा ना रखना, इस्लाम की नजर में गुनाह है. शमी को अल्लाह से माफी मांगनी चाहिए क्योंकि उनसे बड़ा अपराध हुआ है.
शहाबुद्दीन रजवी के इस बयान पर कई मुस्लिम धर्मगुरुओं ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव और शिया धर्मगुरु मौलाना यासूब अब्बास ने लखनऊ में शाहाबुद्दीन को लेकर कहा कि उनका यह बयान केवल सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए दिया गया है. रोजा रखना व्यक्तिगत आस्था का विषय है, इसे विवादित नहीं बनाया जाना चाहिए. मजहब जबरदस्ती का नहीं, आस्था और मर्जी का विषय है.
शिया धर्मगुरु मौलाना यासूब अब्बास का बयान
मौलाना यासूब अब्बास के मुताबिक, शहाबुद्दीन ने चीप पब्लिसिटी के लिए ऐसा बयान दिया है. रोजा हर इंसान पर वाजिब है और उसे हर शख्स रखता है. हर बालिग शख्स पर रोजा वाजिब है, लेकिन इस्लाम में जबरदस्ती नहीं है, किसी को जबरदस्ती रोजा नहीं रखवा सकते. जहां जबरदस्ती है, वहां मजहब नहीं है और जहां मजहब है वहां जबरदस्ती नहीं है. अगर कोई शख्स देश के लिए खेल रहा है तो कोई कैसे कह सकता है कि वो रोजा रखे है या नहीं. अगर कोई रोजा नहीं है तो हो सकता है कि वो बाद में रोजा अदा कर ले.
मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कही ये बात
मोहम्मद शमी और रोजा विवाद के बारे में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के कार्यकारी सदस्य मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने लखनऊ में कहा- "सभी मुसलमानों के लिए रोज़ा रखना अनिवार्य है, खासकर रमज़ान के महीने में. हालांकि, अल्लाह ने कुरान में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया है कि अगर कोई व्यक्ति यात्रा पर है या उसकी तबीयत ठीक नहीं है, तो उसके पास रोज़ा न रखने का विकल्प है. मोहम्मद शमी के मामले में, वह दौरे पर हैं, इसलिए उनके पास रोज़ा न रखने का विकल्प है. किसी को भी उन पर उंगली उठाने का अधिकार नहीं है."
उन्होंने आगे कहा कि इस्लाम में ऐसा नहीं कहा गया है कि अगर आप नेशनल ड्यूटी पर हैं तो भी रोजा रखना ही रखना है. इस्लाम में कहां गया है कि अगर आप सफर कर रहे हैं तो रोज नहीं भी रख सकते हैं और जब अपने देश या अपने गंतव्य स्थान वापस आए तो जो रोज छूट गए हैं उन्हें दोबारा रखा जा सकता है. इस तरह की बात करना गलत है. इस तरह के बयान से खिलाड़ी की मानसिक स्थिति कमजोर हो सकती है. मोहम्मद शमी देश का मन है और हम उम्मीद करते हैं कि वह अपने प्रदर्शन से टीम इंडिया को फाइनल में जीत दिलाएंगे. मैं मोहम्मद शमी से कहूंगा कि वह निश्चिंत होकर अपने गेम पर ध्यान दें और जब भी अपने देश वापस आए तब जो रोजे उनके छूटे हैं उन्हें रख सकते हैं.
शमी के बचपन के कोच बदरुद्दीन सिद्दीकी ने दिया करारा जवाब
मामले में मोहम्मद शमी के बचपन के कोच बदरुद्दीन सिद्दीकी ने मौलाना शहाबुद्दीन रजवी को करारा जवाब दिया. मुरादाबाद में गुरुवार को बदरुद्दीन सिद्दीकी ने कहा- पूरा देश शमी के साथ खड़ा है. देश से बढ़कर कुछ नहीं होता. एक खिलाड़ी के लिए देश की इज्जत और जनता की उम्मीदें सबसे ऊपर होती हैं. मौलाना की टिप्पणी अभद्र है. शमी जैसे खिलाड़ी देश का नाम रोशन करते हैं और उन पर इस तरह के सवाल उठाना बिल्कुल जायज नहीं है.
मोहम्मद शमी के भाई ने कही ये बात
वहीं, अमरोहा में रहने वाले शमी के चचेरे भाई मुमताज ने कहा- खिलाड़ी होने के नाते जब मैच खेलना होता है, तो गेंदबाजी में काफी मेहनत करनी होती हैं. ऐसे में रमजान के माह में रोजा नहीं रख पाते हैं. अगर खेल नहीं हो रहा होता है तो वह सभी रोजे रखते हैं. अगर मैच के दौरान शमी ने रोजा नहीं रखा है, तो इसे वो आगे रख लेते हैं.
मुमताज ने कहा कि मोहम्मद शमी देश के लिए खेल रहे हैं. कई पाकिस्तानी खिलाड़ी भी रोजा नहीं रखते और मैच खेलते हैं, इसमें कोई नई बात नहीं है. इस तरीके से मुद्दे को उछालना बेहद शर्मनाक है.
