
उत्तर प्रदेश के माफिया मुख्तार अंसारी और अतीक अहमद हर सरकार में ताकतवर रहे और मनमानी करते रहे. किसी सरकार में अतीक अहमद और मुख्तार अंसारी ने पुलिस अधिकारी पर गोली चलाई तो किसी सरकार में उस अफसर का ट्रांसफर करा दिया जो उसकी राह में रोड़ा बना. मुख्तार अंसारी ने गाजीपुर में एसपी सिटी उदय शंकर जायसवाल पर गोली चलाई तो अतीक अहमद ने एक पुलिस अफसर को धमकाया और उसका तबादला करवा दिया.
जब मुख्तार ने पुलिसवालों पर फायरिंग की थी
शुरुआत मुख्तार अंसारी के किस्से से करेंगे. एक बार मुख्तार अंसारी ने जब दिनदहाड़े एडिशनल एसपी रहे उदय शंकर जायसवाल और उनकी टीम पर हमला किया. घटना 27 फरवरी 1996 की है. दिन में 12:30 बजे थाना कोतवाली के लंका बस स्टैंड पर डिग्री कॉलेज में छात्रसंघ चुनाव चल रहे थे. पुलिस को इनपुट था कि एक गाड़ी UP-61/8989 में असलहों के साथ कुछ लोग गड़बड़ी कर सकते हैं. पुलिस चेकिंग कर रही थी.
इसी बीच में इंस्पेक्टर ने बसपा जिलाध्यक्ष लिखी जीप आई, जिसमें मुख्तार अंसारी सवार था. गाड़ी को रोकते ही मुख्तार अंसारी ने कहा, 'किसकी औकात है, जो मुख्तार की गाड़ी की चेकिंग करें.' यह कहते ही फायरिंग शुरू कर दी. पुलिस ने भी फायरिंग शुरू की, जिसमें मुख्तार की गाड़ी गोली लगने से पंचर हो गई और उसकी गाड़ी से कूदे एक शख्स को पैर में गोली लगी लेकिन मुख्तार तीन पहियों पर ही जीप लेकर भाग गया.
पुलिस ने जब घायल व्यक्ति को जेल पहुंचाया तो पता चला वह गाजीपुर जेल का सिपाही साहब सिंह था और वह अपनी लाइसेंसी राइफल से मुख्तार के साथ चल रहा था. इतना ही नहीं मुख्तार अंसारी की एक अन्य गाड़ी से एक दूसरे जेल सिपाही उमाशंकर की 315 बोर की एक बंदूक भी मिली. मुख्तार के काफिले में पीछे एक और जिप्सी up70 D 4525 थी. इस जिप्सी का पहला मालिक अतीक अहमद था.
इसे अतीक अहमद ने 3 साल पहले 29 अक्टूबर 1993 को तेलियरगंज के सुरेश चंद शुक्ला को बेची थी, लेकिन इस जिप्सी में क्रॉस फायरिंग के बाद जो लोग थे, वह अतीक अहमद के ही बताए गए. जिस जोंगा जीप में मुख्तार अंसारी सवार था. वह जेके इंडस्ट्रीज नई दिल्ली के नाम पर थी और जिसका सेल लेटर मुख्तार अंसारी के गुर्गे और मौजूदा समय में दो लाख के इनामी शहाबुद्दीन के नाम पर था, लेकिन यह गाड़ी शहाबुद्दीन के नाम ट्रांसफर नहीं थी.
मुख्तार की ये थी मॉडस ऑफ अपरेंडी
मुख्तार अंसारी की यही मॉडस ऑफ अपरेंडी है. वह जेल के सिपाहियों को गाय भैंस खरीद लाता, उनके लिए हथियार के लाइसेंस बनवाता. यही जेल के सिपाही 8 घंटे की ड्यूटी के बाद मुख्तार अंसारी के साथ अपनी लाइसेंसी बंदूक के साथ सुरक्षा में चलते थे. उसी में एक साहब सिंह था, जो उसको फायरिंग में घायल हुआ था.
अतीक ने जब तत्कालीन आईजी को धमकाया था
अतीक अहमद लगातार उमेश पाल को फंसाने के लिए कोशिश कर रहा था लेकिन उसकी हर कोशिश को आरके चतुर्वेदी नाकाम कर रहे थे. तत्कालीन आईजी जोन आरके चतुर्वेदी को धमकाने के लिए अतीक अहमद उनके दफ्तर भी पहुंचा. धमकी से आरके चतुर्वेदी नहीं माने तो अतीक अहमद ने उनका तबादला करा दिया.
पूर्व आईजी आरके चतुर्वेदी ने आजतक से खास बातचीत में बताया, 'बात साल 2016 की है, मैं प्रयागराज में आईजी जोन था जब मेरा अतीक अहमद से टकराव हुआ. अतीक अहमद मुझसे मिलने के लिए दफ्तर पहुंच गया तो कहासुनी हो गई और उसके दूसरे ही दिन मेरा तबादला कर दिया गया.'
आरके चतुर्वेदी ने कहा, 'उस समय सिविल लाइन इलाके में एक बाइक सवार युवक की हत्या कर दी गई. अतीक ने अपने लोगों के जरिए अफवाह फैला दी कि हत्या उमेश पाल ने करवाई है लेकिन इत्तेफाक से वहां पर एक अफसर के बंगले पर सीसीटीवी लगा था और जिसे साफ हो गया कि हत्या गाड़ी पर पीछे बैठे व्यक्ति ने की है, उमेश पाल या उसके लोगों ने नहीं.'
आरके चतुर्वेदी ने कहा, 'ऐसे ही एक दूसरा मर्डर धूमनगंज इलाके में हुआ, जहां पर तहरीर अज्ञात में लिखवाई जा रही थी, लेकिन अचानक अतीक अहमद के लोग पहुंच गए और उसमें उमेश पाल को नामजद किया जाने लगा, क्योंकि मैं प्रयागराज का ही रहने वाला हूं... प्रयागराज में ही पढ़ाई लिखाई की है... पहली जेल विभाग में नौकरी यही की है, लिहाजा सिपाही दरोगा की तरह मेरे पास भी मुखबिर तंत्र मजबूत था, मुझे पता चला केस में नामजदगी गलत हो रही है, जिसके बाद पुलिस टीम को साफ निर्देश दिए कि सुबूत के आधार पर ही गिरफ्तारी होगी.'
पूर्व आईजी आरके चतुर्वेदी ने कहा, 'अतीक अहमद चाहता था कि हत्याकांड में उमेश पाल को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया जाए. यह जानकारी अतीक अहमद को हुई तो वो मेरे दफ्तर धमकाने आ गया. अतीक अहमद ने दफ्तर में पहुंचकर रूआब गांठना शुरू किया तो मुझे याद दिलाना पड़ा कि मैं वही अधिकारी हूं... जिसके सामने तुम जेल में हाथ जोड़कर गिड़गिड़ाया करते थे.'