
मुख्तार अंसारी... उत्तर प्रदेश के पूर्वी हिस्से से निकलकर देशभर में अपने अपराध के दम पर चर्चित हुआ वो नाम, जिसके खिलाफ 60 से ज्यादा केस दर्ज हुए. हत्या के आठ मामले मुख्तार पर जेल में रहते ही लगे. जेल से ही सियासत और सिस्टम की नब्ज थामने वाले मुख्तार के दिल ने जेल के भीतर ही धड़कना बंद कर दिया. मुख्तार अंसारी की मौत हो गई. आरोप लगने लगा कि धीमा जहर मुख्तार अंसारी को दिया गया, जिसने जान ली. इसकी जांच हो रही है.
वहीं दूसरी तरफ जेल प्रशासन का कहना है कि जहर की थ्योरी में कोई दम नहीं है. मख्तार की मौत कार्डियक अटैक से हुई है. प्रशासन की तरफ से पोस्टमॉर्टम की वीडियोग्राफी करवाई गई है. यहां तक कि विसरा सैंपल की जांच करवाई जाएगी. जांच रिपोर्ट से साफ हो जाएगा मुख्तार को जहर दिया गया था या नहीं.
असल में 19 मार्च से ही मुख्तार अंसारी की तबीयत खराब थी. 19 मार्च को भी मुख्तार अंसारी की तबीयत बिगड़ी थी. तब भी उसे उल्टियां हुईं और पेट दर्द था. लेकिन तब जेल के डॉक्टरों ने ही उसका इलाज किया था. इसके अगले दिन यानी 20 मार्च को मऊ की एमपी-एमएलए कोर्ट में मुख्तार की वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए पेशी थी. इस पेशी के दौरान मुख्तार ने ये इल्जाम लगाया था कि 19 मार्च की रात उसे खाने में जहर देकर मारने की साजिश रची गई थी.
19 मार्च को भी बिगड़ी थी मुख्तार की तबीयत
19 मार्च से लेकर 26 मार्च की रात तक मुख्तार अंसारी की तबीयत ठीक थी. हालांकि पेट दर्द से वो परेशान था. लेकिन फिर 26 मार्च को तड़के करीब 3 बजे मुख्तार अंसारी की तबीयत फिर से अचानक बिगड़ गई. मुख्तार अंसारी वॉशरूम में अचानक बेहोश हो गया था. उसकी इस हालत को देखते हुए जेल स्टाफ ने उसे उसी वक्त बांदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल भेजने का फैसला किया. 26 मार्च को पूरे दिन मुख्तार बांदा अस्पताल में ही भर्ती रहा. फिर करीब 17 घंटे बाद रात 8 बजे डॉक्टरों ने उसे डिस्चार्ज कर दिया. अस्पताल से जेल लौटने से पहले तब मुख्तार अंसारी ने अपने परिवार से फोन पर बात की थी. इस बातचीत में उसने अपनी बीमारी और अपनी हालत के बारे में बताया था.
27 मार्च को भी मुख्तार की हालत ठीक थी. हालांकि वो लगातार कमजोरी और पेट दर्द की शिकायत कर रहा था. फिर 28 मार्च की शाम को अचानक उसकी तबीयत बिगड़ी और वो फिर से बेहोश हो गया. मुख्तार को दो दिन के अंदर दूसरी बार बांदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल ले जाया गया. जब वो जेल से अस्पताल पहुंचा, तब भी बेहोश था. उसकी हालत बेहद नाजुक थी. रात ठीक 8 बजकर 25 मिनट पर उसे बांदा मेडिकल कॉलेज लाया गया और इसके कुछ देर बाद डॉक्टरों ने मुख्तार को मुर्दा करार दे दिया.