सहारनपुर के मौलाना की प्रतिक्रिया
क्रिकेटर मोहम्मद शमी पर मौलाना शहाबुद्दीन रजवी के बयान पर जमीयत दावत उल मुस्लिमीन के संरक्षक और देवबंदी उलेमा मौलाना कारी इसहाक गोरा ने कहा, "यह एक बकवास और फर्जी बयान है. लोगों की अपनी-अपनी परिस्थितियां होती हैं. अगर कोई व्यक्ति यात्रा कर रहा है, तो उसे रोज़ा रखने की ज़रूरत नहीं है. इस स्थिति में किसी को भी जज की तरह व्यवहार नहीं करना चाहिए. हमें सोशल मीडिया पर दूसरों पर टिप्पणी करने के बजाय खुद पर काम करना चाहिए। इस्लाम कभी ऐसी बातें नहीं सिखाता."
रोहित शर्मा पर विवादित पोस्ट करने वाली शमा मोहम्मद का रिएक्शन
कांग्रेस नेता शमा मोहम्मद ने क्रिकेटर शमी को घेरने वाले बरेली के मौलाना को जवाब दिया है. उन्होंने कहा कि इस्लाम में रमजान के दौरान एक बहुत ही महत्वपूर्ण बात है. लेकिन जब हम यात्रा कर रहे होते हैं, तो हमें रोजा रखने की जरूरत नहीं होती. मोहम्मद शमी भी यात्रा कर रहे हैं और वे अपने घर पर नहीं हैं. वे एक ऐसा खेल खेल रहे हैं, जिसमें उन्हें बहुत प्यास लग सकती है. कोई भी इस बात पर जोर नहीं देता कि जब आप कोई खेल खेल रहे हों, तो आपको रोजा रखना ही होगा. आपके काम ही बहुत महत्वपूर्ण हैं. इस्लाम एक बहुत ही वैज्ञानिक धर्म है.
आपको बता दें कि हाल ही में कांग्रेस नेता शमा मोहम्मद ने भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान रोहित शर्मा को लेकर विवादित बयान दिया था, जिसपर बवाल मच गया था. उन्हें माफी तक मांगनी पड़ी थी. कांग्रेस ने भी उनसे पल्ला झाड़ लिया था.
यूपी बीजेपी के नेताओं की प्रतिक्रिया
इस पूरे विवाद पर यूपी बीजेपी के प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने कहा कि प्रार्थना, पूजा पद्धति, इबादत, व्रत-अनुष्ठान या नमाज़ रोज़े का पालन करना है या नहीं, ये आप खुद की मर्जी पर तय कर सकते हैं, कोई मुल्ला, मौलवी, मुफ्ती, उलेमा... साधु-संत या पंडित जी तय नहीं कर सकते हैं. नवरात्रि और जन्माष्टमी का व्रत रखने के लिए किसी को मजबूर नहीं किया जाता है. इसके लिए किसी को गुनहगार नहीं माना जाता तो किसी को रोज़े ना रखने पर गुनहगार कैसे माना जा सकता है. अब मौलाना की दादागिरी नहीं चलेगी.
उधर, पूर्व मंत्री और बीजेपी नेता मोहसिन रजा ने कहा कि ये बंदे और अल्लाह के बीच का मामला है. इसमें मुल्लाह को बोलने की जरूरत नहीं. शमी देश के लिए खेल रहे हैं. मुल्लाह को इस्लाम के बारे में पता नहीं है. शमी राष्ट्र धर्म के लिए गए हैं. सफर में रोजा न रखने की छूट है. धर्म के साथ-साथ शमी राष्ट्रधर्म भी निभा रहे हैं. शमी और अल्लाह के बीच मुल्लाह घुस गया है. मुल्लाह माफी मांगे.
जबकि, क्रिकेटर मोहम्मद शमी के रोजा ना रखने संबंधी मौलाना के बयान पर आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा- मुझे लगता है कि अगर कोई सच्चा मुसलमान होगा तो वह मोहम्मद शमी का विरोध नहीं करेगा, क्योंकि वह अपने देश के लिए खेल रहे हैं। जो लोग इस मामले पर मोहम्मद शमी का विरोध कर रहे हैं, मुझे लगता है कि उन्हें इस्लाम की जानकारी नहीं है. "
मौलाना शाहाबुद्दीन रजवी का पूरा बयान
मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने मोहम्मद शमी की आलोचना करते हुए कहा था कि रोजा अनिवार्य कर्तव्यों में से एक है. अगर कोई स्वस्थ पुरुष या महिला रोजा नहीं रखता है, तो वह बड़ा अपराधी है. भारत के एक प्रसिद्ध क्रिकेट खिलाड़ी मोहम्मद शमी ने मैच के दौरान पानी या कोई अन्य पेय पदार्थ पी लिया, लोग उन्हें देख रहे थे, अगर वह खेल रहे हैं, तो इसका मतलब है कि वह स्वस्थ हैं, ऐसी हालत में उन्होंने रोजा नहीं रखा और पानी भी पी लिया, इससे लोगों में गलत संदेश जाता है. रोजा ना रखकर उन्होंने गुनाह किया है. उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए. शरीयत की नजर में वह अपराधी हैं, उन्हें खुदा को जवाब देना होगा.