दिल की बीमारी का पुराना मरीज था मुख्तार
मुख्तार अंसारी दिल की बीमारी का पुराना मरीज रहा था. लखनऊ के केजीएमएसी यानी किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज अस्पताल में दिल की बीमारी को लेकर मुख्तार का लंबा इलाज चला. इतना ही नहीं, नौ जनवरी 2018 को भी इसी बांदा जेल में मुख्तार को एक बार दिल का दौरा पड़ा था. दरअसल, उस दिन मुख्तार का परिवार मुलाकात पर बांदा जेल पहुंचा था. मुलाकात के दौरान मुख्तार समेत अंसारी परिवार को जेल में ही चाय दी गई थी. मगर चाय पीने के कुछ देर बाद ही अचानक मुख्तार अंसारी के सीने में तेज दर्द उठा और वो गिर पड़ा.
इन बीमारियों से जूझ रहा था माफिया
मुख्तार की ये हालत देखकर उससे मुलाकात करने जेल पहुंची उसकी बीवी अफ्शां भी वहीं बेहोश होकर गिर पड़ी. शुरुआत में दोनों में जेल के अस्पताल में ही डॉक्टरों ने देखा. फिर बाद में मुख्तार और अफ्शां को इसी बांदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर में भेज दिया. तब भी अस्पताल पहुंचते वक़्त मुख्तार बेहोश था. दोनों के चेकअप के बाद डॉक्टरों ने पाया कि मुख्तार और अफ्शां, दोनों को ही दिल का दौरा पड़ा था. शाम होते होते उसी दिन यानी 9 जनवरी 2018 को दो अलग-अलग एंबुलेंस में मुख्तार और उसकी बीवी अफ्शां को लखनऊ ले जाया गया. लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज अस्पताल में ही तब दोनों का इलाज हुआ था. मुख्तार को शुगर और बीपी की भी शिकायत थी.
9 जनवरी 2018 को इसी बांदा जेल में जब पहली बार मुख्तार और उसकी बीवी अफ्शां को दिल का दौरा पड़ा था, तब भी अंसारी परिवार ने यही इल्जाम लगाया था कि दोनों को जहर देने की कोशिश की गई थी. हालांकि इसके बाद अगले साल भर तक मुख्तार इसी बांदा जेल में रहा. लेकिन फिर तब कभी वो बीमार नहीं पड़ा. इसके बाद जनवरी 2019 में मुख्तार एक दूसरे केस के सिलसिले में पंजाब के रोपड़ जेल पहुंच गया. पंजाब के इस रोपड़ जेल में वो अगले दो साल तक रहा. इस दौरान उसे कभी कुछ नहीं हुआ.
पंजाब की रोपड़ जेल शिफ्ट हो गया था मुख्तार
फिर यूपी सरकार की पहल और सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 7 अप्रैल 2021 को मुख्तार अंसारी को पंजाब की रोपड़ जेल से वापस बांदा जेल शिफ्ट कर दिया गया. अंसारी परिवार ने तब भी इसका विरोध किया था और कहा था कि बांदा जेल में मुख्तार की जान को खतरा है. यहां तक कि जब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कोई रास्ता नहीं बचा, तब मुख्तार अंसारी की सेहत का भी हवाला दिया गया, तब मुख्तार अंसारी रोपड़ जेल से यूपी की बांदा जेल तक यूपी पुलिस की कड़ी सुरक्षा के बीच एक एंबुलेंस में आया था.
7 अप्रैल 2021 को बांदा जेल आने के बाद से अगले तीन सालों में यानी इसी महीने की 19 तारीख तक मुख्तार बिल्कुल ठीक ठाक था. इस दौरान अंसारी परिवार की तरफ से भी यूपी पुलिस या जेल प्रशासन पर मुख्तार को स्लो पॉइजन दिए जाने के कोई इल्जाम नहीं लगाए गए थे. लेकिन फिर 19 मार्च को मुख्तार की तबीयत बिगड़ी और उसके बाद से परिवार ने इल्जाम लगाना शुरू कर दिया.